Edited By ,Updated: 17 Feb, 2017 01:33 PM
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) केंद्र की मोदी सरकार पर उसके कार्यकर्ताओं के कामकाज को अंजाम देने का दबाव बढ़ाएगा।
नई दिल्ली : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) केंद्र की मोदी सरकार पर उसके कार्यकर्ताओं के कामकाज को अंजाम देने का दबाव बढ़ाएगा। संघ का बौद्धिक विंग कहे जाने वाले प्रज्ञा प्रवाह की बैठक में इस मामले की सहमति बनी है। सूत्र बताते हैं कि पीएम मोदी के गृह राज्य गुजरात के अहमदाबाद में 11 से 12 फरवरी तक प्रवाह की बैठक चली। बैठक में प्रज्ञा प्रवाह के प्रमुख डा. सदानंद सप्रे ने खुद इस बात का प्रस्ताव रखा की वैचारिक लड़ाई तो ठीक है लेकिन कार्यकर्ताओं के कामकाज के मामले में हमें बचाव की मुद्रा में नहीं रहना चाहिए।
गुजरात में 2 दिन तक चली संघ की बैठक
इस प्रयास में देश के नामचीन बौद्धिक संस्थानों विश्व विद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी), साहित्य आकदमी, भारतीय इतिहास अनुसंधान संस्थान (आईसीएचआर), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर), वैज्ञानिक उद्योग अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर) और भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएसएसआर) की आजादी के बाद से आर्थिक कुंडली खंगाली जाएगी। संघ अधिकारियों का मानना है कि पुरस्कार वापसी करने वाले अधिकांश नामचीन चेहरे कहीं न कहीं इन बौद्धिक संस्थानों से जुड़े रहे हैं। इन संस्थानों की कुंडली खंगालकर भगवा विरोधी बौद्धिक चेहरों को बेनकाब किया जा सकता है।
अहमदाबाद में 2 दिनों तक चली संघ के बौद्धिक विंग की बैठक में संघ के सहसरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले, राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य इंद्रेश कुमार, अखिल भारतीय सहप्रचार प्रमुख जे नंद कुमार के अलावा पूर्व भाजपा अध्यक्ष डा. मुरली मनोहर जोशी भी उपस्थित थे। बैठक में शामिल एक अधिकारी के अनुसार सरकार में कार्यकर्ताओं के कामकाज संपन्न कराने के मामले को लेकर संघ के क्षेत्र और प्रांत स्तर के अधिकारियों का शीर्ष नेतृत्व पर दबाव बढ़ा है।