दहेज हत्या के दोषी को सजा माफी देने से हाईकोर्ट का इंकार

Edited By ,Updated: 30 Jul, 2016 12:39 PM

death for dowry

दहेज हत्या मामले में डाइंग डिक्लेरेशन को मानने से पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने साफ इंकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि मामले के जांच अधिकारी की शुरू से ही मिलीभगत के चलते इस पर विश्वास नहीं किया जा सकता।

चंडीगढ़, (विवेक): दहेज हत्या मामले में डाइंग डिक्लेरेशन को मानने से पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने साफ इंकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि मामले के जांच अधिकारी की शुरू से ही मिलीभगत के चलते इस पर विश्वास नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने निचली अदालत के 10 साल के कारावास के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा कि जांच अधिकारी ने मामले की जांच सही ढंग से नहीं की। मजिस्ट्रेट या डॉक्टर ही डिक्लेरेशन दर्ज कर सकते हैं। ऐसे में सजा को समाप्त करने की दलील को स्वीकार नहीं किया जा सकता। 

फगवाड़ा निवासी यशपाल ने जिला अदालत के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील डाली थी। पीड़ित अंजू बाला को 18 नवंबर 1996 को फगवाड़ा सिविल अस्पताल में जली हुई हालात में भर्ती कराया गया था। सब इंस्पेक्टर मोहिंदर सिंह ने अंजू के बयान दर्ज किए थे। दावा किया गया कि खाना बनाते समय आग लग गई। अंजू की 24 नवंबर 1996 को मौत हो गई थी। पुलिस ने एफ.आई.आर. दर्ज नहीं की। सब इंस्पेक्टर मोहिंदर सिंह ने कहा कि कोई केस नहीं बनता। एक साल बाद एफ.आई.आर. दर्ज की गई।

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