सौभाग्य सुंदरी व्रत आज: संतान और पुत्र रक्षा के लिए करें पूजन

Edited By ,Updated: 30 Mar, 2017 11:01 AM

saubhagya sundari vrat poojan

सौभाग्य सुंदरी व्रत सुहागिन स्त्रियों का त्यौहार है। यह व्रत सौभाग्य की कामना व संतान सुख की प्राप्ति हेतु किया जाता है। यह व्रत सौभाग्यवती स्त्रियों के लिए

सौभाग्य सुंदरी व्रत सुहागिन स्त्रियों का त्यौहार है। यह व्रत सौभाग्य की कामना व संतान सुख की प्राप्ति हेतु किया जाता है। यह व्रत सौभाग्यवती स्त्रियों के लिए अखण्ड सौभाग्य का वरदान होता है और उन्हें संतान का सुख देना वाला होता है। इस व्रत को करने से विवाहित स्त्रियों के सौभाग्य में वृद्धि होती है। यह व्रत दांपत्य दोष, विवाह में देरी होना तथा मंगली दोष को दूर करने वाला होता है। सौभाग्य सुंदरी व्रत स्त्रियों के लिए मंगलकारी होता है। इसी दिन माता सती ने अपनी कठोर साधना और तपस्या द्वारा भगवान शिव को पाने का संकल्प किया था। जिसके फलस्वरूप भगवान शिव उन्हें पति रूप में प्राप्त हुए थे। इसी प्रकार अपने पुर्नजन्म पार्वती रुप में भी उन्होंने पुन: शिव को पति रूप में पाने के लिए घोर साधना कि और कठिन परीक्षा को सफलता से पूर्ण कर लेने पर ही प्रभु ने उन्हें पुन: वरण किया और शिव-पार्वती का विवाह संपन्न हुआ।


मां पार्वती की भांति स्वयं के लिए उत्तम वर का चयन करने हेतु सौभाग्य सुंदरी व्रत की पौराणिक महत्ता परिलक्षित होती है। इस व्रत के प्रभाव से अखंड सौभाग्यवती होने का आशिर्वाद प्राप्त होता है।


सौभाग्य सुंदरी पूजा 
सौभाग्य सुंदरी पूजन में माता गौरी और शिव भगवान की पूजा की जाती है साथ ही उनके समस्त परिवार का पूजन होता है। पूजन सामग्री में फूलों की माला, फल, भोग के लिए लड्डू, पान, सुपारी, इलायची, लौंग तथा सोलह श्रृंगार की वस्तुएं, जिनमें लाल साडी़, चूडियां, बिंदी, कुमकुम, मेहंदी, आलता, पायल रखते हैं। इसके अतिरिक्त सूखे मेवे, सात प्रकार के अनाज रखे जाते हैं।


व्रत का आरंभ करने वाली महिला प्रात:काल उठकर समस्त दैनिक क्रियाओं से निवृत होकर भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति या चित्रपट को लाल रंग के कपड़े से लपेट कर, लकडी की चौकी पर रखें। इसके बाद एक दीया भगवान के सम्मुख प्रज्ज्वलीत करें।


सर्वप्रथम श्री गणेश जी का पूजन किया जाता है। पूजन में श्री गणेश पर जल, रोली, मौली, चन्दन, सिन्दूर, सुपारी, लौंग, पान, चावल, फूल, इलायची, बेलपत्र, फल, मेवा और दक्षिणा चढाते हैं। इसके पश्चात नौ ग्रहों की पूजा की जाती है। अब समस्त शिव परिवार का पूजन करें। देवी के सम्मुख सभी सौभाग्य की वस्तुएं अर्पण करें, देवी की प्रतिमा को जल, दूध, दही से स्नान कराके वस्त्र आदि पहनाकर रोली, चन्दन, सिन्दुर, मेहंदी लगाएं। श्रृंगार की सोलह वस्तुओं से माता को सजाएं तदउपरांत मेवे, सुपारी, लौग, मेंहदी, चूड़ियां चढ़ाएं। पूजा संपन्न होने के उपरांत ब्राह्माण को दान व दक्षिणा दें।

 

सौभाग्य सुंदरी महत्व
इस दिन महिलाएं मनोनुकूल पति और पुत्र प्राप्ति के लिए इस व्रत को करती हैं। महिलाएं इस दिन तिल मिश्रित जल से शिव-पार्वती को स्नान करा कर यथोचित वस्त्र-स्वर्णाभूषण आदि से पूजा करते हुए मंत्र जाप करती हैं व मां से प्रार्थना करती हैं कि, हे माता आप मेरे पापों का नाश करें मुझे सौभाग्य प्रदान करें और मुझे सर्वसिद्धियां प्रदान करें।

 

यह व्रत सुख-सौभाग्य में वृद्धि करता है। सौभाग्य से जुडे होने के कारण इस व्रत को विवाहित महिलाएं और नवविवाहित महिलाएं करती है। इस उपवास को करने का उद्धेश्य अपने पति व संतान के लम्बे व सुखी जीवन की कामना करना है। जिन महिलाओं की कुण्डली में वैवाहिक सुख में कमी या विवाह के बाद अलगाव जैसे अशुभ योग बन रहे हों, उन महिलाओं को भी यह व्रत विशेष रुप से करना चाहिए। 

 

इस व्रत के विषय में यह मान्यता है कि,"यह उपवास नियम अनुसार किया जाए तो वैवाहिक सुख बढ़ता है तथा दांम्पत्य जीवन को सुखमय बनाए रखने में सहयोग करता है।"

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