वैश्विक विकास सुस्त: जी7

Edited By ,Updated: 27 May, 2016 01:47 PM

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दुनिया की 7 औद्योगिक महाशक्तियों के समूह जी-7 ने वैश्विक विकास की धीमा रफ्तार पर चिंता जताई तथा प्रतिस्पद्र्धी मुद्रा अवमूल्यन से बचने की सलाह दी है।

इसे-शिमाः दुनिया की 7 औद्योगिक महाशक्तियों के समूह जी-7 ने वैश्विक विकास की धीमा रफ्तार पर चिंता जताई तथा प्रतिस्पद्र्धी मुद्रा अवमूल्यन से बचने की सलाह दी है। जी-7 देशों के राष्ट्राध्यक्षों की 2 दिवसीय बैठक के बाद जारी बयान में कहा गया, "वैश्विक विकास की गति सुस्त तथा क्षमता से कम है। यह हमारी तात्कालिक प्राथमिकता है। हमने एक और आर्थिक मंदी से बचने के लिए हमारी अर्थव्यव्स्था को प्रतिरोधक क्षमता के मामले में मजबूत किया है। इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए हम वर्तमान आर्थिक परिस्थितियों से निपटने के लिए समय रहते हर उचित नीतिगत फैसले करने का प्रण दुहराते हैं।''

बत्तीस पन्नों के इस बयान में बाजार आधारित विनिमय दर सुनिश्चित करने तथा ‘मुद्रा के प्रतिस्पद्र्धी अवमूल्यन’ से बचने की बात भी कहीं गई है। साथ ही विनिमय दर में अतार्किक बदलावों के खिलाफ चेताया भी गया है। इस मुद्दे पर जापान तथा अमरीका दोनों ने अपने-अपने रुख पर थोड़ा समझौता किया है। जापान पिछले दिनों कह चुका है कि यदि उसकी मुद्रा येन बहुत ज्यादा तेजी से बढ़ती है तो सरकार इसमें दखलअंदाजी कर सकती है। वहीं, अमरीका आम तौर पर बाजार में हस्तक्षेप का विरोधी रहा है।  जी-7 ने मजबूत, टिकाऊ तथा संतुलित विकास के लिए और अधिक मजबूत एवं संतुलित नीति बनाने का निर्णय किया है। हालांकि, इसमें हर देश की परिस्थितियों के हिसाब से लचीलेपन की गुंजाइश भी रखी गई है।  

संगठन ने जरूरत से ज्यादा औद्योगिक क्षमता को, विशेषकर इस्पात क्षेत्र में, प्रमुख चुनौती बताया और कहा कि इसका दुष्प्रभाव वैश्विक हो सकता है। इसके अलावा यूरोपीय संघ से ब्रिटेन के बाहर होने की संभावना के बारे में कहा गया है कि यदि ऐसा हुआ तो यह भी वैश्विक विकास के लिए गंभीर खतरा होगा। अमरीका तथा चीन के अलावा ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी और इटली जी-7 के सदस्य हैं। 

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