सिखों की मिनी संसद के लिए ‘अखाड़ा’ तैयार, मिलेगा नया ‘सरदार’

Edited By ,Updated: 21 Jan, 2022 07:28 AM

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सिखों की मिनी ‘संसद’ कही जाने वाली दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के आंतरिक चुनाव 22 जनवरी को होंगे। इसी दिन कमेटी को नया ‘सरदार’ मिल जाएगा। चुनाव में 51 नवनिर्वाचित सदस्य अपनी

सिखों की मिनी ‘संसद’ कही जाने वाली दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के आंतरिक चुनाव 22 जनवरी को होंगे। इसी दिन कमेटी को नया ‘सरदार’ मिल जाएगा। चुनाव में 51 नवनिर्वाचित सदस्य अपनी सदस्यता की शपथ लेंगे, जिसके बाद 5 पदाधिकारियों तथा 10 कार्यकारिणी सदस्यों का चुनाव होगा। यह चुनाव दिलचस्प और प्रभावशाली होगा। अंतिम पड़ाव पर पहुंचे चुनाव में धन-बल का भी प्रयोग होगा और सियासी खेला भी। इसलिए पूरी संभावना जताई जा रही है कि वर्तमान में दिल्ली कमेटी पर काबिज शिरोमणि अकाली दल (बादल) और प्रमुख विपक्षी दल शिरोमणि अकाली दल (दिल्ली) के उम्मीदवारों के पांचों पदों पर चुनाव होगा। 

बादल दल के पास इस समय कुल 29 सदस्यों का आंकड़ा है, जबकि संयुक्त विपक्ष (सरना पार्टी, मंजीत सिंह जीके की जागो पार्टी एवं निर्दलीय) के पास 22 सदस्य हैं। सरकार बनाने के लिए 26 सदस्यों का बहुमत होगा। इसलिए क्रास वोटिंग का खतरा साफ नजर आ रहा है। जरूरत पडऩे पर अध्यक्ष और महासचिव के पद पर गुप्त मतदान भी हो सकता है। गुप्त मतदान के दौरान यदि 5 से 6 सदस्य क्रास वोटिंग कर जाएं तो उसका फायदा किसको होगा, कहना मुश्किल है। 

आमतौर पर जब कार्यकारिणी का चुनाव होता है, तब प्रत्येक पद पर एक व्यक्ति के नाम का प्रस्ताव दूसरे कमेटी सदस्य के द्वारा दिया जाता है, जिसका तीसरा कमेटी सदस्य समर्थन करता है। उसके बाद पहले कमेटी सदस्य द्वारा उस पद को स्वीकार करने की घोषणा के बाद सर्वस मति से पहले सदस्य को निर्वाचित घोषित किया जाता है। लेकिन इस दौरान यदि चौथे कमेटी सदस्य के नाम का प्रस्ताव उसी पद के लिए कोई 5वां सदस्य प्रस्तावित करता है तो उस पद पर मतदान की नौबत आ जाती है, जिसे करवाने की जिम्मेदारी दिल्ली गुरुद्वारा चुनाव निदेशालय की होती है।

हाथों-हाथ 51 सदस्यों के द्वारा वोट डाली जाती है और उसके बाद जिसके पक्ष में ज्यादा वोट होती है, वह सदस्य उस पद पर निर्वाचित हो जाता है। चूंकि इस बार दोनों पक्षों में 6 से 7 सदस्यों का अंतर है इसलिए 4-5 सदस्यों के क्रॉस वोटिंग करने से स्थिति बदलने की आशंका बनी रहेगी। 25 अगस्त, 2021 को हुए चुनाव के बाद नए बनने जा रहे इस हाऊस में पूर्व कमेटी अध्यक्ष अवतार सिंह हित पहली बार इसके सदस्य के रूप में नहीं होंगे। जबकि वह लगातार 1978 से कमेटी सदस्य थे। 

सरना या कालका के सिर सजेगा ताज! : दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का ताज किसके सिर सजेगा, यह तो शनिवार 22 जनवरी को दोपहर बाद पता चलेगा, लेकिन शिरोमणि अकाली दल (बादल) की तरफ से हरमीत सिंह कालका का नाम अध्यक्ष पद के लिए आने की पूरी संभावना है। वह वर्तमान में कमेटी महासचिव के साथ अकाली दल के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं।

वहीं विपक्ष की तरफ से शिरोमणि अकाली दल (दिल्ली) के अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना या हरविंदर सिंह सरना उ मीदवार होंगे। दोनों सरना बंधु कमेटी के अध्यक्ष रह चुके हैं। इसी तरह महासचिव पद के लिए अकाली दल बादल की तरफ से जगदीप सिंह काहलों का नाम चल रहा है, जबकि विपक्ष की तरफ से मंजीत सिंह जीके के बेहद करीबी एवं दिल्ली के पार्षद परमजीत सिंह राणा उ मीदवार हो सकते हैं। इसके अलावा वरिष्ठ उपाध्यक्ष, कनिष्ठ उपाध्यक्ष तथा संयुक्त सचिव के पद पर भी कई नाम चर्चा में हैं। 

नए मैंबरों को टूटने से बचाने में जुटी पार्टियां, कई सदस्य भूमिगत : गुरुद्वारा कमेटी के शनिवार को होने जा रहे आंतरिक चुनाव तीनों धड़ों के लिए बहुत अहम हैं। अगले 2 दिन सभी दलों के लिए बेहद खास हैं। यही कारण है कि अपने-अपने सदस्यों को लेकर पाॢटयां भूमिगत हो गई हैं। कमेटी के गलियारों में चर्चा यह भी है कि कुछ सदस्य दिल्ली से बाहर किसी होटल में सुरक्षित पहुंचाए गए हैं। कुछ लोगों को चंडीगढ़ के एक होटल में रखा गया है, ऐसी भी जानकारी आ रही है। हालांकि सदस्यों की ‘वफादारी’ की बोली लग चुकी है। इस खेल में जो भी दल अपने सदस्यों को बचा ले जाएगा, वही कमेटी का सरदार होगा। 

नई कमेटी के समक्ष बड़ी चुनौतियां : दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी किसी भी दल की बने, लेकिन कमेटी को आॢथक मोर्चे पर जिन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, उनसे निकलने के लिए नई टीम को बड़ी मुश्किलों का सामना पड़ेगा। सबसे पहले गुरुद्वारा बाला साहिब अस्पताल का सुचारू संचालन कराना होगा। साथ ही गुरु हरिकिशन पब्लिक स्कूलों के सिर पर चढ़े करोड़ों रुपए का कर्ज उतारना होगा। कमेटी स्कूलों में 7वें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने का दबाव भी बड़ा है। 

इसके अलावा छठे वेतन आयोग का बकाया तथा 7वें वेतन आयोग के हिसाब से वेतन देने सहित कई चीजें शामिल हैं। लंबे समय से कमेटी सदस्यों को हर साल मिलने वाला 6 लाख रुपए का फंड बंद है। यदि फंड चालू किया जाता है तो यह भी कमेटी के लिए बड़ा खर्चा होगा। हालांकि कोविड के कारण कमेटी का समागमों में लगने वाला खर्चा बच रहा है और गुरुद्वारा बंगला साहिब में ही कमेटी अपने रागियों से कीर्तन करवा कर फिलहाल गुरु पर्व मना रही है।-दिल्ली की सिख सियासत सुनी पांडेय
 

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