बादल साहिब के तेवर : ‘बड़े भाई’ का दावा छिन जाने का डर

Edited By ,Updated: 05 Mar, 2020 03:44 AM

badal sahib s attitude fear of losing the claim of elder brother

शिरोमणि अकाली दल (बादल) के संरक्षक प्रकाश सिंह बादल, जिन्होंने बीते काफी समय से अपने को सक्रिय राजनीति से अलग-थलग कर लिया हुआ था, यहां तक कि पंजाब विधानसभा के सम्मानित सदस्य होते हुए भी वह उसकी बैठकों में भाग नहीं ले रहे थे, के अचानक ही दिल्ली में...

शिरोमणि अकाली दल (बादल) के संरक्षक प्रकाश सिंह बादल, जिन्होंने बीते काफी समय से अपने को सक्रिय राजनीति से अलग-थलग कर लिया हुआ था, यहां तक कि पंजाब विधानसभा के सम्मानित सदस्य होते हुए भी वह उसकी बैठकों में भाग नहीं ले रहे थे, के अचानक ही दिल्ली में हुई हिंसा को आधार बना केन्द्रीय सरकार पर हल्ला बोलते हुए, राजनीति में सक्रिय हो जाने को राजनीतिक गलियारों में आश्चर्य से देखा जा रहा है। समाचारों के अनुसार दिल्ली में हुई हिंसा को लेकर स. बादल ने कहा कि 1984 के बाद अब दिल्ली में हुई हिंसक घटनाएं बहुत दुखदायी हैं। सरकार केन्द्र की हो या राज्य की, उसके लिए भारतीय संविधान की मूल भावनाओं को समझना और अल्पसंख्यकों सहित सभी का विश्वास जीतना बहुत जरूरी है। 

वह यह तक कहने से भी नहीं चूके कि आज देश में न तो धर्मनिरपेक्षता रह गई है और न ही समाजवाद, लोकतंत्र भी लोकसभा और राज्यसभाओं के चुनावों तक सीमित होकर रह गया है। पंजाब और अकाली राजनीति से संबंधित चले आ रहे राजनीतिक विशेषज्ञों की मान्यता है कि प्रकाश सिंह बादल का अचानक ही इस प्रकार पर्दे के पीछे से सामने आकर केन्द्रीय सरकार पर हल्ला बोलना आम लोगों के लिए तो आश्चर्यपूर्ण हो सकता है, परन्तु उनकी नजरों में ऐसा नहीं है। इसका कारण वे यह बताते हैं कि पंजाब में हुई गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी की घटनाओं और बरगाड़ी में हुए गोलीकांड के चलते शिरोमणि अकाली दल (बादल) का ग्राफ लगातार पतन की ओर बढ़ता चला जा रहा है। इसके साथ ही इन दिनों नागरिकता से संबंधित कानूनों का सिख जगत की ओर से विरोध किए जाने के बावजूद अकाली सांसदों का इनके पक्ष में मतदान किया जाना और दिल्ली में हुई हिंसा पर सुखबीर सिंह बादल और हरसिमरत कौर की चुप्पी बादल अकाली दल के लिए घातक साबित हो रही है। 

इन राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि इधर इस प्रकार बादल अकाली दल के विरुद्ध बने वातावरण का लाभ उठाते हुए पंजाब प्रदेश भाजपा के नेतृत्व का सक्रिय होकर, अपनी स्थिति मजबूत करने के साथ ही पंजाब विधानसभा के आगामी चुनावों के लिए बड़ा भाई होने का दावा ठोंक दिए जाने से संभवत: प्रकाश सिंह बादल को ऐसा  लगने लगा कि बादल दल से बड़ा भाई होने का 30 वर्ष से चला आ रहा दावा छिन जाने से सुखबीर सिंह बादल को पंजाब के मुख्यमंत्री पद पर देखने का वह सपना पूरा नहीं हो सकेगा, जिसे पाले सुखबीर की माता सुरिन्द्र कौर इस नश्वर संसार से विदा हो गई थीं। माना जाता है कि इसी सोच के चलते ही गठजोड़ में बड़े  भाई का दावा बनाए रखने हेतु ही उन्हें (वरिष्ठ बादल को) सक्रिय होने के लिए मजबूर कर दिया। 

सिख वर-वधू परिचय सम्मेलन
जैनियों आदि  जातियों में प्रचलित चले आ रहे वर-वधू परिचय सम्मेलन की तर्ज पर ‘आओ बणिए गुरसिख प्यारा’ क्विज शो के आयोजकों की ओर से गुरसिख बच्चों और बच्चियों के लिए वर-वधू परिचय सम्मेलन का आयोजन किए जाने का फैसला किया गया है। यह जानकारी दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व महासचिव कुलमोहन सिंह ने दी। उन्होंने बताया कि आजकल लड़का हो या लड़की, के लिए उपयुक्त रिश्ते की तलाश उनके माता-पिता के लिए सहज में न सुलझ पाने वाली समस्या बनी हुई है। उनका कहना है कि यदि उपयुक्त रिश्ता मिल भी जाए तो दहेज तथा शादी समारोह आदि पर दिखावे के रूप में होने वाले अन्य खर्च जी का जंजाल बन जाते हैं। उन्होंने बताया कि इन स्थितियों से उभरने के लिए ‘आओ बणिए गुरसिख प्यारा’ क्विज शो के आयोजकों द्वारा इस वर-वधू परिचय सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि यह मिलन समारोह 29 मार्च को गुरुद्वारा सिंह सभा, नारायणा दिल्ली में आयोजित किया जा रहा है। उनका कहना है कि यदि यह आयोजन सफल रहता है तो इसका विस्तार हो सकता है और अन्य सिख संस्थाएं भी ऐसे आयोजन करने के लिए आगे आ सकती हैं। 

इनका बायकाट क्यों न हो?
बीते लम्बे समय से दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी में करोड़ों रुपए के हो रहे घपलों से संबंधित आरोप-प्रत्यारोप लगाए जाने का सिलसिला लगातार चलता आ रहा है जिससे न केवल समूचे सिख जगत की छवि धूमिल हो रही है, अपितु सिख धर्म-स्थानों, गुरुद्वारों के धर्म प्रचार के स्रोत होने पर भी प्रश्र चिन्ह लगाए जाने लगे हैं। इस स्थिति से आहत सिख फैडरेशन के मुखी गुरमीत सिंह फैडरनिष्ट का कहना है कि वे लोग, जिन्हें सिख धर्म की मान-मर्यादा की रक्षा करने और गुर-स्थानों की  पवित्रता बनाए रखने की जिम्मेदारी सौंपी गई है, यदि वही अपनी जिम्मेदारी की अवहेलना कर समूचे सिख जगत का मजाक बनाने पर तुले बैठे हों तो क्यों न सिख जगत को जागरूक कर उनके बायकाट की मुहिम आरम्भ कर उन्हें उनकी औकात का एहसास करवाया जाए? उनका दावा है कि यदि ऐसी मुहिम शुरू की जाए तो इसमें सिख जगत का भरपूर सहयोग मिल सकता है क्योंकि इन कथित सिख नेताओं के आचरण-व्यवहार से समूचा सिख जगत आहत है और इनसे छुटकारा पाना चाहता है।-न काहू से दोस्ती न काहू से बैर जसवंत सिंह ‘अजीत’
 

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