2023 के बजट में शायद सभी के लिए कुछ होगा

Edited By ,Updated: 31 Jan, 2023 04:42 AM

budget 2023 will probably have something for everyone

संसद में महत्वपूर्ण कार्यों में से एक वार्षिक बजट को प्रस्तुत करना होता है। 1 फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 2023 का बजट पेश करेंगी। आखिर बजट क्यों महत्वपूर्ण है? यह सरकार की राजकोषीय नीति और संसाधनों के वितरण के तरीके के बारे में...

संसद में महत्वपूर्ण कार्यों में से एक वार्षिक बजट को प्रस्तुत करना होता है। 1 फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 2023 का बजट पेश करेंगी। आखिर बजट क्यों महत्वपूर्ण है? यह सरकार की राजकोषीय नीति और संसाधनों के वितरण के तरीके के बारे में विहंगम दृष्टि देता है। 2023 के बजट में चालू वित्त वर्ष के लिए संशोधित राजस्व अनुमान और अगले वर्ष के लिए कार्यसंग्रह का पूर्वानुमान होगा। 

आगामी बजट अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि यह 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार का आखिरी बजट होगा। प्रधानमंत्री मोदी 2024 में हैट्रिक लगाने की कोशिश करेंगे और ऐसी उन्हें उम्मीद भी है। इसलिए बजट में कुछ आश्चर्यजनक होना तय है। सवाल यह है कि क्या यह 1997 में तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम द्वारा पेश किए गए एक स्वप्निल बजट जैसा होगा जिसमें व्यक्तिगत और कार्पोरेट करों के निचले स्लैब प्रस्तावित किए गए थे या फिर 2024 के लोकसभा चुनावों को देखते हुए यह एक लोकलुभावन बजट होगा? 

हमेशा की तरह वित्तीय विशेषज्ञों से लेकर आम नागरिकों तक कई अपेक्षाएं और भविष्यवाणियां तैर रही हैं। 2023 के बजट में शायद सभी के लिए कुछ न कुछ होगा क्योंकि राजनीतिक दलों को मतदाताओं को लुभाने में महारत हासिल है। मतदाता तेजी से उन नई लोक लुभावन योजनाओं के आदी हो रहे हैं जो कल्याणकारी खर्च का समर्थन करती हैं। आम आदमी की दिलचस्पी इस बात में होती है कि बजट में उसे क्या टैक्स छूट मिलती है? हालांकि कुछ अर्थशास्त्रियों का कहना है कि बजट चुनाव से पहले लोक लुभावनवाद का सहारा लेने की बजाय विकास का समर्थन करने और राजकोषीय दबावों को संतुलित करने पर ध्यान केंद्रित करेगा। 

वित्त मंत्री ने कुछ समय पहले वाॢषक आई.एम.एफ.-विश्व बैंक की बैठक के लिए अमरीका में रहते हुए कुछ संकेत दिए थे और कहा था, ‘‘आगामी बजट के लिए विकास प्राथमिकताओं को बिल्कुल शीर्ष पर रखा जाएगा।’’उन्होंने यह भी कहा, ‘‘भारतीय अर्थव्यवस्था को गति नहीं खोनी चाहिए। बजट अगले 25 वर्षों के लिए भारत को तैयार करने के लिए पिछले बजटों की भावना का पालन करेगा।’’ 

1947 में आजादी हासिल करने के बाद से बजट प्रस्तुति में अपने उपनिवेशक अतीत में कई बदलाव आए हैं। उदाहरण के लिए पहले बजट शाम को लंदन के समय पेश किया जाता था। शाम को एक प्रस्तुति ने उत्पादकों और कर संग्रह करने वाली एजैंसियों को कीमतों में बदलाव का पता लगाने के लिए रात दे दी। 90 के दशक की शुरूआत में उदारीकरण तक सभी बजट करों में वृद्धि करते थे। 

