Edited By Punjab Kesari,Updated: 16 Oct, 2017 10:50 PM
रिसर्च पेपर्स पर नजर रखने ब्लॉग रिट्रैक्शन वॉच के अनुसार फेक पियर रिव्यू के कारण चीन को अपने पेपर्स को वापस लेने को मजबूर होना पड़ा है
पेइचिंगः अमरीका को छोड़कर दुनिया में सबसे ज्यादा सायंटिफ़िक आर्टिकल भी चीन तैयार कर रहा है लेकिन वर्चस्व की इस होड़ में उसे बड़ा झटका लगा है। 2012 से चीन को फ्रॉड स्कैंडल के कारण बड़ी संख्या में सायंटिफ़िक पेपर्स को वापस लेना पड़ा है।
रिसर्च पेपर्स पर नजर रखने ब्लॉग रिट्रैक्शन वॉच के अनुसार फेक पियर रिव्यू के कारण चीन को अपने पेपर्स को वापस लेने को मजबूर होना पड़ा है। हाल में संदिग्ध या फर्जी रिसर्च के कई हाई-प्रोफाइल स्कैंडल सामने आए हैं। इससे चीन की साख को भी बट्टा लगा है, जो सायंटिफ़िक सुपरपावर बनने का सपना देख रहा है।
शियान जियाओतोंग यूनिवर्सिटी में अप्लाइड फिजिक्स के प्रफेसर झांग ली ने कहा, 'साइंस के क्षेत्र में चीन ग्लोबल लीडर बनना चाहता है लेकिन आप इस मंजिल को कैसे प्राप्त करोगे? साइंस की गुणवत्ता को बनाए रखना चुनौती है। हमने अभी तक तय नहीं किया है कि इसे कैसे करना है।' गौरतलब है कि चीन ने साइंस, रिसर्च और टेक्नॉलजी के क्षेत्र में काफी प्रगति की है लेकिन उसे पाइरेसी और खराब गुणवत्ता की समस्या से भी जूझना पड़ रहा है।
अप्रैल में एक सायंटिफ़िक जर्नल ने 107 बायॉलजी रिसर्च पेपर्स को वापस कर दिया। इनमें से ज्यादातर के लेखक चीनी नागरिक थे। इससे पहले कुछ तथ्य सामने आए थे, जिसमें आर्टिकल को लेकर कई फर्जी जानकारी सामने आई थी।
इसी साल गर्मी में चीन के एक जीन साइंटिस्ट को अपना रिसर्च पेपर वापस लेना पड़ा, जबकि चीन में उसे सिलेब्रिटी का स्टेटस मिल चुका था। एक समय तो उस वैज्ञानिक को नोबेल पुरस्कार का हकदार भी माना जाने लगा था। उसका रिसर्च वापस हुआ क्योंकि दूसरे वैज्ञानिक उनके परिणाम को दोहरा नहीं सके।
उसी समय एक सरकारी जांच में सामने आया था कि चीन में ऑनलाइन एक ब्लैक मार्केट चल रहा है जहां पॉजिटिव पियर रिव्यू से लेकर पूरा रिसर्च आर्टिकल तक बिकता है। चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने इस बात पर जोर दिया है कि उनका मकसद देश को 2049 तक दुनिया का एक ग्लोबल सायंटिफ़िक ऐंड टेक्नॉलजी पावर बनाने पर है। लेकिन इन खुलासों से उनके प्रयासों को बड़ा झटका लगता दिख रहा है।