मिड-डे मील के नाम पर बच्चों को परोसा जा रहा कूड़ा : मेनका

Edited By ,Updated: 08 Jun, 2016 12:23 AM

mid day meal to children in the name of being served leftovers

ग्रामीण क्षेत्रों में निर्धन परिवारों के बच्चों को स्कूल पढऩे भेजने के लिए उत्साहित करने की खातिर उन्हें दोपहर का भोजन देने की ...

ग्रामीण क्षेत्रों में निर्धन परिवारों के बच्चों को स्कूल पढऩे भेजने के लिए उत्साहित करने की खातिर उन्हें दोपहर का भोजन देने की ‘मिड-डे मील योजना’ सरकारी प्राइमरी व मिडल स्कूलों में आरंभ की गई थी। हालांकि इसमें अव्यवस्था, भ्रष्टाचार और अनाज की चोरी को देखते हुए महालेखा परीक्षक व नियंत्रक (कैग) ने पहली बार वर्ष 2009 में और फिर उसके बाद भी कई बार यह कहा है कि ‘‘मिड -डे-मील योजना सही ढंग से लागू न होने से देश के लगभग सभी राज्यों में विफल हो गई है।’’  परंतु आज भी इसे अधकचरे तरीके से ही लागू किया जा रहा है।

अनेक स्कूलों में इसके लिए खाना पकाने का कार्य अध्यापक तथा बच्चे करते हैं। अधिकांश स्कूलों में साफ-सुथरे रसोई घर नहीं हैं। खाना पकाने में भी लापरवाही बरती जाती है जो अक्सर खाद्य विषाक्तता के कारण बड़ी संख्या में बच्चों के बीमार होने तथा उनकी मौतों का कारण बनती रही है। मिड-डे मील के लिए ज्यादातर गंदी जगहों पर रखे गले-सड़े और फफूंद लगे अनाज व दालों, पुराने तेल आदि का इस्तेमाल होता है। अनाज के साथ ही माचिस की तीलियों, कीड़े-मकौड़ों, फफूंद, सांपों, छिपकलियों तक को पका दिया जाता है। 

05 मई को मथुरा स्थित सरकारी स्कूल में एक्सपाइरी डेट का दूध पीने से 15 बच्चे बीमार हो गए जिनमें से 2 बच्चों की मृत्यु हो गई। 10 मई को राजस्थान के बांसवाड़ा में सालिया के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में मिड-डे-मील खाने से 30 बच्चे बीमार पड़ गए। 23 मई को झारखंड में सोनबरसा के माध्यमिक विद्यालय में मिड-डे-मील खाने से 102 बच्चे बीमार हो गए व भोजन में छिपकली मरी पाई गई।

31 मई को छत्तीसगढ़ के वीजापुर जिले के केतुलनार गांव में आंगनबाड़ी का मीठा दूध पीने से 2 बच्चों की मृत्यु व 6 बच्चे गंभीर बीमार हो गए। 6 जून को झारखंड के गिरिडीह में चिलगा के मध्य विद्यालय में विषाक्त मिड-डे मील खा कर  50 से अधिक बच्चे बीमार पड़ गए। स्कूल की रसोई में जांच करने पर बर्तन में छिपकली मरी पाई गई। 

आंगनबाड़ी केंद्रों में मिड-डे मील योजना से लाभान्वित होने वाले अधिकांश बच्चे समाज के वंचित वर्ग से संबंध रखते हैं और अनेक आंगनबाड़ी कर्मचारी और अधिकारी निर्धारित मानदंडों के विपरीत बच्चों को घटिया मिड-डे मील परोस कर उनके स्वास्थ्य को खतरे में डाल रहे हैं। उन्हें दी जाने वाली वस्तुओं में भी अपनी सुविधा के अनुसार बदलाव कर देते हैं। 

इसी संदर्भ में केंद्रीय महिला एवं शिशु कल्याण मंत्री मेनका गांधी ने हाल ही में हिमाचल प्रदेश की एक आंगनबाड़ी में बच्चों को मापदंडों के अनुसार पौष्टिïक आहार देने के स्थान पर पकौड़े देने का उदाहरण देते हुए कहा कि वह पिछले कुछ महीनों से प्रत्येक राज्य में घूम कर आंगनबाडिय़ों में परोसे जाने वाले भोजन को चख रही हैं और यह अनुभव अत्यंत पीड़ादायक है। 

मेनका गांधी के अनुसार ‘‘आंगनबाडिय़ों में बच्चों को पौष्टिïक आहार की बजाय कूड़ा परोसा जा रहा है। कुछ आंगनबाडिय़ों के औचक निरीक्षण के दौरान वहां पकाए जाने वाले भोजन की गुणवत्ता भयावह हद तक खराब पाई गई।’’ अत: वह आंगनबाडिय़ों में बच्चों को दिए जाने वाले हानिकारक भोजन के स्थान पर पौष्टिïक पैकेट बंद आहार उपलब्ध करवाने की संभावना पर विचार कर रही हैं जिसे बच्चों को देने से पूर्व गर्म किया जा सके।

श्रीमती मेनका गांधी की स्वीकारोक्ति इस बात का प्रमाण है कि पौष्टिïक आहार के नाम पर बच्चों को हानिकारक और गला-सड़ा अनाज ही खिलाया जा रहा है। ऐसे में यदि उनकी योजना सिरे चढ़ पाती है तो यह बच्चों के हित में ही होगा। इस समय तो कुप्रबंधन और भ्रष्टाचार के कारण यह योजना बच्चों को पौषाहार उपलब्ध करने के स्थान पर उनके जीवन के लिए खतरे की घंटी ही बन कर रह गई है।
  —विजय कुमार

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!