कैसे बनेगी स्मार्ट सिटी जब शहर को भिखारियों से नहीं मिल रही निजात

Edited By Punjab Kesari,Updated: 21 Nov, 2017 11:08 AM

how to build smart city when the city is not getting beggars

चंडीगढ़ में दिन-प्रतिदिन भिखारियों की संख्या बढ़ती जा रही है। इन भिखारियों से लोग खासे परेशान हैं।

चंडीगढ़ (राय): चंडीगढ़ में दिन-प्रतिदिन भिखारियों की संख्या बढ़ती जा रही है। इन भिखारियों से लोग खासे परेशान हैं। लगभग प्रत्येक लाइट प्वाइंट पर यह भिखारी वाहन चालकों से ऐसे हक से भीख मांगते हैं जैसे पुलिस वाले नाके लगाकर वाहनों की चैकिंग करते हैं। रैड लाइट होते ही यह भिखारी कारों के शीशों पर हाथ मार मार कर पैसे की मांग करते हैं। जब तक कोई इन्हे पैसे नहीं देते तब तक उनके वाहन के साथ लग कर खड़े रहते हैं। इन लाइट्स प्वाइंट्स पर इतनी ट्रैफिक पुलिस नहीं दिखती जितने भिखारी कारों को घेरे खड़े रहते है। ऐसा शहर के हर चौराहे, सड़क, पर्यटन स्थल व सार्वजनिक स्थल पर तो भीख मांगते हर समय देखा जा सकता है जिससे लोग खासे परेशान है। शहर के लगभग हरेक लाइट प्वाइंट पर इन्होंने अपने अड्डे बनाए हुए हैं। 

 

शहर की प्रत्येक एंट्री की लाइट प्वाइंट से लेकर शहर के सैक्टरों के लाइट प्वाइंट्स पर इन्हें कारों के शीशे पीटते देखा जा सकता है। हैरानी की बात है कि इन भिखारियों में नब्बे प्रतिशत भिखारी शारीरिक रूप से स्वस्थ हैं। प्रशासन की ओर से लगभग दो वर्ष पूर्व इनके विरुद्ध अभियान चलाकर इन्हें शहर से बाहर किया गया था लेकिन पिछले दिनों में इनकी संख्या में अचानक बढ़ौतरी हुई है। प्रशासन और न ही पुलिस के पास अभी इनका कोई रिकॉर्ड है कि इनकी संख्या कितनी है और यह अचानक कहां से चंडीगढ़ पहुंच रहे है। पुलिस के पास न ही इनके ठिकानों की सही जानकारी है और न ही पुलिस को भीख के पीछे का सच पता है।


 

चंडीगढ़ में 1224 बच्चे मांगते हैं भीख 
पंजाबी यूनिवॢसटी के स्टूडैंट द्वारा गत वर्ष आयोजित सर्वे में पता चला था कि चंडीगढ़ में कुल 1224 बच्चे भीख मांगते हैं। इनकी उम्र तीन साल से लेकर 18 साल तक है। भीख मांगने की मुख्य वजह गरीबी, नशा और पलायन है। इन बच्चों की रोजाना इनकम 250-300 रुपए है। पुलिस सूत्रों के अनुसार इन बच्चों को अन्य शहरों से सुबह यहां लाया जाता है व शाम को इन्हें वापस ले जाया जाता है। पुलिस को संदेह है कि शहर में भिखारी बच्चों की संख्या बढऩे के पीछे किसी आर्गेनाइज्ड गैंग का हाथ भी हो सकता है। हरेक ट्रैफिक लाइटों पर, बाजारों में, पार्किंग्स में, होटलों के बाहर या समारोहों में भीख मांगने वालों के झुंड देखे जा सकते हैं। 

 

कहीं महिला गोद में बच्चा उठाए भीख मांगती दिखेगी तो कहीं बच्चे वाहन पर कपड़ा मार कर भीख के लिए हाथ फैलाते दिखेंगे। शहर के सदर्न सैक्टर के एक लाइट प्वाइंट पर खड़े एक भिखारी बिलाल जो कि शारीरिक रूप से सेहतमंद था, ने पहले तो कोई बात करने से इंकार किया जब उसे कुछ पैसे दिए गए तो वह बोला कि पिछले साल गर्मियों में वो और उसका परिवार बिहार से यहां काम की तलाश में आए थे लेकिन कहीं काम न मिलने के कारण सभी परिवार वालों ने भीख मांगना शुरू कर दिया। उसने बताया कि उसे आज तक किसी की ओर से उसे ऐसा करने पर नहीं रोका।  


 

कैसे बनेगी स्मार्ट सिटी?
चंडीगढ़ ऐसे कैसे स्मार्ट सिटी बनेगा। शहर के सभी लाइट्स प्वाइंट्स पर भिखारियों की संख्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। लोग परेशान है, हर लाइट पर यह भिखारी कारों के शीशों पर हाथ मार-मार कर पैसे मांगते हंै। कई बार तो किसी कार चालक का ध्यान कहीं और होता है तभी अचानक शीशे पर हाथ पड़ता है। कई भिखारी रेहड़ी वालों का सामान भी उठा लेते है। प्रशासन इन्हे भगाने में नाकाम रहा है। प्रशासन और पुलिस को चाहिए कि इन पर नियंत्रण पाएं नहीं तो स्थिति काबू से बाहर हो जाएगी।

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