Edited By Punjab Kesari,Updated: 11 Apr, 2018 02:19 PM
गाँव चौपाल से चंडीगढ़ राजनैतिक गलियारे तक नीति आयोग की वो सूची सुर्खियों का विषय बनी हुई है जिसमें मेवात जिले को देश का सबसे पिछड़ा जिला घोषित कर दिया गया है कोई इसका जवाब ढूंढना चाहता है की इसके पीछे सबसे अधिक दोषी कौन है कोई वर्तमान सरकार पर आरोप...
गाँव चौपाल से चंडीगढ़ राजनैतिक गलियारे तक नीति आयोग की वो सूची सुर्खियों का विषय बनी हुई है जिसमें मेवात जिले को देश का सबसे पिछड़ा जिला घोषित कर दिया गया है कोई इसका जवाब ढूंढना चाहता है की इसके पीछे सबसे अधिक दोषी कौन है कोई वर्तमान सरकार पर आरोप लगा रहा है तो कोई पिछली सरकारों पर और कोई यहाँ के ही समाजसेवियों पर । कोई सरकार से अपने हक़ के लिए लड़ना चाहता है और एक तबका ऐसा भी है जो पिछड़ापन समझता ही नहीं है जबकि एक ख़ास तबका ऐसा भी है जो अपने आपको पिछड़ा मानता ही नहीं है । इतने सारे सवालों का जवाब भी किसी और के पास नहीं पर आवाम के बीच चर्चा से ही निकल सकता है । वास्तव में देखा जाये तो सभी को किसी दूसरे को दोषी करार देने से पहले अपना आंकलन करने के भी जरुरत है। खासतौर पर यदि हम ये मान ले की हम पिछड़े हुए है और हमें बदलाव की जरुरत है तो वही से सुधार की शुरुआत स्वतः ही हो जाएगी ।
परन्तु प्राय: ऐसा पाया गया है की मेवात में अधिकांश लोग ये समझते ही नहीं की पिछड़ापन क्या है और इसको किस प्रकार दूर किया जा सकता है जिसकी एक झलक मेवात की जनसंख्या बढ़ोतरी में भी दिखाई देती है । ये भी कोई महत्व नहीं रखता की हम कौनसी सूची में किस स्थान पर है पर ये जरुरी है की हम ये एहसास करे की हम कौनसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है और उनको हासिल करने के लिए हम किस प्रकार विकास के पथ पर अग्रसर हो सकते है मेवात में एक ऐसा पढ़ा लिखा तबका भी जरूर पनप रहा है जो हर एक छोटे से छोटे बदलाव को देख रहा है और निश्चित ही यह तबका मेवात की सूरत को बदलने में सक्षम है । निष्कर्ष यह है की किसी भी बदलाव के लिए शुरुआत खुद से ही करनी की आवश्यकता है और जैसा की कहा गया है अगर किसी चीज़ को दिल से चाहो तो पूरी कायनात उसे तुमसे मिलाने में लग जाती हैं |
शैलेन्द्र जैन
9828137220