पंजाब के शिक्षण संस्थानों के लिए सुनहरा है अकादमिक सत्र 2024-25

Edited By ,Updated: 24 May, 2024 05:45 AM

academic session 2024 25 is golden for educational institutions of punjab

पंजाब के शिक्षण संस्थानों के लिए साल 2003 से 2013 तक के 10 साल सुनहरे पन्नों से रहे। इस दौर ने प्रदेश के शिक्षण संस्थानों को आगे बढऩे के खूब अवसर दिए। प्रदेश में राष्ट्रीय स्तर के उच्च शिक्षण संस्थान आई.आई.टी. रोपड़, आई.आई.एम. अमृतसर के साथ-साथ...

पंजाब के शिक्षण संस्थानों के लिए साल 2003 से 2013 तक के 10 साल सुनहरे पन्नों से रहे। इस दौर ने प्रदेश के शिक्षण संस्थानों को आगे बढऩे के खूब अवसर दिए। प्रदेश में राष्ट्रीय स्तर के उच्च शिक्षण संस्थान आई.आई.टी. रोपड़, आई.आई.एम. अमृतसर के साथ-साथ प्राइवेट यूनिवर्सिटीज भी खुलीं। विभिन्न राज्यों सहित छोटे अविकसित देशों से भी स्टूडैंट्स ने पंजाब के शिक्षण संस्थानों में दाखिला लिया। शिक्षा के क्षेत्र ने पंजाब की आर्थिकता को इन दस सालों में बेहद मजबूत किया। मगर 1980 के दशक का ओवरसीज एजुकेशन (विदेश पढ़ाई को जाने) का रुझान 2010 के बाद से एकदम से बड़ा और पंजाबी स्टूडैंट्स ने कनाडा, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, यू.के., यूनाइटेड स्टेट्स (यू.एस.ए.) सहित विभिन्न विकसित, कम आबादी वाले एवं अधिक रोजगार वाले देशों को रुख किया। पंजाब की आर्थिकता पर यह दौर भारी पड़ा, खासकर शिक्षण संस्थानों पर। 

अब पंजाब के शिक्षण संस्थानों के लिए अकादमिक सत्र 2024-25, जो इस माह से शुरू है और अगस्त तक जारी रहेगा, सुनहरा है। इसके कारण कई हैं, मगर अहम हैं कि इस अकादमिक सत्र को पंजाब के शिक्षण संस्थान अगर क्वालिटी एजुकेशन, बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर एवं नव अवसरों से संभाल लेंगे तो पंजाब के शिक्षण संस्थान फिर से गुलजार होंगे और सालों तक स्थिरता बनी रहेगी। 

इस बार विदेश में पढ़ाई मुश्किल क्यों है?
विदेश में पढ़ाई के लिए मेजबान संस्थान को दी जाती ट्यूशन एवं अन्य फीस इस बार बढ़ी है। विभिन्न फॉरेन एजुकेशन पोर्टल्स की रिपोर्ट्स बताती हैं कि संयुक्त राज्य अमरीका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड में स्नातक की डिग्री के लिए ट्यूशन फीस प्रतिवर्ष 30,000 से 50,000 (भारतीय करंसी में लगभग 25 लाख प्रतिवर्ष से 50 लाख प्रतिवर्ष) तक हो गई है, जो बीते पांच वर्ष में दोगुना हुई है। कोविड-19 के बाद से ही इसमें सबसे अधिक वृद्धि हुई है। इंश्योरैंस, लिविंग कॉस्ट में जर्मन एवं स्विट्जरलैंड ने भी फीस में भारी इजाफा किया है। इन देशों के इमीग्रेशन, स्टडी वीजा नियम इनकी अधिकृत वैबसाइट पर उपलब्ध हैं, जिनमें से अधिकतर कैटेगरी में वर्तमान बढ़ौतरी प्रतिशतता एवं बीते इजाफे से तुलना कर दी गई है। बहुत से देशों के वीजा नियम बदलाव से स्टडी लोन प्रावधान भी मुश्किल हुआ है। 

