Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Oct, 2017 01:57 PM
सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के गुजरात दंगों की पीड़िता बिलकिस बानो को अधिक मुआवजे के लिए अलग से याचिका दायर करने की आज सलाह दी, साथ ही गुजरात सरकार से यह भी पूछा कि आखिर उसने बिलकिस बानो बलात्कार मामले में कर्तव्य का निर्वहन न करने वाले पुलिसकर्मियों के...
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के गुजरात दंगों की पीड़िता बिलकिस बानो को अधिक मुआवजे के लिए अलग से याचिका दायर करने की आज सलाह दी, साथ ही गुजरात सरकार से यह भी पूछा कि आखिर उसने बिलकिस बानो बलात्कार मामले के दोषी पुलिसकर्मियों को सेवा में फिर कैसे ले लिया? मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए.एम खानविलकर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने आश्चर्य व्यक्त किया कि आखिर बिलकिस बानो सामूहिक बलात्कार मामले में दोषी ठहराए गए पुलिसकर्मियों को एक्टिव पुलिस ड्यूटी में कैसे ले लिया गया?
कोर्ट ने गुजरात सरकार से मांगा जवाब
कोर्ट ने गुजरात सरकार से इस संदर्भ में चार सप्ताह के भीतर विस्तृत जवाब दायर करने को कहा है। न्यायालय ने राज्य सरकार से यह जवाब तब मांगा जब उसे बिलकिस की तरफ से पेश वकील ने यह बताया कि इस मामले में कर्तव्य का निर्वहन नहीं करने वाले तथा दोषी ठहराये गये पुलिसकर्मियों को फिर से काम पर रख लिया गया है। हालांकि राज्य सरकार की दलील थी कि आरोपी पुलिसकर्मियों ने अपनी सजा भुगत ली है।
बिलकिस याकूब रसूल ने कोर्ट से यह भी अनुरोध किया था कि उसे गुजरात सरकार से अधिक मुआवजा चाहिए, इस पर शीर्ष अदालत ने अंतरिम आदेश जारी करते हुए कहा कि याचिकाकर्त्ता ने दलील दी है कि निचली अदालत ने उसे कुछ मुआवजा दिए जाने को मंजूरी दी है, लेकिन उसे मुआवजे को बढ़वाने के लिए अपील की अनुमति दी जाती है। गोधरा कांड के बाद गुजरात में हुए दंगों में बिलकिस बानो के परिवार के कई सदस्यों को दंगाइयों ने मार डाला था। बिलकिस उस वक्त पांच महीने की गर्भवती थी। दंगाइयों ने उसके साथ सामूहिक बलात्कार भी किया था। जब बिलकिस ने पुलिस से गुहार लगाई तो उसे पुलिसकर्मियों ने गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी देकर भगा दिया था।