भारत के युद्ध भंडार की स्थिति विस्फोटक, कैग ने दिखाया आईना

Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Jul, 2017 11:50 AM

indian army ammunition stock in critical level

चीन और पाकिस्तान बॉर्डर पर जारी तनाव के बीच भारत के नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) की एक विस्फोटक रिपोर्ट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार को आईना दिखाया है

नई दिल्ली/बीजिंग/इस्लामाबाद: चीन और पाकिस्तान बॉर्डर पर जारी तनाव के बीच भारत के नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) की एक विस्फोटक रिपोर्ट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार को आईना दिखाया है। PM मोदी और उनके मंत्रिमंडल के सदस्य लगातार कह रहे हैं कि उनकी सरकार दुश्मनों के साथ कोई मुरौवत नहीं बरतेगी, लेकिन कैग की रिपोर्ट में साफ तौर से कहा गया है कि भारत के पास लंबे समय तक युद्ध के लिए पर्याप्त गोला-बारूद नहीं है। सीएजी ने सेना के पास गोला-बारूद में भारी कमी होने की रिपोर्ट संसद में पेश की है। रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से लिखा है कि अगर भारतीय सेना को लगातार 10 दिन युद्ध करना पड़ गया तो उसके पास पर्याप्त गोला-बारूद नहीं है। 

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ज्यादातर ऑर्डिनेंस डील पेंडिंग 
कैग रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय सेना ने अपनी ताकत बढ़ाने के लिए 2009 से 2013 के बीच हथियार, फाइटर प्लेन आदि खरीदने के लिए कई डील किए हैं, लेकिन उनमें से अधिकतर जनवरी 2017 तक पेंडिंग थे। यह भी कहा गया है कि हमारे देश की ऑर्डिनेंस फैक्ट्री जरूरत के हिसाब से गोला-बारूद का निर्माण नहीं कर पा रही है। 2013 के बाद ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड की ओर से सप्लाई में कोई बढ़ोत्तरी नहीं हुई है।सेना की जितनी डिमांड है उतना गोला-बारूद तैयार नहीं किया जा रहा है।

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क्षतिग्रसत सामानों की मुरम्मत नहीं 
 कैग रिपोर्ट में कहा गया है कि देश की ऑर्डिंनेस फैक्ट्रियां पर्याप्त उत्पादन नहीं कर पाने के साथ क्षतिग्रसत सामानों की मुरम्मत भी नहीं कर पा रही है। गोला-बारूद के डिपो में अग्निशमनकर्मियों की कमी रही और उपकरणों से हादसे का खतरा रहा। रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल जनवरी में आर्मी के गोला-बारूद मैनेजमेंट का फॉलोअप ऑडिट किया गया। 

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बख्तरबंद वाहनो की क्षमता कम
बताया गया है कि ऑपरेशन की अवधि की जरूरतों के हिसाब से सेना में वॉर वेस्टेज रिजर्व रखा जाता है। रक्षा मंत्रालय ने 40 दिन की अवधि के लिए इस रिजर्व को मंजूरी दी थी। 1999 में आर्मी ने तय किया कि कम से कम 20 दिन की अवधि के लिए रिजर्व होना ही चाहिए। सितंबर 2016 में पाया गया कि सिर्फ 20 फीसदी गोला-बारूद ही 40 दिन के मानक पर खरे उतरे। 55 फीसदी गोला बारूद 20 दिन के न्यूनतम स्तर से भी कम थे। हालांकि इसमें बेहतरी आई है, लेकिन बेहतर फायर पावर को बनाए रखने के लिए बख्तरबंद वाहन और उच्च क्षमता वाले गोला-बारूद जरूरी लेवल से कम पाए गए।

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गोला-बारूद की कमी क्रिटिकल 
रिपोर्ट के मुताबिक, मंत्रालय ने 2013 में रोडमैप मंजूर किया था, जिसके तहत तय किया गया कि 20 दिन के मंजूर लेवल के 50 फीसदी तक ले जाया जाए और 2019 तक पूरी तरह से भरपाई कर दी जाए।10 दिन से कम अवधि के लिए गोला-बारूद की उपलब्धता क्रिटिकल (बेहद चिंताजनक) समझी गई है. 2013 में जहां 10 दिन की अवधि के लिए 170 के मुकाबले 85 गोला-बारूद ही (50 फीसदी) उपलब्ध थे, अब भी यह 152 के मुकाबले 61 (40 फीसदी) ही उपलब्ध हैं। 
 

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