राजधानी दिल्ली में होली के दिन शराब ने छीन लिए अनेक अनमोल प्राण

Edited By ,Updated: 11 Mar, 2023 05:48 AM

alcohol snatched many precious lives on the day of holi

आज देश में शराब का सेवन लगातार बढ़ रहा है और उसी अनुपात में अपराध भी बढ़ रहे हैं।

आज देश में शराब का सेवन लगातार बढ़ रहा है और उसी अनुपात में अपराध भी बढ़ रहे हैं। शराब एक नशा रूपी जहर है जिसके सेवन से अनेक बीमारियां होती हैं तथा व्यक्ति विवेकशून्य होकर अनेक गम्भीर अपराध कर बैठता है। शराब के सेवन के दुष्परिणामों का ज्वलंत प्रमाण होली के पर्व के दौरान दिल्ली में देखने को मिला। होली के जश्न में दिल्ली वाले 82 करोड़ रुपए से अधिक की लगभग 36 लाख बोतलें शराब पी गए।

यह आंकड़ा सामान्य दिनों में शराब की बिक्री के दोगुने से अधिक है। सर्वाधिक बिक्री व्हिस्की, वोदका और स्कॉच की हुई। अधिकांश लोगों ने 400 से 1000 रुपए प्रति बोतल मूल्य वाली शराब खरीदी। चूंकि 8 मार्च को होली का दिन ‘ड्राई डे’ घोषित कर दिया गया था, अत: इस दिन शराब की बिक्री बंद होने के कारण लोगों ने एक दिन पहले अर्थात 7 मार्च को ही शराब की खरीद कर ली। इस दिन दिल्ली पुलिस ने यातायात नियमों का उल्लंघन करने के आरोप में  कुल 7643 वाहन चालकों के चालान काटे।

इनमें से शराब पीकर वाहन चलाने के आरोप में 559 चालान काटने के अलावा अन्य नियमों के उल्लंघन के चलते चालान काटे गए। 8 मार्च को हुड़दंगियों ने शराब पीकर सड़कों पर उत्पात मचाने के साथ-साथ तेज गति से वाहन दौड़ाकर कई स्थानों पर भय का वातावरण पैदा करने के अलावा अनेक लोगों के प्राण भी खतरे में डाल दिए। पुलिस के अनुसार इस दिन शराब के नशे और तेज रफ्तार में वाहन चलाने  से राजधानी में सड़क दुर्घटनाओं में 5 लोगों की जान चली गई जबकि 200 से अधिक लोगों को अन्य वाहनों में टक्कर मारने और गिर जाने से चोटें आईं।

इनमें से कुछ लोगों की हालत गंभीर बताई जाती है। इसका सबसे दर्दनाक उदाहरण होली की शाम को वसंत विहार इलाके में देखने को मिला जब एक व्यक्ति के ड्राइवर और कुक शराब पीने के बाद उसकी एस.यू.वी. (बड़ी कार) लेकर मस्ती करने के लिए निकल पड़े। त्यौहार के दिन खाली सड़क देख नशे में धुत्त ड्राइवर ने कार की रफ्तार इतनी बढ़ा दी कि उस पर नियंत्रण खो बैठा और मलाई मंदिर के पास फुटपाथ पर जा रहे 6 बच्चों सहित 8 लोगों को कुचल दिया।

पुलिस ने घायलों को ‘एम्स ट्रॉमा सैंटर’ में पहुंचाया जहां 28 वर्षीय युवक और 15 वर्षीय नाबालिग की इलाज के दौरान मौत हो गई। यही नहीं, उन्होंने सड़क के किनारे खड़ी 2 कारें और 3 वैंडर स्टाल भी तोड़ दिए। शराब के ऐसे दुष्प्रभावों को देखते हुए ही राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने पराधीनता के युग में यह घोषणा की थी कि यदि भारत का शासन आधे घंटे के लिए भी उनके हाथ में आ जाए तो वह शराब की सभी डिस्टिलरियों और दुकानों को बिना मुआवजा दिए ही बंद कर देंगे।

यही नहीं, गांधी जी ने महिलाओं को भी स्वाधीनता आंदोलन से जोड़ा और देश के कोने-कोने में महिलाओं ने छोटे दूध पीते बच्चों तक को गोद में लेकर शराबबंदी की मांग के साथ-साथ विदेशी कपड़ों की होली जलाई और अनेक महिलाओं ने 2-2, 3-3 वर्ष की कैद भी काटी थी। शराब एक ऐसी बुराई है जिस पर रोक लगाई ही जानी चाहिए क्योंकि शराब के इस्तेमाल से बड़ी गिनती में महिलाओं के सुहाग उजड़ रहे हैं, बच्चे अनाथ हो रहे हैं और देश की युवा पीढ़ी को नशों का घुन खोखला कर रहा है।

परंतु हमारी सरकारों ने तो इस ओर से आंखें मूंद रखी हैं क्योंकि हमारे शासक नेतागण तो शराब को नशा ही नहीं मानते और इसकी बिक्री से होने वाली भारी-भरकम आय को वे खोना नहीं चाहते क्योंकि सरकारें शराब की बिक्री से होने वाली भारी-भरकम आय के सहारे ही चलती हैं। दिल्ली में होली के दिन शराब की खपत और उसके कारण हुई दुखद घटनाओं से स्पष्टï है कि यह किस कदर तबाही लाती है। अत: त्यौहारों तथा अन्य विशेष अवसरों पर ही नहीं, बल्कि आम दिनों में भी शराब के सेवन पर अंकुश लगाने की दिशा में ठोस कदम उठाने की जरूरत है ताकि इसके सेवन से परिवार न उजड़ें।

उल्लेखनीय है कि पूज्य पिता लाला जगत नारायण जी ने जब अपने संपादकीय में यह लिखा था कि तत्कालीन मुख्यमंत्री ज्ञानी जैल सिंह ने पंजाब में शराब का तीसरा दरिया बहा दिया है, तो उन्होंने नाराज होकर ‘पंजाब केसरी पत्र समूह’ की बिजली कटवा दी थी। अत: हम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और संत समाज से आग्रह करेंगे कि वे उक्त घटनाओं का संज्ञान लेकर शराब की लानत पर प्रतिबंध लगाने की दिशा में प्रयास करें। -विजय कुमार 

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