Edited By Punjab Kesari,Updated: 30 May, 2017 07:12 AM
श्री वराह पुराण में वर्णित प्रसंग के अनुसार, जब देवी भूमि ने श्री विष्णु के अवतार भगवान वराह से मधुपर्क और उससे पूजन करने के लाभ के बारे में
श्री वराह पुराण में वर्णित प्रसंग के अनुसार, जब देवी भूमि ने श्री विष्णु के अवतार भगवान वराह से मधुपर्क और उससे पूजन करने के लाभ के बारे में जानना चाहा तो उन्होंने बताया, मधुपर्क पुरुष का जन्म उनके शरीर के दक्षिणी भाग से हुआ है। जो भक्त मुझे प्रेमपूर्वक मधुपर्क अर्पित कर दान करता है और स्वयं भी उसका सेवन करता है। उसके जीवन में कभी कोई दुख नहीं आता। वह अपना संपूर्ण जीवन चिंताओं से मुक्त रहकर व्यतित करता है। संसार सुख भोगने के बाद मोक्ष की प्राप्ति भी होती है।
क्या है मधुपर्क
गूलर की लकड़ी के बर्तन में शहद, दही और घी को एक समान मात्रा में मिलाकर मधुपर्क बनाया जाता है। आपके पास शहद न हो तो उसके स्थान पर गुड़ भी डाला जा सकता है।
कुछ स्थानों पर पंचामृत को भी मधुपर्क कहकर संबोधित किया जाता है। पंचामृत का अर्थ है पांच अमृतों को एकत्र करके बनाया गया एक अमृत। इसमें दूध की मात्र का आधा दही, दही की मात्र का आधा घी, घी की मात्र का आधा शहद और शहद की मात्र की आधी शक्कर मिला कर पंचामृत तैयार किया जाता है। पंचामृत देवी-देवताओं को बहुत प्रिय होता है।
वैज्ञानिक आधार
वैज्ञानिक तौर पर भी इसके बहुत सारे लाभ हैं, चेहरा कांतिमय होता है और गजब की चमक पैदा होने लगती है। पेट संबंधित विकार दूर होते हैं, अल्सर से ग्रस्त व्यक्ति को संजिवनी बुटी के समान प्रभाव देता है। इसमें मौजुद देसी घी से शरीर को विटामिन ए, डी और कैल्शियम, फॉस्फोरस, मिनरल्स, पोटैशियम जैसे कई पोषक तत्व होते हैं। जो हमारे शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होते है। देसी घी में शॉर्ट चेन फैटी एसिड होने की वजह से ये जल्दी पच जाता है और शरीर में चर्बी नहीं बढ़ती।