धन-संपत्ति के मालिक की हथेली में होता है अष्ट लक्ष्मी योग, करवाता है विदेश यात्राएं

Edited By ,Updated: 05 Oct, 2016 12:56 PM

ashta laxmi yog

जिस तरह जन्म कुंडली में ग्रहों के द्वारा अनेक योगों का निर्माण होता है, उसी तरह हमारे हाथ में स्थित अनेक रेखाओं, चिन्हों और मणिबंध से भी कई योग बनते हैं।

जिस तरह जन्म कुंडली में ग्रहों के द्वारा अनेक योगों का निर्माण होता है, उसी तरह हमारे हाथ में स्थित अनेक रेखाओं, चिन्हों और मणिबंध से भी कई योग बनते हैं। इस लेख के द्वारा हम यह जानने का प्रयास करेंगे कि हथेली में अष्ट लक्ष्मी योग का निर्माण कैसे होता है?


* जिस व्यक्ति के हाथ में जीवन रेखा, स्वास्थ्य रेखा, भाग्य रेखा एवं सूर्य रेखा स्पष्ट एवं दृढ़ होती है, उसके अष्ट लक्ष्मी योग बनता है।


* भाग्य रेखा मणिबंध से निकल कर शनि पर्वत पर जाकर उसके मध्य बिन्दु को स्पर्श करती हो एवं सूर्य रेखा चंद्र पर्वत से प्रारंभ होकर सूर्य पर्वत के समीप जाए, तो भी अष्ट लक्ष्मी योग होता है।


* अष्ट लक्ष्मी योग वाला व्यक्ति धन, संपत्ति का मालिक होता है। आर्थिक दृष्टि से उसके पास किसी प्रकार की कमी नहीं रहती है। वह पूर्ण रूप से भौतिक सुख प्राप्त करता है।


* इस योग वाला जातक समाज में मान-सम्मान प्राप्त करता है। ऐसा व्यक्ति विदेश यात्राएं करता है।


* इस योग वाले व्यक्ति के पास मकान, जमीन, जायदाद, वाहन आदि होते हैं। इनका वह पूर्ण सुख भोगता है। ऐसे व्यक्ति भाग्यशाली होते हैं। 


ऐसा शास्त्रों में वर्णन आता है की महालक्ष्मी के आठ स्वरुप हैं। लक्ष्मी जी के ये आठ स्वरुप जीवन की आधारशिला है। इन आठों स्वरूपों में लक्ष्मी जी जीवन के आठ अलग-अलग वर्गों से जुड़ी हुई हैं। इन आठ लक्ष्मी की साधना करने से मानव जीवन सफल हो जाता है।


अष्ट लक्ष्मी साधना का उद्देश जीवन में धन के अभाव को मिटा देना है। इस साधना से भक्त कर्जे के चक्रव्यूह से बहार आ जाता है। आयु में वृद्धि होती है। बुद्धि कुशाग्र होती है। परिवार में खुशाली आती है। समाज में सम्मान प्राप्त होता है। प्रणय और भोग का सुख मिलता है। व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा होता है और जीवन में वैभव आता है।

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