Edited By ,Updated: 22 Oct, 2019 12:36 AM
जहां 21 अक्तूबर को महाराष्टï्र और हरियाणा में मतदान सम्पन्न होने के बाद चुनावों में जीत-हार के अनुमानों और एग्जिट पोल का सिलसिला शुरू हो गया वहीं भाजपा के 2 नेताओं और गठबंधन सहयोगी शिवसेना की ओर से ऐसे बयान आए हैं जिनसे भाजपा नेताओं का असहज होना...
जहां 21 अक्तूबर को महाराष्ट्र और हरियाणा में मतदान सम्पन्न होने के बाद चुनावों में जीत-हार के अनुमानों और एग्जिट पोल का सिलसिला शुरू हो गया वहीं भाजपा के 2 नेताओं और गठबंधन सहयोगी शिवसेना की ओर से ऐसे बयान आए हैं जिनसे भाजपा नेताओं का असहज होना स्वाभाविक है। असंध से भाजपा उम्मीदवार बख्शीश सिंह विर्क का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है जिसमें उन्होंने पार्टी द्वारा ई.वी.एम. से छेड़छाड़ की बात मानी है और पंजाबी में कह रहे हैं कि :
‘‘पांच सकिंड की गलती जेहड़ी है ना वो पांच साल भुगतनी पवेगी। जिस बंदे ने जित्थे वोट पाणी है सानंू ओ वी पता लग जाणा है कै केहड़े बंदे कित्थे वोट पाई है। ऐह भी गलतफहमी नहीं होणी चाहिदी। असीं जाण के दसदे नहीं। जे कोई पूछेगा असीं दस्स भी देयांगे, कित्थे वोट पाई है तूं क्योंकि मोदी जी दी नजरां बडिय़ां तेज नै, मनोहर लाल जी दी नजरां बडिय़ां तेज ने। वोट जित्थे मर्जी पा लइये, निकलनी फूल ते ही है। बटन जेहड़ा मर्जी दबा लइयो निकलना फूल ते ही है। मशीन च पुर्जा फिट कीता है।’’
दूसरा बयान भाजपा की गठबंधन सहयोगी ‘शिव सेना’ के वरिष्ठï नेता संजय राऊत की ओर से आया है। कुछ समय पूर्व महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडऩवीस ने कहा था कि विरोधी दलों में ऐसा कोई पहलवान बचा ही नहीं है जो भाजपा और शिवसेना के गठबंधन को चुनौती दे सके। शिव सेना के मुखपत्र ‘सामना’ में संजय राऊत ने लिखा है, ‘‘जब देवेंद्र फडऩवीस समझते थे कि विपक्ष उनकी पार्टी के नेतृत्व वाले गठबंधन को चुनौती देने की दौड़ में नहीं रहा है तो फिर महाराष्टï्र के चुनावों में भाजपा नेताओं ने इतनी बड़ी संख्या में रैलियां क्यों कीं? महाराष्ट्र के ओर-छोर में (प्रधानमंत्री) मोदी द्वारा 10, (केंद्रीय गृह मंत्री) अमित शाह द्वारा 30 और स्वयं देवेंद्र फडऩवीस द्वारा 100 रैलियां करने का मकसद क्या था?’’
‘‘यही सवाल राकांपा सुप्रीमो शरद पवार भी उठा रहे हैं। वास्तविकता यह है कि चुनावी चुनौतियों के कारण ही भाजपा नेता इतनी बड़ी संख्या में रैलियां करने को विवश हुए।’’ संजय राऊत ने ‘शिवसेना’ की महत्वाकांक्षाएं भी उजागर करते हुए लिखा, ‘‘आदित्य ठाकरे केवल विधानसभा में बैठने के लिए ही चुनाव नहीं लड़ रहे। नई पीढ़ी चाहती है कि वह राज्य का नेतृत्व करें।’’ इसी बीच वरिष्ठï भाजपा नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री डा. सुब्रह्मण्यम स्वामी ने जी.एस.टी. लागू करने के निर्णय को पागलपन बताया है।
भारत सरकार ने वस्तु एवं सेवा कर (जी.एस.टी.) को भारत का अब तक का सबसे बड़ा टैक्स सुधार बताते हुए इसे 1 जुलाई, 2017 को लागू करते समय दावा किया था कि यह वर्तमान टैक्स ढांचे को सरल बनाने और देश को एक एकीकृत बाजार में बदलने में मील का पत्थर होगा परंतु इससे देश के व्यापार एवं उद्योग जगत के लिए अनेक समस्याएं पैदा हो गईं जिनमें से अनेक अभी तक दूर नहीं हुई हैं और बड़ी संख्या में छोटे कारोबार बंद हो गए हैं। सुब्रह्मïण्यम स्वामी ने कहा है कि ‘‘जी.एस.टी. लागू होने से कुछ होने वाला नहीं है। अत: इसे समाप्त कर देना चाहिए। देश में आर्थिक मंदी चल रही है जिससे उबरने के लिए सरकार को मजबूत आॢथक फैसले लेने होंगे। बैंकों में फिक्स डिपाजिट पर ब्याज दर बढ़ानी होगी ताकि लोग बैंकों में धन जमा करने के लिए आगे आएं और लोगों को देने वाले ऋण पर ब्याज दर घटानी चाहिए। सप्लाई की बजाय मांग बढ़ाने के लिए कदम उठाने होंगे।’’
‘‘केंद्र सरकार को सेठों को रियायतें देने के अलावा आम आदमी को भी राहत देने तथा उसके हाथ में अधिक पैसा पहुंचाने के लिए काम करना चाहिए। मैंने अर्थव्यवस्था मजबूत करने से संबंधित एक पुस्तक ‘वी सैड’ (ङ्खद्ग ह्यड्डद्बस्र) लिखी है जो मैंने प्रधानमंत्री को भी भेजी है।’’ जहां विरोधी दलों के नेता तो पहले ही भाजपा पर इलैक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों के साथ छेड़छाड़ करने का आरोप लगा रहे थे, वहीं अब स्वयं भाजपा का उम्मीदवार इसकी पुष्टिï कर रहा है जबकि संजय राऊत ने भाजपा द्वारा विरोधियों को प्रभावहीन करने के दावे को झुठलाया है और इसी प्रकार भाजपा के वरिष्ठ सदस्य डाक्टर सुब्रह्मण्यम स्वामी ने सरकार के आर्थिक सुधारों पर प्रश्रचिन्ह लगाया है। भाजपा नेतृत्व को ङ्क्षचतन करने की आवश्यकता है कि उसके अपने ही लोग इस तरह की बातें क्यों कह रहे हैं।—विजय कुमार