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के शासन के दौरान संसद ने इसे 1999 में शाम 5 से 11 बजे तक स्थानांतरित कर दिया। 2017 में रेल बजट को वाॢषक बजट में मिला दिया गया। निर्मला सीतारमण ने बजट के कागजात लिए काले ब्रीफकेस के साथ लोकसभा में प्रवेश करने की परम्परा को तोड़ा। इसकी बजाय यह डिजिटल अवधारणा के अनुरूप एक पारंपरिक बहीखाता शैली में दिखने लगा। 

सौभाग्य से मोदी सरकार जोखिम लेने के लिए इस समय बेहतर स्थिति में है क्योंकि कोविड महामारी के बावजूद 2022 में काफी कर संग्रह हुआ है। 10 जनवरी, 2023 तक प्रत्यक्ष संग्रह कर 14.71 लाख करोड़ रुपए था। सरकार द्वारा महामारी के दौरान 800 मिलियन लोगों के लिए मुफ्त भोजन कार्यक्रम की योजना को बंद करने के बाद इसमें कुछ कटौती भी की गई है।  कुछ महीने पहले एयर इंडिया की बिक्री भी साम्यक थी। हालांकि चुनाव के करीब निजीकरण सिकुड़ सकता है। 

मतदाताओं को नई कल्याणकारी योजनाओं की जरूरत है। ब्लूम्सबर्ग के एक हालिया सर्वेक्षण में भविष्यवाणी की गई है कि अप्रैल से वित्त मंत्री साल-दर-साल करीब 12.5 प्रतिशत खर्च बढ़ा कर 44.40 ट्रिलियन रुपए (544 मिलियन डालर) कर सकती हैं। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि बजट 2023 ग्रोथ ड्राइवर के रूप में पूंजीगत व्यय पर ध्यान केंद्रित करेगा। गैर-जरूरी सामानों पर सीमा शुल्क और आयात निर्भरता को रोकने और घरेलू उद्योग को बढ़ावा देने के लिए विलासिता की वस्तुओं में वृद्धि की जा सकती है। 

सरकार पूंजीगत सामान, रक्षा, रेलवे और सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों पर ध्यान केंद्रित करते हुए विनिर्माण क्षेत्र को और अधिक गति प्रदान करने पर भी ध्यान केंद्रित करेगी। ग्रामीण क्षेत्र भी उतने ही जरूरी हैं। मूल्य वृद्धि और मुद्रास्फीति दो महत्वपूर्ण मुद्दे हैं जिनका आम जनता सामना करती है। इनसे निपटने की बेहद आवश्यकता है। अगला महत्वपूर्ण मुद्दा रोजगार सृजन है। कई कमजोर श्रमिकों ने महामारी के दौरान अपनी नौकरी खो दी और अभी भी बिना किसी स्थायी आजीविका के सड़कों पर हैं। किसी भी बाजार में जाइए तो आप पाएंगे कि ज्यादातर दुकानें बंद हैं या सस्ती जगहों पर चली गई हैं। 

जीवन यापन की बढ़ती लागत और गिरती आय ने आकांक्षी मध्यम वर्ग के विकास को प्रभावित किया है। वरिष्ठ नागरिक भी चिकित्सा लाभ और उनकी पैंशन पर कोई कर नहीं मांगते हैं। सरकार को कुछ प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों को कम करना चाहिए ताकि लोगों के लिए अधिक पैसा उपलब्ध हो सके। महामारी ने उभरते हुए नए कोविड रूपों और बेहतर तैयारियों से निपटने के लिए स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए परिव्यय में वृद्धि की आवश्यकता को दिखाया। शिक्षा, ग्रामीण विकास और मनरेगा जैसी सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं के लिए भी अधिक धन की आवश्यकता है। एक फरवरी तक सभी प्रकार की भविष्यवाणियों के साथ हम आगे जा सकते हैं। कुल मिलाकर वित्त मंत्री विवेकपूर्ण 2023 बजट का विकल्प चुन सकती हैं जो नर्म और व्यावहारिक हो सकता है।-कल्याणी शंकर
 

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!