Edited By pooja,Updated: 10 Sep, 2018 02:47 PM
माँ ने शहनाई बजा़ने का आग़ाज़ किया, तब सात फेरे का आवाहन किया ,
> हमें याद है हमारा शहर-शहर भटकना, हमें याद है हमारा पहला रैन बसेरा,
माँ ने शहनाई बजा़ने का आग़ाज़ किया, तब सात फेरे का आवाहन किया ,
> हमें याद है हमारा शहर-शहर भटकना, हमें याद है हमारा पहला रैन बसेरा,
> आज भी याद है नटखट नन्हे काँनहा का ज़िन्दगी में आना , और याद है चंचल मैंना का आँगन में चहकना ,
> हमें याद है तेरा कैंसर से झूझना, मुझे याद है तेरा कैंसर को मात देना,
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> फिर हुई हमारी लाड़ों की बिंदाई , और हुई हमारे लाड़ले की सगाई ,
> कैसे भूल सकते हैं दोनों की ख़ुशियों का चूर चूर होना, कैसे भूल सकते हैं भूकम्प मे अहमारे आशियाने का टूटना,
> हमने ज़िन्दगी के कई रंग देखें हैं , कहीं धूप कहीं छाँव बरसात में देखी है,
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> मौसम की तरह अपने ख़ून को रंग बदलते देखा है , हमने अपनी परेशानियों को पी कर जीना सीखा है ,
> अब तो दुसरों की ज़िन्दगी में हँसी के बीज बो देते है , और ख़ुद को रोना भी पड़े तो हँसते-हँसते रो देते हैं !
> अब तो बस इतनी सी उम्र के तलबदार हैं , न मरुँ तेरे से पहले , न जीऊँ तेरे बाद !