नवरात्रि की कहानी

Edited By ,Updated: 28 Mar, 2017 09:13 AM

story of navaratri

दुर्गा मां के नौ दिनों को देश भर में अपने अपने अंदाज से मनाया जाता है। कहीं इस अवसर पर देवी के प्रति आस्था प्रकट करने के लिए कई

दुर्गा मां के नौ दिनों को देश भर में अपने अपने अंदाज से मनाया जाता है। कहीं इस अवसर पर देवी के प्रति आस्था प्रकट करने के लिए कई तरह के नृत्य पेश किए जाते हैं तो कहीं सांस्कृतिक कार्यक्रमों के अलावा दुर्गा पूजा होती है।  दुर्गा पूजा पश्चिम बंगाल में बहुत धूम धाम से मनाई जाती है। जब दुर्गा पूजा का आरंभ हुआ तो इसे पारिवारिक उत्सव के रूप में मनाया जाता था, फिर धीरे-धीरे यह एक सामाजिक उत्सव बन गया। कला का भी इससे जुड़ाव हुआ, जैसे कालांतर में प्रतिमाएं बनाना और साज-सज्जा जैसी कलाएं त्योहार से जुड़ती गईं।


नवदुर्गा यानी नवरात्र की नौ देवियां हमारे संस्कार एवं आध्यात्मिक संस्कृति के साथ जुड़ी हुई हैं। ईश-साधना और आध्यात्म का अद्भुत संगम है, जिसमें देवी दुर्गा की कृपा की बरसात होती है। सृष्टि के निर्माण के समय से ही शक्ति की आराधना की जाती रही है। सबसे पहले भगवान विष्णु ने मधु नामक दैत्य के वध के लिए इस व्रत का पालन कर अपने उद्देश्य में सफलता प्राप्त की। भगवान शंकर ने त्रिपुरासुर के नाश के लिए यही व्रत किया। जब देवगुरु बृहस्पति की भार्या का हरण चंद्रमा ने कर लिया तो इस समस्या के समाधान के लिए यही व्रत उन्होंने भी किया। त्रेता युग में प्रभु श्रीराम की भार्या सीता के लिए देवर्षि नारद के कहने से भगवान श्रीराम ने इस व्रत को करके रावण पर विजय पाई। यही अनुष्ठान महर्षि भृगु, वशिष्ठ, कश्यप ने भी किया। सभी प्रकार की मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए नवरात्र में शक्ति की अराधना श्रेष्ठ मार्ग है।

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