Edited By ,Updated: 11 Jan, 2017 06:56 PM
देश में दिनों दिन किसानों की अत्महत्या के कई मामले देखने को मिलते हैं।
नई दिल्ली : देश में दिनों दिन किसानों की अत्महत्या के कई मामले देखने को मिलते हैं। न जाने कितने मौतों का पता नहीं चलता तो कई मौतों के कारणों का पता नहीं चल पता है। किसानों की आत्महत्या के लिए देश की बढ़ती जनसंख्या का हवाला देने वालों को एनसीआरबी (नैशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो) के ये आंकड़े जरूर देखने चाहिए। एनसीआरबी ने हाल ही में कुछ आंकड़े जारी किए हैं जिसमें किसानों की आत्महत्या के कारणों का ब्यौरा दिया गया है। एनसीआरबी ने खेती करने वाले मजदूरों की आत्महत्या के लिए सबसे बड़ा कारण बीमारी और पारिवारिक समस्याओं को बताया है। किसान साहूकारों के जाल में फंस जाते हैं और एक समय के बाद अपना जीवन समाप्त करने के अलावा उनके पास कोई रास्ता नहीं रह जाता।
एनसीआरबी ने खेती करने वाले मजदूरों की आत्महत्या के लिए सबसे बड़ा कारण बीमारी और पारिवारिक समस्याओं को बताया है। किसान साहूकारों के जाल में फंस जाते हैं और एक समय के बाद अपना जीवन समाप्त करने के अलावा उनके पास कोई रास्ता नहीं रह जाता। डेटा के अनुसार 2015 में 1,843 यानी 40.1% किसानों ने पारिवारिक समस्याओं से और 872 यानी 19% किसानों ने बीमारी से परेशान होकर आत्महत्या की थी।
एनसीआरबी ने जब पूरी डिटेल निकाली तो आत्महत्या के निम्न कारण सामने आए
नशीली दवाओं के सेवन / मादक पदार्थों की लत से 312 या 6.8% किसानों की मौत
गरीबी से 178 या 3.9%
दिवालियापन या ऋणग्रस्तता से 3.4%
संपत्ति विवाद से 93 या 2%
विवाह संबंधित मुद्दे या दहेज से संबंधित मुद्दों, विवाह, तलाक / अतिरिक्त वैवाहिक मामलों से 90 या 2%