जाते-जाते मोदी को बड़ी नसीहत दे गए प्रणब मुखर्जी

Edited By Punjab Kesari,Updated: 24 Jul, 2017 09:34 AM

pranab mukherjee has given a big boost to modi

निवर्तमान राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने खुद को ‘संसद की देन’ करार देते हुए कहा कि संसदीय जीवन में उन्हें कई नेताओं से बहुत कुछ सीखने को मिला।

नई दिल्ली: निवर्तमान राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने खुद को ‘संसद की देन’ करार देते हुए कहा कि संसदीय जीवन में उन्हें कई नेताओं से बहुत कुछ सीखने को मिला। संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में रविवार को आयोजित विदाई समारोह में मुखर्जी ने कहा कि जब मैंने पहली बार लोकतंत्र के इस मंदिर में कदम रखा था तब मेरी उम्र 34 साल थी। मैं 37 साल तक किसी न किसी सदन का हिस्सा रहा। यदि मैं यह दावा करूं कि मैं इस संसद की देन हूं तो यह अभद्रता कतई नहीं होगी। उदासी के भाव के साथ मैं अब आलीशान भवन को अलविदा कहूंगा।

अध्यादेश का सहारा न ले सरकार
मुखर्जी ने कहा कि अध्यादेश के रूप में कार्यपालिका को कानून बनाने का असाधारण अधिकार दिया गया है, लेकिन अध्यादेश का रास्ता बाध्यकारी परिस्थितियों में ही अपनाया जाना चाहिए। प्रणव ने संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में आयोजित अपने विदाई भाषण में कहा, ‘‘मौद्रिक मामलों में तो अध्याधेश का सहारा कतई नहीं लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अध्यादेश का रास्ता वैसे मामलों में भी नहीं अपनाया जाना चाहिए जिन पर सदन में या इसकी किसी समिति के समक्ष विचार-विमर्श किया जा रहा है अथवा किसी सदन में पेश किया जा चुका है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यदि कोई मामला ज्यादा जरूरी प्रतीत होता है तो संबंधित समिति को संबंधित स्थिति के बारे में अवगत कराया जाना चाहिए और उसे एक निर्धारित समय के भीतर अपनी रिपोर्ट पेश करने को कहना चाहिए।’’ प्रणव ने जी.एस.टी. विधेयक के पास होने को ऐतिहासिक बताया। उन्होंने कहा, ‘‘यह हमारे लोकतंत्र की परिपक्वता को दर्शाता है।’’
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इंदिरा गांधी से लेकर दिग्गज नेताओं को किया याद
मुखर्जी ने अपने विदाई भाषण में इंदिरा गांधी और जवाहर लाल नेहरू से लेकर लाल कृष्ण अडवानी, सोनिया गांधी जैसे तमाम वरिष्ठ नेताओं का भी जिक्र किया।

मोदी की तारीफ की
निवर्तमान राष्ट्रपति ने अपने प्रति प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सहयोगात्मक रवैये एवं गर्मजोशी से भरे व्यवहार को भी याद किया। उन्होंने संसद में समय की बर्बादी पर चिंता भी जताई। उन्होंने संसद में गतिरोध पर सीख देते हुए कहा कि पहले वहां गंभीर चर्चा होती थी। प्रणव ने कहा कि संसद ने मुझे एक व्यक्ति के रूप में निर्मित किया। लोकतंत्र के इस मंदिर में मेरी रचना हुई। मैं थोड़ा भावुक महसूस कर रहा हूं। आप सभी को इस शानदार विदाई समारोह के लिए शुक्रिया।

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