Edited By ,Updated: 10 May, 2024 05:58 AM
एक दौर था जब पढ़ाई लिखाई पूरी करने के बाद हर युवक को नौकरी या व्यवसाय में प्रवेश करना ही पड़ता था। फिर शुरू होती थी उनके जीवन में 9 से 5 की दिनचर्या। जैसे-जैसे समय बदला, नौकरी और व्यापार के माहौल में भी बदलाव आए। लेकिन जब से कोविड की महामारी आई,...
एक दौर था जब पढ़ाई लिखाई पूरी करने के बाद हर युवक को नौकरी या व्यवसाय में प्रवेश करना ही पड़ता था। फिर शुरू होती थी उनके जीवन में 9 से 5 की दिनचर्या। जैसे-जैसे समय बदला, नौकरी और व्यापार के माहौल में भी बदलाव आए। लेकिन जब से कोविड की महामारी आई, उसने दुनिया भर में ‘वर्क फ्रॉम होम’ का चलन शुरू कर दिया। आज अधिकतर युवा और प्रोफैशनल किसी की नौकरी करना पसंद नहीं करते। वे खुद के ही बॉस बनने में विश्वास रखते हैं। ऐसे काम करने वालों को ‘गिग वर्कर्स’ कहा जाता है।
आम तौर पर ‘उबर’ व ‘ओला’ जैसी टैक्सी चलाने वाले या खाना व अन्य वस्तुएं डिलीवर करने वालों को ‘गिग वर्कर’ माना जाता है, परंतु ऐसा सोचना सही नहीं है। आज के दौर में हर वह व्यक्ति या प्रोफैशनल, जो किसी भी कंपनी में मासिक वेतन की सूची में नहीं है, परंतु वह किसी न किसी कंपनी के लिए कुछ न कुछ कार्य कर रहा है, वह ‘गिग वर्कर’ की श्रेणी में आता है। फिर वह चाहे पत्रकार हो, वकील, आर्किटैक्ट, लेखक, फोटोग्राफर, वैब डिजाइनर या अन्य कोई भी हो, जो भी किसी बड़ी या छोटी कंपनी या संस्था के लिए एक विशेष प्रोजैक्ट पर कार्य कर रहा है, वह गिग वर्कर, फ्रीलांसर या सलाहकार की श्रेणी में ही आता है। ऐसा करने से उस कंपनी को भी अपने वैतनिक कर्मचारियों की संख्या बढ़ानी नहीं पड़ती। ऐसे में ‘गिग वर्कर’ उस कंपनी के न सिर्फ ऊपरी खर्च भी घटाते हैं, बल्कि कार्य कुशलता के साथ उस प्रोजैक्ट या असाइनमैंट को पूरा भी करते हैं।
‘गिग वर्कर’ होने के कई फायदे भी हैं। ऐसा कार्य करने वाला हर व्यक्ति अपनी मर्जी का मालिक होता है। जब भी मन करे वो काम पर हो सकता है और जब भी मन करे वो छुट्टी पर हो सकता है। उसे किसी से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होती। मुझे याद है, जब 2013 में मैं दुबई गया था, वहां टैक्सी चलाने वाले एक दक्षिण भारतीय से पूछा कि दुबई में काम करने के लिए अधिकतर लोग भारत या अन्य देशों से ही आते हैं। इन्हें दुबई में काम करने पर कैसा माहौल मिलता है? वह काफी संतुष्टि से बोला कि हम बहुत सुखी हैं। हम अच्छा पैसा कमाते हैं। जब मैंने उससे उसकी औसत कमाई पूछी तो उसने बताया करीब एक लाख रुपए कमा लेता हूं। जैसे ही मैंने उसकी तनख्वाह पूछी तो वह बोला कि हमें प्रति किलोमीटर कमीशन मिलती है। हम अधिक से अधिक समय गाड़ी चलाना पसंद करते हैं। जब मन करता है ड्यूटी ऑफ कर लेते हैं। कुछ ही वर्षों बाद जब से भारत में ‘उबर’ व ‘ओला’ की टैक्सियों का चलन बढऩे लगा तो इनके ड्राइवरों से भी कुछ ऐसी ही प्रतिक्रिया मिली।
आज भारत में ऐप से चलने वाली कई टैक्सी सेवाएं हैं, जो आपको कभी भी और कहीं भी ले जा सकती हैं। ऐसे में यदि आप स्वयं गाड़ी खरीद कर रखें तो उसके रख-रखाव आदि के खर्च से भी बच जाते हैं। इसके साथ ही किसी बेरोजगार को रोजगार भी मिल जाता है। जिस तरह आज आपको घर बैठे ही कुछ भी सामान, कभी भी और कहीं भी मंगाना हो, तो आप झट से अपने स्मार्टफोन की मदद से उसे उपलब्ध करा लेते हैं। ऐसा तभी संभव होता है क्योंकि इसे कामयाब करने के लिए ऐसे लाखों ‘गिग वर्कर्स’ की एक फौज दुनिया भर में तैनात है और हर दिन इसमें बढ़ौतरी हो रही है।
आंकड़ों के अनुसार, अमरीका जैसे देश में 5.73 करोड़ ‘गिग वर्कर’ हैं। एक अनुमान के तहत 2027 आते-आते अमरीका में काम करने वालों की 50 प्रतिशत संख्या ‘गिग वर्कर्स’ की होगी। भारत की ही बात करें तो 2021 में ही ‘गिग वर्कर्स’ की संख्या करीब 1.5 करोड़ थी, जो हर दिन बढ़ती जा रही है। एक शोध के अनुसार 2023 के अंत तक दुनिया भर की अर्थव्यवस्था में ‘गिग वर्कर’ के जरिए करीब 45.5 करोड़ डॉलर का योगदान हुआ। इसलिए यदि आप अपने लिए घर बैठे ही कोई रोजगार देख रहे हैं, तो इस विषय में भी सोचें कि ‘गिग वर्कर’ बन कर आप न सिर्फ स्वयं के बॉस बन सकते हैं, बल्कि अपनी मर्जी अनुसार काम पर आ-जा सकते हैं। आज के तनाव भरे माहौल में यदि आपको अपने लिए व अपनों के लिए समय निकालना है तो ‘गिग वर्कर’ एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता है।-रजनीश कपूर