Mangla Gauri Vrat Katha: पीढ़ियों तक कुल और सुहाग की रक्षा के लिए पढ़ें, मंगला गौरी व्रत कथा

Edited By Updated: 29 Jul, 2025 06:57 AM

mangla gauri vrat katha

Mangla Gauri Vrat Katha 2025: बहुत समय पहले की बात है, विदर्भ देश में एक कन्या रहती थी, नाम था सौम्या। उसका विवाह एक प्रतिष्ठित परिवार में हुआ था। सौम्या को उसकी सास ने पहले दिन ही समझा दिया: “हमारे कुल में मंगला गौरी व्रत पीढ़ियों से चलता आ रहा है,...

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Mangla Gauri Vrat Katha 2025: बहुत समय पहले की बात है, विदर्भ देश में एक कन्या रहती थी, नाम था सौम्या। उसका विवाह एक प्रतिष्ठित परिवार में हुआ था। सौम्या को उसकी सास ने पहले दिन ही समझा दिया: “हमारे कुल में मंगला गौरी व्रत पीढ़ियों से चलता आ रहा है, इसे निभाना तुम्हारा कर्तव्य है।”

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सौम्या ने व्रत को पूरी श्रद्धा से किया। उसने पहले वर्ष नियमित चार मंगलवारों को निर्जल उपवास, गौरी पूजन, कथा श्रवण और रातभर दीपक जलाकर व्रत संपन्न किया।

पहले वर्ष के अंत में, जब उसकी सासु मां को गंभीर बुखार हुआ और वैद्य भी कुछ नहीं कर सके, तब सौम्या ने मां गौरी से प्रार्थना की, “हे मां! आपने कहा है जो भक्त सच्चे भाव से व्रत करे, उसकी रक्षा करती हैं। मेरी सासु मां को बचा लो। मैं हर साल आपका व्रत करूंगी।”

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उस रात सौम्या को स्वप्न में मां गौरी के दर्शन हुए। मां ने कहा, “तुमने जो पहले मंगलागौरी व्रत किया, वह तुम्हारी भक्ति का प्रमाण है। यह दूसरा वर्ष है, यह निष्ठा की परीक्षा का समय है। इस वर्ष यदि तुम बिना दिखावे, केवल श्रद्धा से पूजन करोगी, तो मैं तुम्हारे कुल की रक्षा करूंगी।”

सौम्या ने दूसरे मंगलागौरी व्रत का संकल्प लिया। इस बार उसने कोई दिखावा नहीं किया न ही पड़ोसियों को बुलाया, न ही कोई आडंबर। बस मां की मूर्ति के सामने दीप जलाकर घंटों बैठी रही, आंखें बंद कर मां का ध्यान करती रही। पूरे व्रत में उसका मन बस मां गौरी की छवि में था।

अंतिम मंगलवार को पूजा के समय तेज आंधी आई, दीपक बुझने लगा। सारा घर डर गया। सौम्या ने मां से कहा, “मां! यदि मेरी भक्ति सच्ची है, तो यह दीपक आज नहीं बुझेगा।”

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और सचमुच, सारे दीप बुझ गए लेकिन मां गौरी के सामने जो एक दीपक सौम्या ने अपनी सांस रोककर लगाया था, वह जलता रहा।

उस रात मां फिर स्वप्न में प्रकट हुई और कहा: “तूने जो दूसरे वर्ष में निष्ठा और एकाग्रता से व्रत किया, उसी ने मुझे सबसे ज्यादा प्रसन्न किया। मैं वचन देती हूं । तुम्हारे कुल में किसी स्त्री का सुहाग कभी न टूटेगा और संतानें तेजस्वी होंगी।”

तभी से यह माना जाता है कि मंगलागौरी व्रत का दूसरा वर्ष सबसे महत्वपूर्ण होता है क्योंकि यह श्रद्धा की परीक्षा का वर्ष होता है। जो महिला इस वर्ष भी पूरे मन और आत्मा से व्रत करती है, उसे मां गौरी का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।

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