कई सालों से मंदिर की रक्षा कर रहा मगरमच्छ, सिर्फ प्रसाद का करता है सेवन

Edited By Punjab Kesari,Updated: 06 Jan, 2018 10:47 AM

the protector of this temple is a crocodile

भारत में ऐसे कई मंदिर तीर्थ स्थल आदि हैं जो अपनी-अपनी मान्यताओं को लेकर विश्वभर में प्रसिद्धी के मुख्य केंद्र बने हुए हैं। लेकिन इनमें से कुछ स्थान एेसे है जिनकी मान्यता के बारे में स्थानीय लोगों के अलावा और कोई नहीं जानता।

भारत में ऐसे कई मंदिर तीर्थ स्थल आदि हैं जो अपनी-अपनी मान्यताओं को लेकर विश्वभर में प्रसिद्धी के मुख्य केंद्र बने हुए हैं। लेकिन इनमें से कुछ स्थान एेसे है जिनकी मान्यता के बारे में स्थानीय लोगों के अलावा और कोई नहीं जानता। इन मान्यताओं के पीछे बहुत सारे दावे होते हैं। कुछ मान्यताएं इतनी दिलचस्प हैं जिनके बारे में जानकर आप भी हैरान और चौंक जाएंगे। तो आईए जाने एेसे ही एक मंदिर के बारे में जिसकी मान्यता और इतिहास बेहद दिलचस्प है।
 


इस मंदिर की झील में रहता है शाकाहारी मगरमच्छ
केरल का अनंतपुर मंदिर जो कासरगोड में स्थित है। यह केरल का एकमात्र झील मंदिर है। इस मंदिर की यह मान्यता है कि यहां की रखवाली एक मगरमच्छ करता है। ‘बबिआ’ नाम के मगरमच्छ से फेमस इस मंदिर में यह भी मान्यता है कि जब इस झील में एक मगरमच्छ की मृत्यु होती है तो रहस्यमयी ढंग से दूसरा मगरमच्छ प्रकट हो जाता है। दो एकड़ की झील के बीचों-बीच बना यह मंदिर भगवान विष्णु का है जि,से यहां भगवान अनंत-पद्मनाभस्वामी भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस मंदिर की झील में रहने वाला यह मगरमच्छ पूरी तरह शाकाहारी है और पुजारी इसके मुंह में प्रसाद डालकर इसका पेट भरते हैं।

 

पुजारियों के हाथ से प्रसाद खाता है यह ‘शाकाहारी मगरमच्छ’
स्थानीय लोगों का कहना है कि कितनी भी ज्यादा या कम बारिश होने पर झील के पानी का स्तर हमेशा एक-सा रहता है। यह मगरमच्छ अनंतपुर मंदिर की झील में करीब 60 सालों से रह रहा है। भगवान की पूजा के बाद भक्तों द्वारा चढ़ाया गया प्रसाद बबिआ को खिलाया जाता है। प्रसाद खिलाने की अनुमति सिर्फ मंदिर प्रबंधन के लोगों को है। मान्यता है कि इस मगरमच्छ को मंदिर के पुजारी अपने हाथों से खाना खिलाते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि मगरमच्छ झील के अन्य जीवों को नुकसान नहीं पहुंचाता।

 

पौराणिक कथा
लोग मान्यता अनुसार 1945 में एक अंग्रेज सिपाही ने गोली मारकर इस झील के मगरमच्छ को मार दिया था लेकिन अगले दिन सिपाही को वही मगरमच्छ पानी में तैरता मिला था। कुछ ही दिनों बाद अंग्रेज सिपाही की सांप के काट लेने से मौत हो गई। लोग इसे सांपों के देवता अनंत का बदला मानते हैं। माना जाता है कि अगर आप भाग्यशाली हैं तो आज भी आपको इस मगरमच्छ के दर्शन हो जाते हैं। मंदिर के ट्रस्टी श्री रामचंद्र भट्ट जी कहते हैं, “हमारा दृढ़ विश्वास है कि ये मगरमच्छ ईश्वर का दूत है और जब भी मंदिर प्रांगण में या उसके आसपास कुछ भी अनुचित होने जा रहा होता है तो यह मगरमच्छ हमें सूचित कर देता है”।

 


पत्थर की नहीं 70 से ज्यादा औषधियों से बनी है इस मंदिर की मूर्तियां
इस प्राचीन मंदिर की मूर्तियां किसी धातु या पत्थर की नहीं बल्कि 70 से ज्यादा औषधियों की सामग्री से बनी हुई हैं। इस प्रकार की मूर्तियों को ‘कादु शर्करा योगं’ के नाम से जाना जाता है। हालांकि, 1972 में इन मूर्तियों को पंचलौह धातु की मूर्तियों से बदल दिया गया था लेकिन अब इन्हें दोबारा ‘कादु शर्करा योगं’ के रूप में बनाने का प्रयास किया जा रहा है। यह मंदिर तिरुअनंतपुरम के अनंत-पद्मनाभस्वामी का मूल स्थान है। स्थानीय लोगों का विश्वास है की भगवान विष्णु यहीं आकर स्थापित हुए थे। लोक मान्यता है कि झील में एक मगरमच्छ की मृत्यु होती है तो रहस्यमयी ढंग से दूसरा मगरमच्छ प्रकट हो जाता है।

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!