क्या मोदी के दिमाग में 2019 है?...पीएम ने दिया ये जवाब

Edited By ,Updated: 28 Jun, 2016 07:58 AM

with elections to the election commission to decide on

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश में लोकसभा एवं सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव एक साथ कराने को लेकर समय-...

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश में लोकसभा एवं सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव एक साथ कराने को लेकर समय-समय पर उठने वाली आवाजों का समर्थन करते हुए आज कहा कि इस बारे में चुनाव आयोग ही सभी दलों से बातचीत करके निर्णय ले सकता है।  मोदी ने एक निजी टेलीविजन चैनल को दिए साक्षात्कार में कहा कि निर्वाचन आयोग को चाहिए कि वह इस बारे में सभी राजनीतिक दलों से मशविरा करके उचित निर्णय ले। 
 
-क्या राज्यों में लगातार हो रहे विधानसभा चुनावों की वजह से देश का लगातार कैम्पेन मोड में रहना शासन और प्रशासन के लिए सही है।
 इसपर पीएम मोदी ने कहा कि पिछले दिनों राज्यसभा सांसदों के विदाई समारोह के अवसर पर खाने के दौरान मैंने इस बारे में सभी दलों के नेताओं से बात की थी और वहां सभी इस बात पर एकमत थे कि लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाएं। दोनों चुनाव एक साथ कराने पर पैसे और श्रम की काफी बचत होगी। एक बात यह भी है कि यदि हमें ब्लैक मनी से निजात पानी है तो इस तरह के चुनावी सुधार करने होंगे। इस बारे में चुनाव आयोग को पहल करनी होगी और सारी पार्टियों से इस मुद्दे पर विचार-विमर्श करना होगा।

-क्या मोदी के मन में 2019 है,
इस सवाल पर पीएम ने कहा कि चुनावी दिनों को छोड़ मैं कभी राजनीति नहीं करता।  जब मैं सरकारी समारोहों में जाता हूं, तो सरकार से जुड़े मुद्दों पर बात करता हूं। जब रेलवे के कार्यक्रम में जाता हूं, तो रेलवे के बारे में बात करता हूं। मेरा फोकस केवल गवर्नेंस पर रहता है। ऐसे आयोजनों में आपने मेरे मुंह से कभी कोई राजनीतिक टिप्पणी नहीं सुनी होगी। सरकारों को आम लोगों के लिए काम करना चाहिए, चुनावों में हार-जीत तो चलती रहती है।

-मॉनसून कब तक भारत और भारत के किसानों का भविष्य तय करता रहेगा और कब इस पर हमारी निर्भरता कम होगी
उन्होंने कहा कि हमें जल प्रबंधन पर ध्यान देना होगा। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में हमने इसी बात पर बल दिया है। सूखे के दौरान 11 राज्यों के नेताओं से मिला और प्रत्येक से 2-3 घंटे बात कर विभिन्न राज्यों की समस्याओं के बारे में जाना। पीएम मोदी ने कहा कि मैं इस बात से खुश हूं कि सारे राज्यों ने पानी से जुड़ी समस्याओं पर ध्यान दिया और इस मॉनसून में हमें इसका लाभ भी देखने को मिलेगा। पानी को बचाने के लिए राज्यों ने वैज्ञानिक तरीके अपनाए और माइक्रो इरिगेशन पर ज्यादा से ज्यादा ध्यान दिया, जिससे पानी बचाने में मदद मिली।

पीएम ने कहा कि खेतों की उर्वरता बढ़ाने और किसानों को उनकी फसलों का उचित दाम दिलाने के लिए भी कई प्रयास किए गए हैं और किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र राज्यों के अंतर्गत आता है और मुझे लगता है कि राज्य केंद्र की योजनाओं को लागू करवाने को लेकर उत्साहित हैं। यदि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना जैसी केंद्रीय योजना काम कर जाती है तो यह किसानों के लिए काफी फायदेमंद साबित होगी।

पीएम ने कहा कि 'मन की बात' में मैंने लोगों से 30 सितंबर से पहले अपनी अघोषित संपत्ति के बारे में बताने को कहा है, और यह एक चेतावनी है। उन्होंने कहा कि यदि मेरे मन मे चुनाव होता, तो क्या मैं ऐसी बात करता? अपने सरकार के कामकाज की गति और अगले तीन साल के लक्ष्य के बारे में पूछे जाने पर पीएम ने कहा कि मैं हमेशा लक्ष्य ऊंचा करता रहता हूं। यदि आज मैं 100 की रफ्तार से दौड़ता हूं तो 200 की रफ्तार से दौड़ने का लक्ष्य बनाता हूं। मुझे लगता था कि जो दुनिया हमसे पीछे थी, वह कहीं आगे निकल चुकी है। हमें बाकी दुनिया के बराबर होने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ेगी। मैं इस काम में पूरी तरह लग गया हूं और अपनी सरकार को भी लगा दिया है। मुझे इस बात का भी यकीन है कि सारा देश ही आगे बढ़ने के लिए प्रतिबद्ध है।

पीएम मोदी ने यह भी कहा कि मैं चिंताओं के बोझ में नहीं जीता हूं। चुनौतियां सामने होती हैं तो मैं उन्हें चुनौती देता हूं। मुझे समस्याओं का सामना करना पसंद है। मैं उनसे बचकर भागता नहीं हूं। चीजें चाहे अच्छी होंगी या बुरी, सबकी जिम्मेदारी मेरी ही है। देश के लोगों ने जो जिम्मेदारी दी है उसे मुझे पूरा करना ही होगा। इस देश के जो लोग दिन रात काम करते हैं मुझे उनसे प्रेरणा मिलती है। मैं उनकी तरफ देखता हूं तो पहले से भी ज्यादा मेहनत से अपना काम करता हूं।
 
उन्होंने कहा, हाल ही में लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन द्वारा दिए गए भोज के दौरान मुझसे कई राजनीतिक दलों के नेताओं ने लोकसभा एवं सभी राज्यों के विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने की बात कही थी। जब प्रधानमंत्री से यह पूछा गया कि क्या इस मामले में वह झंडाबरदार बनेंगे तो उन्होंने कहा, भले ही मैं प्रधानमंत्री हूं लेकिन किसी दल से भी जुड़ा हूं। इसलिए मेरा इस बारे में नेतृत्व करना उचित नहीं होगा। मैं चाहूंगा कि निर्वाचन आयोग सभी दलों से इस मुद्दे पर विचार-विमर्श करे और आवश्यक निर्णय ले तो अच्छा होगा।

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