Edited By ,Updated: 05 Aug, 2015 04:41 PM
कोर्ट ने एक महिला द्वारा अपने पति से गुजारा भत्ता मांगने की याचिका को यह कहकर खारिज कर दिया कि आज के समय में महिलाओं से घर में आर्थिक मदद की उम्मीद की जाती है
नई दिल्ली: कोर्ट ने एक महिला द्वारा अपने पति से गुजारा भत्ता मांगने की याचिका को यह कहकर खारिज कर दिया कि आज के समय में महिलाओं से घर में आर्थिक मदद की उम्मीद की जाती है, ना कि बेकार बैठने की। मेट्रोपॉलिटन मैजिस्ट्रेट मोना टारडी ने फैसला सुनाते हुए कहा कि महिला ने खुद यह स्वीकार किया है कि उसने ब्यूटिशन का कोर्स किया है जिसका मतलब है कि उसके पास काम करने और कमाने का हुनर तो है, लेकिन इसके बावजूद वह काम करना नहीं चाहती।
उन्होंने आगे कहा कि आज के जमाने में महिलाओं से भी उम्मीद है कि वह काम कर घर में आर्थिक रूप से सहयोग करेगी। इसी आधार पर कोर्ट ने फैसला सुनाया कि शिकायतकर्ता के पक्ष में वित्तीय गुजारे का फैसला नहीं दिया जा सकता है। अपनी अपील में महिला ने दलील दी थी कि वह एक गृहिणी थी और अब पति से अलग होने के बाद गुजारे के लिए अपने माता-पिता पर निर्भर है। उसने यह भी दावा किया था कि उसके पति की मासिक आय 60,000 रुपए है।
वहीं, उसके पति ने कहा कि वह बेरोजगार है। उसने यह भी दलील दी कि उसकी पत्नी एक प्रशिक्षित ब्यूटिशन है और एक ब्यूटी पार्लर में काम करके 15,000 रुपए महीना कमाती है इसलिए उसे गुजारे की रकम की जरूरत नहीं है।