Edited By Punjab Kesari,Updated: 27 Jan, 2018 10:15 AM
आचार्य चाणक्य द्वारा मानव के सुखी जीवन के लिए बहुत सी नीतियां बताई है। इन नीतियां में मानव जीवन के हर सवाल का जवाब छिपा हुआ है। अगर व्यक्ति इन नीतियों के बारें में जानकारी प्राप्त करले तो अपने जीवन को बहुत हद तक सुखी बना सकता है।
आचार्य चाणक्य द्वारा मानव के सुखी जीवन के लिए बहुत सी नीतियां बताई है। इन नीतियां में मानव जीवन के हर सवाल का जवाब छिपा हुआ है। अगर व्यक्ति इन नीतियों के बारें में जानकारी प्राप्त करले तो अपने जीवन को बहुत हद तक सुखी बना सकता है। वैसे तो आचार्य ने अपनी नीतियों में स्त्री-पुरुष दोनों के हित की बातें बताई है, लेकिन इसमें खासतौर पर पुरुषों के बारे में तीन ऐसी स्थितियां बताई हैं जो किसी भी पुरुष को भयंकर दुख देती हैं।
आचार्य कहते हैं कि-
वृद्धकाले मृता भार्या बन्धुहस्ते गतं धनम्।
भोजनं च पराधीनं त्रय: पुंसां विडम्बना:।।
पहली स्थिति- वृद्ध पुरुष की पत्नी का मरना
आचार्य चाणक्य इस श्लोक में बताते हैं कि किसी भी वृद्ध पुरुष की पत्नी का मरना उसके लिए किसी दुर्भाग्य से कम नहीं हैं। इस अवस्था में पत्नी के बिना जीवन व्यतीत करना पुरुष के लिए बहुत कठिन हो जाता है। इसलिए इस स्थिति में पुरुष अत्यंत दुख भोगता है।
दूसरी स्थिति- सारा धन दुश्मनों के हाथ लग जाना
यदि किसी पुरुष का सारा धन उसके शत्रुओं के हाथ लग जाए, तो वह बर्बाद हो जाता है। स्वयं की मेहनत से कमाया हुआ धन दुश्मनों के हाथ लगने से व्यक्ति को दोहरे संकट का सामना करना पड़ सकता है। व्यक्ति के शत्रु उसका धन उसी के विरुद्ध उपयोग करते है और वह धन के अभाव में खुद की जीविका भी ठीक से नहीं चला पाता। इसलिए पुरुष के लिए इस अवस्था को भी दुखी बताया गया है।
तीसरी स्थिति- किसी अन्य व्यक्ति पे आश्रित होना
आचार्य चाणक्य ने तीसरी बात यह बताई है कि यदि कोई पुरुष किसी अन्य व्यक्ति पर आश्रित होता है, किसी दूसरे व्यक्ति का दिया हुआ खाना खाता है, पराए लोगों के अधीन रहता है तो ऐसे पुरुष का जीवन नर्क के समान हो जाता है। ऐसी स्थितियों में पुरुष को कई दुखों का सामना करता है।