Edited By ,Updated: 30 Jun, 2015 08:15 AM
कलयुग में हनुमान जी की पूजा अपने मनोरथों को पूर्ण करने का सबसे प्रभावकारी और सरलतम माध्यम है। भगवान श्रीराम भक्त हनुमान का पूजन करने से लगभग समस्त देवी देवताओं का पूजन हो जाता है....
कलयुग में हनुमान जी की पूजा अपने मनोरथों को पूर्ण करने का सबसे प्रभावकारी और सरलतम माध्यम है। भगवान श्रीराम भक्त हनुमान का पूजन करने से लगभग समस्त देवी देवताओं का पूजन हो जाता है । इसीलिए मंगलवार और शनिवार के दिन हनुमान मंदिर में लोगों की लंबी कतारें लगती है और संकटमोचन के नाम से जानें वाले हनुमान जी से लोग अपनी मुरादें मांगते हैं लेकिन आपने कभी एेसा स्थान के बारे में सुना हैं जहां हनुमान जी का नाम लेना भी गुनाह माना जाता है।
यहां के लोगों के मन में हनुमान जी के प्रति कोई भावना इसलिए नहीं हैं क्योंकि यहां के लोग हनुमान जी को चोर कहते हैं, वह भी पहाड़ का चोर ।लोगों के मन में हनुमान जी के प्रति ये नफरत आज की नहीं ब्लकि उस समय से जब मेघनाद के नागपाश में बंधकर लक्ष्मण जी बेहोश हो गये थे और सुषेण नामक वैद्य ने लक्ष्मण को होश में लाने के लिए हनुमान जी से हिमालय से संजीवनी बूटी लाने के लिए कहा ।तब हनुमान जी संजीवनी बूटी की तलाश करने के लिए निकल गए और जब हनुमान जी द्रोणगिरी पर्वत पहुंचे जो उत्तराखंड के चमोली जिला में स्थित है और इसी पर्वत की तलहटी में द्रोणागिरी नामक गांव बसा हुआ है ।
उस समय हनुमान जी को संजीवनी बूटी तक पहुंचाने के लिए उसी गांव में रहने वाली एक बूढ़ी औरत ने मदद की लेकिन हनुमान जी संजीवनी बूटी ले जाने की बजाय पूरा पहाड़ का वह हिस्सा ही उखाड़कर ले गए । एेसा करने की वजह से इस गांव के लोग आज भी हनुमान जी से नाराज है। इसलिए इस गांव में हनुमान जी का नाम लेने वाले और उनकी पूजा करने वाले को बिरादरी से बाहर भी कर दिया जाता है ।परंतु भगवान राम जी की पूजा पूरी विधिपूर्वक की जाती हैं और हर साल लोग द्रोणगिरी की पूजा करते हैं लेकिन इस पूजा में महिलाओं को शामिल नहीं किया जाता क्योंकि संजीवनी बूटी तक पहुंचने का रास्ता एक महिला के द्वारा बताया गया था और महिला ने ही द्रोणगिरी पर्वत का वह हिस्सा दिखाया था ।