लाभ के लिए उपयुक्त है ‘ग्रुप बाइंग’

Edited By ,Updated: 24 Aug, 2016 03:04 PM

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गत वर्षों में सम्पत्ति की ऊंची कीमतों ने अनेक स्थानों पर उसे आम आदमी की पहुंच से बहुत दूर कर दिया है।

जालंधरः गत वर्षों में सम्पत्ति की ऊंची कीमतों ने अनेक स्थानों पर उसे आम आदमी की पहुंच से बहुत दूर कर दिया है। अधिक कीमतों की वजह से अनेक लोगों का अपना घर खरीदने का सपना पूरे होने का इंतजार भी और लम्बा हो चुका है परंतु इस समस्या से निपटने के लिए भी कुछ उपायों का इस्तेमाल किया जा सकता है। ऐसा ही एक तरीका है ‘ग्रुप बाइंग’ यानी समूह में खरीदारी जिसके जरिए ग्राहक बिल्डरों से भारी छूट का फायदा उठा सकते हैं।

 

कई बार बिल्डरों की परियोजनाओं में काफी घर या प्लाट्स बिके नहीं होते हैं। ऐसे में बिल्डर समूह में खरीद करने वालों को अच्छा-खासा डिस्काऊंट ऑफर करते हैं। ग्रुप बाइंग के लिए एक ही तरह की सम्पत्ति में दिलचस्पी रखने वाले ग्राहकों को अपना एक समूह या गुट बनाना पड़ता है।

 

खास बातें

इस संबंध में सहायता के लिए अब इंटरनैट पर कुछ वैबसाइट्स भी काम कर रही हैं जिनके जरिए ग्राहक अपनी पसंदीदा सम्पत्ति के समूह में शामिल हो सकते हैं। समूह खुद या फिर तीसरी पार्टी के जरिए बिल्डर से मोल-भाव कर सकता है। एक साथ कई घर बिकने की वजह से बिल्डर प्रॉपर्टी पर ज्यादा छूट देते हैं।

 

ज्यादा घरों की बिक्री, मार्कीटिंग पर कम खर्च, ज्यादा नकदी मिलने की सम्भावना की वजह से बिल्डरों को ग्रुप बाइंग का रुझान लुभाने लगा है। साथ ही बिल्डर एक प्रोजैक्ट खत्म करके नए प्रोजैक्ट पर पूरा ध्यान दे पाता है। खरीदारों के लिए भी ग्रुप बाइंग बेहतरीन तरीका है। अकेले मोल-भाव करने के मुकाबले गुट बनाने से ग्राहकों का पलड़ा ज्यादा भारी होता है जिससे सम्पत्ति पर ज्यादा छूट मिल पाती है। सम्पत्ति खरीदने से जुड़े बाकी खर्च जैसे होम लोन, वकील की फीस में भी ग्रुप बायर्स को फायदा होता है।

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