ट्रंप की नीतियों से अर्थशास्त्री भी असहमत

Edited By ,Updated: 17 May, 2016 09:25 PM

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अर्थशास्त्रियों में रिपब्लिकन पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की आर्थिक नीतियों पर सहमति नहीं देखी जा रही। कई का मानना है कि

अर्थशास्त्रियों में रिपब्लिकन पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की आर्थिक नीतियों पर सहमति नहीं देखी जा रही। कई का मानना है कि डोनाल्ड ट्रंप के मुताबिक आयात शुल्क बढ़ा कर और बड़े पैमाने पर अप्रवासियों को देश से जाने दिया जाएगा तो जनसांख्यिकीय दृष्टि से उन्हें वोटों का जो लाभ होना था वह नहीं मिल पाएगा। वैसे भी अमरीका की उत्साहहीन अर्थव्यवस्था में कम शिक्षित मतदाता कड़ा संघर्ष करके किसी तरह जीवन यापन कर रहे हैं। अगर वास्तव में ट्रम्प नीतियों को लागू कर दिया गया, तो जिस सामान पर कम आय वाले लोग निर्भर हैं उसकी कीमतें बढ़ जाएंगी और यह कम आय वाली श्रम शक्ति उसे लेना बंद कर देगी। इससे मंदी की शुरूआत हो जाएगी। ट्रंप कहते हैं कि वह व्यापारिक भागीदारों से बातचीत में वह बड़ी सख्ती बरतेंगे। बहस पर कम ध्यान दिया जाएगा। अपरंपरागत आर्थिक विचारों पर हमेशा प्रहार करते रहेंगे। यहां उनकी नीतियों पर पोलिटीको मैगजीन के साभार से कुछ अर्थशा​स्त्रियों की प्रतिक्रियाएं दी जा रही हें।

मूडी एनालिटिक्स के मुख्य अ​र्थशास्त्री मार्क जेंदी का कहना है कि इस कठिन दशक में कई लोग नाराज और परेशान हैं। यदि ट्रंप की नीतियों को लागू कर दिया जाता है तो वे हमारी अर्थव्यवस्था के लिए आपदा साबित होंगी। जेंदी वर्ष 2008 में जॉन मैकेन के राष्ट्रपति चुनाव अभियान के सलाहकार भी रह चुके हैं। वह कहते हैं कि यदि एक वर्ष में 11 मिलियन अप्रवासी लोगों को जबरदस्ती देश छोड़ने के लिए कहा जाएगा तो निराशा ही देखने को मिलेगी। जैसा ट्रंप कह रहे हैं उससे लोगों को मदद नहीं मिलने वाली है। वे इसका साधारण कारण बताते हैं कि अर्थव्यवस्था रोजगार देने के लक्ष्य के समीप पहुंच जाएगी। दिसंबर में 292000 नौकरियों के अवसर मिलेंगे। बेरोजगारों की दर 5 फीसदी रह जाएगी।

यदि 11 मिलियन अप्रवाासी किसी अन्य देश में चले जाएंगे तो जो नौकरियां वे रेस्टोरेंट, होटल, कम आमदनी वाले निर्माण कार्यों में कर रहे थे,वे खाली हो जाएंगी। यह अर्थशास्त्री बताते हैं कि इससे सकल घरेलू उत्पाद यानि जीडीपी को धक्का पहुंचेगा। इसका असर उन कंपनियों पर भी होगा जो इन लोगों द्वारा तैयार किए गए माल की आपूर्ति और अन्य सेवाएं उनसे संबंधित व्यापार को दिया करती थीं। इन अप्रवासियों के जाने से सामान के खरीददार भी कम हो जाएंगे,इससे अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी।

डोलाल्ड ट्रंप मैक्सिको,चीन और अन्य देशों से जो माल आयात होता है उस पर अधिक शुल्क लगाने की बात भी करते हैं। इस पर कई अर्थशाास्त्रियों का कहना है कि इससे भी समस्या उत्पन्न् हो जाएगी। यदि अमरीका के उपभोक्ता आखिरकार इस शुल्क को बड़ी कीमतों के रूप में अदा करेंगे तो देश में उत्पादन कम होता जाएगा।

मिशिगन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मार्क जे पैरी के मुताबिक जो लोग वास्तव में अर्थशास्त्र को नहीं समझते हैं वे सामान्यत: यह गलती कर जाते हैं कि निर्यातकों पर शुल्क लगा दिया जाए। यह तो अमरीकी उपभाक्ताओं पर टैक्स लगाना होगा। अमरीका में जो भी आयात होता है वह कच्चा माल होता है। यहां अमरीकी कंपनियों को इसका फायदा यह होता है कि सस्ते में आयात किए गए माल को वे अपने कर्मचारियों से तैयार करवाती हैं। पैरी अमरीकन एंटरप्राइसि​स इंस्टीट्यूट में शोध कार्य भी कर रहे हैं। उनका कहना है कि ट्रंप सौ साल पुरानी व्यापारिक स्थिति को लाना चाहते हैं।

ट्रंप की टैक्स पॉलिसी के बचाव में लैरी कुडलो सामने आए हैं। वे पूर्व राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन के कार्यालय में काम करते थे और अर्थशास्त्री हैं। उनके अनुसार इस पॉलिसी की अहम बात यह है कि कॉरपोरेट दरों को कम करना और अन्य देशों से धन लाना। इससे अर्थव्यवस्था का विकास होगा। सबसे फायदा मध्यम वर्ग के लोगों को होगा। जबकि कुडलो अन्य रिपब्लिकन अर्थशास्त्रियों की तरह बड़े पैमाने पर अप्रवासियों को देश से निकालने और उद्योगों पर बड़े-बड़े शुल्क लगाए जाने के पक्ष में नहीं हैं। वे अपनी बात दोहराते हैं कि यदि कॉरपोरेट दरों को कम कर दिया जाएगा तो पूंजी चीन ने अपने आप वापस आने लगेगी। फिर आपको बड़े शुल्क लगाने की जरुरत भी पड़ेगी, जिससे उपभोक्ताओं को चोट पहुंचती है।

सि्टफल निकोलोस की मुख्य अर्थशास्त्री लिंडसे पाइग्जा का मानना है कि उन्हें नहीं लगाता कि ट्रंप अर्थव्यवस्था को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रहे हैं। यह उनका राजनीतिक मकसद है। डॉलर के मजबूत होने से इस समय अमरीका के निर्यात में गिरावट आई है। ऐसे में यदि शुल्क दर को बढ़ा दिया गया तो इससे खतरा यह होगा कि यह निर्यात को बुरी तरह प्रभावित करेगा। जो देश अमरीका की शुल्क दरों से प्रभावित होंगे वे इसका मुंहतोड़ जवाब देंगे,फिर व्यापारिक युद्ध शुरू हो सकता है।  

वे कहती हैं कि मान लेते हैं कि अमरीका से 11 मिलियन अप्रवासियों को वापस भेज दिया जाए,लेकिन श्रम शक्ति के जाने से जो नौकरियां अमरीकी लोगों के लिए उपलब्ध होंगी क्या वे उन्हें करना चाहेंगे?

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