कनाडा में भी अब मुद्रास्फीति पाई जा रही है। महंगाई बढ़ी है और वह दर जिस पर उपभोक्ता की दैनिक जरूरत निर्भर करती है, के मूल्य भी बढ़े हैं। कोरोना वायरस लॉकडाऊन के बाद अर्थव्यवस्था को फिर से खोलने के लिए कनाडा को इसे बढ़ाना पड़ा है। कनाडा में विदेशी स्टूडैंट्स की बड़ी आमद ने उपभोक्ता वस्तुओं की मांग बढ़ाई है, वैश्विक उत्पाद आपूर्ति मुश्किल हुई है, उत्पाद की कमी और बढ़ती तेल की कीमतों ने वहां रहना महंगा कर दिया है। जनवरी 2024 से प्रभावी स्टूडैंट वीजा के लिए कनाडा ने जी.आई.सी. (गारंटिड इन्वैस्टमैंट सर्टीफिकेट) राशि को बढ़ाकर दोगुना कर दिया है। ऐसे में ओवरसीज एजुकेशन भले ही ट्रैंड में हो, पर पॉकेट से बाहर होती जा रही है! 

अपने यहां अवसरों की कमी नहीं : पंजाब राज्य में उच्च शिक्षण संस्थानों की कोई कमी नहीं है, बल्कि बहुत से संस्थान तो ओवरसीज एजुकेशन के साथ मिलकर ड्यूल मोड (दोनों देशों में रहकर पढ़ाई के अवसर) दाखिले दे रहे हैं। प्रदेश में लगभग 10 स्टेट (सरकारी) यूनिवर्सिटी हैं। इनसे जुड़े कैम्पस, कॉलेजिस ऐसे ड्यूल डिग्री कोॢसस ऑफर कर रहे हैं, जहां कम खर्च में भी फॉरेन यूनिवर्सिटी से डिग्री हासिल की जा सकती है। आई.के.गुजराल पंजाब टैक्नीकल यूनिवर्सिटी (आई.के.जी पी.टी.यू.) जालंधर-कपूरथला प्रदेश की बड़ी तकनीकी यूनिवर्सिटी है, इसके खुद के छह कैम्पस एवं 200 से अधिक एफिलिएटेड कालेज हैं! प्रतिवर्ष यूनिवर्सिटी एवं इसके कालेजों में लगभग 1 लाख विद्यार्थी दाखिला लेते हैं। इस बार इन कालेजों में सूचना डैस्क पर क्वेरी (पूछताछ) बढ़ी है। विद्यार्थी अब कम खर्च में अपने प्रदेश में रहकर प्रोफैशनल कोर्स करने के इच्छुक हैं। 

इस बार विद्यार्थी बीते सालों के मुकाबले ज्यादा दाखिला लेंगे, ऐसा तथ्यों से स्पष्ट है। पंजाब के कालेजों, यूनिवर्सिटीज में नए समय के नए कोर्स जैसे ए.आई. (आर्टिफिशियल इंटैलीजैंस), रोबोटिक साइंस, डाटा साइंस, क्लाऊड कम्प्यूटिंग इत्यादि कोर्सिस में इंजीनियरिंग की नई एवं ग्लोबल डिमांड वाली स्ट्रीम उपलब्ध हैं, जिनमें करियर के अवसर हर विकसित एवं विकासशील देश में मौजूद हैं। यह समय शिक्षण संस्थानों के लिए अवसर हैं, अवलोकन का, बीते समय में किए लालच एवं गलत प्रैक्टिस को छोड़कर नए दाखिला सत्र में क्वालिटी एजुकेशन पर फोकस करने का है! समय शक्ति है, बदलता है तो भूल सुधार के साथ-साथ नए अवसर भी देता है! पंजाब के शिक्षण संस्थानों, खासकर प्राइवेट कॉलेजों एवं स्टेट यूनिवर्सिटीज के लिए बदला दौर, नए अकादमिक सत्र में बेहतर करने का है। विश्वास है पंजाब के शिक्षण संस्थान इस बार पंजाब के विद्यार्थियोंके लिए बेहतर करेंगे और उनका ओवरसीज एजुकेशन से गैर-जरूरी मोह भंग करने में कामयाब होंगे! जरूरत बस सही दिशा में काम करने की होगी!(लेखक आई.के.गुजराल पंजाब टैक्नीकल यूनिवर्सिटी जालंधर-कपूरथला के रजिस्ट्रार हैं।)-डा. एस.के. मिश्रा

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