चीन के बाद अमरीका के निशाने पर भारत, मांगें नहीं मानीं तो GSP से बाहर होगा इंडिया

Edited By vasudha,Updated: 09 May, 2019 11:36 AM

india on target of us after china

अमरीका और चीन के बीच छिड़े ट्रेड वार की आंच भारत तक भी पहुंचने वाली है। अमरीका के वाणिज्य मंत्री विल्बर रॉस ने साफ कहा कि उन्हें भारत में हो रहे लोकसभा चुनाव के 23 मई को आने वाले परिणाम का इंतजार है...

नई दिल्ली: अमरीका और चीन के बीच छिड़े ट्रेड वार की आंच भारत तक भी पहुंचने वाली है। अमरीका के वाणिज्य मंत्री विल्बर रॉस ने साफ कहा कि उन्हें भारत में हो रहे लोकसभा चुनाव के 23 मई को आने वाले परिणाम का इंतजार है। इसके बाद गठित होने वाली भारत की नई सरकार ने यदि अमरीका की मांग नहीं मानी तो वह भी इंडिया को सामान्य तरजीही दर्जा या जनरलाइज प्रैफरैंस सिस्टम (जी.एस.पी.) के तहत मिली छूट को खत्म कर देंगे। भारत से अमरीका को होने वाले निर्यात पर इसका सीधा असर होगा।
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भारत दौरे पर आए अमरीकी वाणिज्य मंत्री विल्बर रॉस ने कहा कि अमरीका इस महीने के अंत तक जीएसपी पर फैसला ले लेगा। रॉस ने कहा कि भारत अमरीका की वाजिब मांगों को भी नहीं मान रहा है। ऐसे में सख्त कदम उठाने होंगे। गौरतलब है कि अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प भी इस मुद्दे को कई बार उठा चुके हैं। दो महीने पहले भारत को जीएसपी खत्म करने का नोटिस भी अमरीका ने दिया था लेकिन चुनाव की वजह से इसे आगे बढ़ा दिया गया था। चीन पर भी ऐसी ही कार्रवाई कर अमरीका ने चीनी सामानों पर टैरिफ बढ़ा दिया है।

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अमरीका की ये हैं 2 प्रमुख मांगें
अमरीका चाहता है कि उसे भी भारत में ज्यादा कारोबार के मौके मिलें। इसके लिए वह भारत से जीएसपी की तर्ज पर अपने लिए भी आयात शुल्क में छूट चाहता है। रॉस ने भारत पर यह भी आरोप लगाया कि भारत ऑटोमोबाइल, मोटरसाइकिल, कृषि उत्पाद और शराब जैसे सामानों पर बहुत अधिक आयात शुल्क लगाता है। इससे अमरीकी व्यवसायों को भारत में बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है। रॉस के मुताबिक भारत की औसत लागू टैरिफ दर 13.8 प्रतिशत है और यह किसी भी प्रमुख विश्व अर्थव्यवस्था में सबसे ज्यादा है। भारत में ऑटोमोबाइल पर 60 प्रतिशत टैरिफ है, जबकि अमरीका में 2.5 प्रतिशत है। मोटरसाइकिल पर 50 और मादक पेय पर 150 प्रतिशत तक टैरिफ दर है। कृषि उत्पादों पर अविश्वसनीय रूप से औसत 113.5 प्रतिशत और कुछ में 300 प्रतिशत तक है। अमरीका इन दरों को कम करना चाहता है। 

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अमरीकी मांग मानने से हमें यह नुक्सान
अमरीका की पहली मांग यानी आयात शुल्क को कमी करने की बात भारत मानता है तो कृषि क्षेत्र में गंभीर असर पड़ेगा। कृषि उत्पादों की कीमत गिरने पर किसानों को नुक्सान होगा। इसी तरह मोटरसाइकिल आदि सामानों के आयात शुल्क में कमी करने से भारत का मैन्यूफैक्चरिंग सैक्टर प्रभावित होगा। अमरीका ऐसे कृषि उत्पाद भारत को निर्यात करना चाहता है जिससे कि सांस्कृतिक गतिरोध उत्पन्न हो सकता है। अमरीका में गाय को मांसाहारी चारा दिया जाता है। इससे बने उत्पाद को भारत में भेजने से लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ होगा। डाटा को भारत में ही सुरक्षित करने की शर्त दरअसल राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी है। कोई भी घटना होने पर ये कम्पनियां डाटा देने पर हाथ खड़े कर देती हैं। पेमैंट गेटवे पर भारत सरकार का नियम है कि कम्पनियों को डाटा भारत में ही सुरक्षित रखना होगा जबकि अमरीकन कम्पनी इसके लिए तैयार नहीं है।
 

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