Edited By ,Updated: 31 Mar, 2015 08:36 AM
अरुणिमा सिन्हा का नाम कानों में पड़ते ही गर्व महसूस होने लगता है। अरुणिमा की पहचान उसका हौसला और उसका आत्मविश्वास है
नई दिल्ली: अरुणिमा सिन्हा का नाम कानों में पड़ते ही गर्व महसूस होने लगता है। अरुणिमा की पहचान उसका हौसला और उसका आत्मविश्वास है जो उनको सबसे अलग करता है। चार साल पहले दुर्घटना में एक पैर गंवाने वाली 26 वर्षीय अरुणिमा सिन्हा अगले माह ऑस्ट्रेलिया जाएंगी जहां वह उसकी सबसे ऊंची चोटी माउंट कोस्कीयूज्को को फतह करने का प्रयास करेंगी।
अरुणिमा इससे पहले दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर भी सफलतापूर्वक चढ़ चुकी हैं। गत सोमवार को पद्म श्री से नवाजी गईं अरुणिमा ने कहा कि यह प्रतिष्ठित नागरिक सम्मान मिलने से वह खुश हैं और देश और मीडिया की आभारी हैं जिन्होंने मुश्किलों में समय उनका समर्थन किया।
राष्ट्रीय स्तर की वालीबॉल खिलाड़ी अरुणिमा को 2011 में सी.आई.एस.एफ में शामिल होने के लिए परीक्षा देने के लिए जाते वक्त चलती ट्रेन से चोरों ने बाहर फेंक दिया था क्योंकि उन्होंने उनसे पर्स और चेन छीनने के प्रयास का विरोध किया था। इस घटना में अरुणिमा को अपना एक पैर गंवाना पड़ा। उस घटना के दो साल के भीतर अरुणिमा प्रतिष्ठित पर्वतारोही बछेंद्री पाल से ट्रेनिंग लेने के बाद 17 घंटे में माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने में सफल रहीं।