Breaking




महादेव को परम प्रिय है ये काल, कैलाश पर्वत के रजत भवन में करते हैं नृत्य

Edited By Punjab Kesari,Updated: 29 Nov, 2017 01:47 PM

mahadev is the ultimate favorite of this period

शुक्रवार दिनांक 01.12.17 को मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि के उपलक्ष में शुक्र प्रदोष पर्व मनाया जाएगा। प्रदोष हर माह में दो बार अर्थात शुक्ल या कृष्ण पक्ष की तेरस को मनाया जाता है। मूलतः हर माह की त्रयोदशी तिथि परमेश्वर शिव को...

शुक्रवार दिनांक 01.12.17 को मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि के उपलक्ष में शुक्र प्रदोष पर्व मनाया जाएगा। प्रदोष हर माह में दो बार अर्थात शुक्ल या कृष्ण पक्ष की तेरस को मनाया जाता है। मूलतः हर माह की त्रयोदशी तिथि परमेश्वर शिव को समर्पित है। शब्द "प्रदोष" प्र और दोष से मिलकर बना है, प्र का अर्थ है कर्म का मार्ग और दोष का अर्थ है विकार। जिस प्रकार शब्द प्रयास का अर्थ है श्रम करने का मार्ग, प्रयोग का अर्थ खोजने का मार्ग। इसी तरह प्रदोष का अर्थ है दोष से मुक्ति का मार्ग। त्रयोदशी तिथि सभी प्रकार के दोषों का शमन करने की क्षमता रखती है अतः इसे प्रदोष कहा जाता हैं। मान्यतानुसार प्रदोष का विधिवत पूजन गरीबी, रोग, मृत्यु, पीड़ा, व्याधि, दुख आदि विकारों से मुक्ति के मार्ग खोल देता है। इसके पीछे चंद्रमा के दोषों और मुक्ति की पौराणिक कथा भी उपलब्ध है। 


प्रदोष का पौराणिक संदर्भ: पौराणिक कथानुसार चंद्र का विवाह दक्ष प्रजापति की 27 नक्षत्र पुत्रियों से हुआ था। चंद्रदेव का रोहिणी पर अधिक स्नेह देख शेष कन्याओं ने अपने पिता दक्ष से अपना दु:ख प्रकट किया। क्रोधी दक्ष से चंद्रदेव को क्षय रोग से ग्रस्त होने का श्राप दे दिया। क्षय रोग से ग्रसित चंद्रदेव अपनी कलाएं क्षीण करने लगे। देवऋषि नारद ने चंद्रदेव को मृत्युंजय की आराधना का मार्ग दिखाया, तत्पश्चात चंद्रदेव ने अपनी अंतिम कला अर्थात अंतिम सांसे गिनते हुए प्रभास क्षेत्र में महादेव की आराधना की। मृत्युंजय महादेव ने प्रदोष काल में चंद्रदेव को पुनर्जीवन का वरदान देकर उसे अपने मस्तक पर धारण किया याने चंद्रदेव मृत्युतुल्य होते हुए भी मृत्यु को प्राप्त नहीं हुए। पुन: धीरे-धीरे चंद्र स्वस्थ होते हुए पूर्णमासी पर अपने पूर्ण रूप में प्रकट हुए। अतः मृत्युंजय महादेव ने चंद्रमा को प्रदोष पर दोष मुक्त कर दिया। शास्त्रनुसार महादेव ने सती को प्रदोष का महत्व समझाते हुए कहा था की कलियुग में प्रदोष ही धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष का सबसे सटीक मार्ग होगा। सर्वप्रथम प्रदोष का ज्ञान महर्षि वेदव्यास ने महर्षि सूत को बताया व गंगा तट पर सूतजी ने सौनकादि ऋषियों को प्रदोष का ज्ञान दिया था। 


शुक्र प्रदोष की महत्वता: व्रतराज नामक ग्रंथ में रात्रि से तीन घंटे पूर्व के समय को प्रदोष कहा गया है अर्थात् सूर्यास्त से सवा घंटा पहले व सूर्यास्त के सवा घंटे बाद के समय को प्रदोष काल कहा गया है। तिथियों में त्रयोदशी को ही प्रदोष की संज्ञा प्राप्त है। मान्यतानुसार प्रदोष काल के समय महादेव कैलाश पर्वत के रजत भवन में नृत्य करते हैं और देवता उनके गुणों का स्तवन करते हैं। महादेव को प्रदोष परम प्रिय है इसलिये इस काल में मृत्युंजय महादेव की उपासना की जाती है। पुराणों के अनुसार प्रदोष व्रत करने से सांसारिक दुखों से मुक्ति मिलती है। यह व्रत सुख-संपदा युक्त जीवन शैली के अतिरिक्त यश, कीर्ति, ख्याति, वैभव और सम्पन्नता देने में समर्थ होता है। यह व्रत उपवासक को धर्म, मोक्ष से जोडऩे वाला और अर्थ, काम के बंधनों से मुक्त करने वाला है। प्रदोष का पूजन वार के अनुसार करने का शास्त्रों में विधान है। शुक्र प्रदोष के विधिवत पूजन व्रत व उपाय से सभी सुखों की प्राप्ति होती है तथा अखंड सौभाग्य प्राप्त होता है महर्षि सूत के अनुसार शुक्र प्रदोष व्रत करने से महादेव से जीवनसाथी की समृद्धि का वर मिलता है। ऐश्वर्यवान जीवन प्राप्त होता है व दांपत्य सुख में वृद्धि होती है।


पूजन विधि: शुक्रवार दिनांक 01.12.17 को मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि के उपलक्ष में शुक्र प्रदोष पर्व मनाया जाएगा। इस दिन श्रेष्ठ संध्या पूजन मुहूर्त रहेगा शाम 16:15 से लेकर शाम 18:45 तक रहेगा। प्रदोष काल में शिवलिंग का विधिवत पूजन करें। गौघृत का दीप करें, चंदन धूप करें, गुलाबी फूल चढ़ाएं, गुलाल चढ़ाएं, इत्र चढ़ाएं, खीर का भोग लगाएं तथा इस विशेष मंत्र का 1 माला जाप करें। पूजन के बाद भोग किसी सुहागन को भेंट करें। ऐश्वर्यवान जीवन हेतु शिवालय में सुगंधित तेल के 13 दीपक जलाएं। खंड सौभाग्य की प्राप्ति हेतु शिवालय में इत्र मिले गौघृत का दीपदान करें। सर्व सुखों की प्राप्ति हेतु मौली में पिरोए 13 गुलाब के फूल शिवलिंग पर चढ़ाएं।

 

शिव मंत्र: क्लीं काममूर्तये नमः शिवाय क्लीं॥ 


आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com

 

Let's Play Games

Game 1
Game 2
Game 3
Game 4
Game 5
Game 6
Game 7
Game 8

Trending Topics

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!