Edited By Punjab Kesari,Updated: 11 Jun, 2017 11:54 AM
भगवान शिव को बिल्व पत्र बहुत प्रिय है। माना जाता है कि बिल्वपत्र और जल से भगवान शंकर का मस्तिष्क शीतल रहता है। पूजा में इनका प्रयोग करने से वे बहुत
भगवान शिव को बिल्व पत्र बहुत प्रिय है। माना जाता है कि बिल्वपत्र और जल से भगवान शंकर का मस्तिष्क शीतल रहता है। पूजा में इनका प्रयोग करने से वे बहुत जल्द प्रसन्न होते हैं। शिवपुराण में बिल्वपत्र से संबंधित कुछ बातें बताई गई हैं, जिन पर अमल करने से व्यक्ति की संपूर्ण मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
शिवलिंग पर चढ़ाए गए बिल्वपत्रों को कई दिनों तक धोकर पुन: भगवान शिव पर अर्पित किया जा सकता है।
अष्टमी, चतुर्दशी और अमावस्या, पूर्णिमा तिथियों को, संक्रांति के समय और सोमवार को बिल्वपत्र न तोड़ें। एक दिन पूर्व तोड़े हुए बिल्व पत्र पूजा में उपयोग किए जाने चाहिए।
रविवार अौर द्वादशी एक साथ होने पर बिल्वपत्र की विशेष पूजा करनी चाहिए। इस दिन पूजा करने से महापाप अौर दरिद्रता से मुक्ति मिलती है।
शिवपुराण में बताया गया है कि घर पर बिल्व वृक्ष लगाना चाहिए। इससे घर के सभी सदस्यों को कई प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है। इसके साथ ही पारिवारिक सदस्य यशस्वी होते हैं अौर समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है।
शास्त्रों के अनुसार जिस स्थान पर बिल्ववृक्ष होता है, वह जगह काशी की भांति पूजनीय व पवित्र होती है। ऐसे स्थान पर जाने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति है।
बिल्ववृक्ष लगाते समय दिशा का भी ध्यान रखना चाहिए। बिल्ववृक्ष को घर के उत्तर-पश्चिम में लगाने से यश की प्राप्ति होती है। वहीं उत्तर-दक्षिण में बिल्ववृक्ष हो तो सुख-शांति में वृद्धि होती है अौर मध्य में हो तो जीवन मधुर बनता है।
किसी भी दिन या तिथि को खरीदकर लाया हुआ बिल्वपत्र सदैव पूजा में शामिल किया जा सकता है।