Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Oct, 2017 11:04 AM
भारत में प्राचीन मंदिरों और पुराणों का खजाना भरा हुआ है और इसी के साथ यहां की धरती को देवभूमि के तौर पर भी जाना जाता है
भारत में प्राचीन मंदिरों और पुराणों का खजाना भरा हुआ है और इसी के साथ यहां की धरती को देवभूमि के तौर पर भी जाना जाता है। हिंदू ध्ार्म में हनुमान जी को जीवंत देवता के रूप में पूजा जाता है और माना जाता है कि जो उनकी श्रद्धाभाव से पूजा करता है, वह उसे अपनी उपस्थिति का एहसास जरूर करवाते हैं। धार्मिक नगरी उज्जैन से 30 किमी दूर स्थित सांवेर में उलटे हनुमान जी का एकमात्र मंदिर स्थित है, जहां पूरे साल भक्तों का जमावड़ा लगा रहता है।
इस मंदिर में आने वाले भक्तों का कहना है, राम भक्त के दर्शन करके वह अटूट भक्ति में लीन होकर सभी चिंताओं से मुक्त हो जाते हैं। यहां की खासियत है कि इस मंदिर में हनुमान जी की उलटी प्रतिमा स्थापित है और उनके उलटे चेहरे वाली सिंदूर लगी मूर्ति है। इसी वजह से मंदिर उलटे हनुमान के नाम से मालवा क्षेत्र में बहुत प्रसिद्ध है।
पौराणिक कथा
जब अहिरावण भगवान श्रीराम व लक्ष्मण का अपहरण कर पाताल लोक ले गया था, तब हनुमान ने पाताल लोक जाकर अहिरावण का वध कर श्रीराम और लक्ष्मण के प्राणों की रक्षा की थी। यह वही स्थान है, जहां से हनुमान जी ने पाताल लोक जाने हेतु पृथ्वी में प्रवेश किया था।
मान्यता
ऐसी मान्यता है कि तीन मंगलवार, पांच मंगलवार यहां दर्शन करने से जीवन में आई कठिन से कठिन विपदा दूर हो जाती है। सांवेर के इस मंदिर में श्रीराम, सीता, लक्ष्मण और भगवान शिव पार्वती की प्रतिमाएं हैं। मंगलवार को हनुमान जी को चौला भी चढ़ाया जाता है। यहां प्रतिष्ठित मूर्ति अत्यंत चमत्कारी मानी जाती है।
मंदिर परिसर में पीपल, नीम, पारिजात, तुलसी, बरगद के पेड़ हैं। यहां वर्षों पुराने दो पारिजात के वृक्ष हैं। पुराणों के अनुसार पारिजात वृक्ष में हनुमान जी का भी वास रहता है।
मंदिर के आसपास वृक्षों पर तोते कई झुंड बना कर रहते हैं। दंतकथा के अनुसार, हनुमान जी ने तुलसीदास जी के लिए तोते का रूप धारण कर उन्हें श्रीराम के दर्शन करवाए थे।