डाकुओं से निपटने के लिये चीन पनडुब्बी क्यों करता है तैनात ?

Edited By Punjab Kesari,Updated: 01 Dec, 2017 08:16 PM

why the china submits submarine

क्या पनडुब्बी का इस्तेमाल समुद्री डाकुओं से निपटने के लिये किया जा सकता है? अफ्रीकी देश सोमालिया के निकट अदन की खाड़ी में सोमालियाई समुद्री डाकुओं से निपटने के बहाने चीन द्वारा अपनी तीन पनडुब्बियों को पिछले कुछ सालों से तैनात करने की मंशा पर नौसेना...

नई दिल्ली ( रंजीत कुमार ): क्या पनडुब्बी का इस्तेमाल समुद्री डाकुओं से निपटने के लिये किया जा सकता है? अफ्रीकी देश सोमालिया के निकट अदन की खाड़ी में सोमालियाई समुद्री डाकुओं से निपटने के बहाने चीन द्वारा अपनी तीन पनडुब्बियों को पिछले कुछ सालों से तैनात करने की मंशा पर नौसेना प्रमुख एडमिरल लांबा ने शक जाहिर किया है। उन्होंने कहा कि यह बड़ा अजीब लगता है कि समुद्री डाकुओं से निपटने के लिये चीन अपनी पनडुब्बियों को तैनात रखता है। 

पनडुब्बियों पर भारतीय नौसेना की नजर 
एडमिरल लांबा ने यहां नौसेना दिवस के मौके पर मीडिया से बातचीत में कहा कि डाकुओं से निपटने का यह कोई आदर्श हथियार नहीं कहा जा सकता। उन्होंने कहा कि चीन की पनडुब्बियों पर भारतीय नौसेना लगातार निगाह रखती है। हम इन पनडुब्बियों की तैनाती के मदद्ेनजर खतरे का लगातार आकलन करते रहते हैं। उन्होंने कहा कि चीन की पीएलए नेवी की आठ-नौ पनडुब्बियां हमेशा हिंद महाासागर में विचरण करती रहती हैं। इनमें से तीन डाकू विरोधी कार्रवाई के नाम पर तैनात की जाती  हैं। इन पनडुब्बियों के साथ एक सहायक युद्धपोत भी चलता रहता है। एडमिरल लांबा ने बताया कि 2008 में अदन की खाड़ी में चीन ने अपने युद्धपोत भेजने शुरू किये और बाद में पनडुब्बियों को तैनात किया जाने लगा। एडमिरल लांबा ने कहा कि हम उन पर सतत निगाह रखते हैं। 

उल्लेखनीय है कि 2008 में अदन की खाड़ी में सोमालियाई डाकूओं का आतंक बढऩे के बाद भारत सहित कई देशों ने अपने युद्धपोत वहां भेजे थे। भारत के दो युद्धपोत वहां गश्ती ड्यूटी पर हमेशा तैनात रहते हैं। इन पोतों पर तैनात हेलीकाप्टरों की मदद से समुद्री डाकुओं की नौकाओं पर निगाह रखी जाती है और नजर आने पर उनसे हवाई गोलाबारी से निपटा जाता है। भारतीय पोतों ने इन डाकुओं को पकडऩे में अक्सर कामयाबी हासिल की है लेकिन चीनी नौसेना ने कभी भी ऐसी कोई घटना नहीं बताई। नौसैनिक अधिकारियों के मुताबिक इन डाकुओं से किसी पनडुब्बी से कैसे निपटा जा सकता है यह समझ से परे है। 

ग्वादार बंदरगाह मुम्बई से 500 किलोमीटर दूर स्थित
एडमिरल लांबा ने कहा कि हम 24-48 घंटे के भीतर उन पर निगाह मार लेते हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या पाकिस्तान के ग्वादार बंदरगाह पर चीन अपनी पनडुब्बियां ठहराता है तो इस पर उन्होंने कहा कि इस बंदरगाह का निर्माण चीन पाक आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) के लिये किया गया है और वहां फिलहाल चीनी पनडुब्बियों को नहीं देखा गया है लेकिन यदि चीन की पनडुब्बियों ने ग्वादार को अपना पड़ाव बनाना शुरू किया तो हालात बदल जाएंगे और हम इसके अनुरूप कदम उठाएंगे। उल्लेखनीय है कि ग्वादार बंदरगाह मुम्बई से पांच सौ किलोमीटर दूर स्थित है। ग्वादार के पास ही पसनी बंदरगाह पर चीनी पनडुब्बियों  के जाने के बारे में कोई जानकारी नहीं होने की बात उन्होंने की। उल्लेखनीय है कि भारत के एतराज पर श्रीलंका ने अपने अड्डे पर चीनी पनडुब्बियों को ठहरने की इजाजत देनी बंद कर दी है। नौसैनिक अधिकारियों के मुताबिक चीन की ये पनडुब्बियां मलक्का जलडमरूमध्य से होकर हिंद महासागर में प्रवेश करती हैं जहा अब भारतीय नौसेना ने चौकसी बढ़ा दी है।
 

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