सब किया धरा खत्म कर देगी जरा सी भी ढिलाई

Edited By Updated: 23 Apr, 2025 05:33 AM

even the slightest laxity will ruin everything

कश्मीर घाटी में आतंकवादियों ने पर्यटकों पर हमला कर एक बार फिर से कायराना हरकत की है। ऐसे में जब लंबी जद्दोजहद के बाद अनुच्छेद 370 खत्म हुआ और  जम्मू-कश्मीर में शांति लौट रही है, पर्यटक फिर से आने लगे हैं, आतंकवादियों की ऐसी हरकतें सब कुछ चौपट कर...

कश्मीर घाटी में आतंकवादियों ने पर्यटकों पर हमला कर एक बार फिर से कायराना हरकत की है। ऐसे में जब लंबी जद्दोजहद के बाद अनुच्छेद 370 खत्म हुआ और  जम्मू-कश्मीर में शांति लौट रही है, पर्यटक फिर से आने लगे हैं, आतंकवादियों की ऐसी हरकतें सब कुछ चौपट कर सकती हैं। जी हां, डर यही है कि है था में न बदल जाए।

जम्मू-कश्मीर समृद्ध होने की ओर बढऩे लगा था। इसके समर्थन में कई आंकड़े हैं। वर्ष 2024 में सवा दो करोड़ से ज्यादा पर्यटक आए (2,35,90,081)। यह संख्या वर्ष 2021 में आए कुल 1.13 करोड़ पर्यटकों की संख्या से दोगुनी से भी ज्यादा है। पर्यटकों की आमद 2021 से लगातार बढ़ रही है। यह कश्मीर घाटी में सुधरते माहौल का एक बड़ा संकेत है। पिछले दिनों जम्मू-कश्मीर सरकार ने विधानसभा में आॢथक समीक्षा रिपोर्ट पेश की थी। इसके अनुसार 2021 से 2024 के बीच जम्मू और कश्मीर में करीब 7.5 करोड़ पर्यटक आए। इनमें से 13.33 फीसदी यानी करीब 1 करोड़ पर्यटक कश्मीर घाटी में भी गए। दूसरी ओर वर्ष 2019 में स्थितियां ऐसी थीं कि कश्मीर घाटी में उस साल 5 लाख से भी कम पर्यटक आए थे। इनमें भी साढ़े 4 लाख से ज्यादा पर्यटक जनवरी से जुलाई के बीच आए थे। अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 के प्रावधान को हटाया गया तो राज्य में कई महीने तक पाबंदियां रहीं और उसके बाद कोरोना का लॉकडाऊन शुरू हो गया। 

मगर 2021 के बाद घाटी के माहौल में काफी सुधार आया। पत्थरबाजी की घटनाएं कम हुईं। आतंकवाद पर नकेल कसी गई। 22 मई, 2023 को जी-20 के पर्यटन कार्य समूह का तीसरा सम्मेलन कश्मीर घाटी में हुआ। पर्यटन उद्योग स्थानीय कश्मीरी युवाओं को रोजगार के अवसर मुहैया कराता है। जम्मू-कश्मीर की कुल जी.डी.पी. का 7 से 8 फीसदी पर्यटन उद्योग से ही आता है (2023 में यह लेखक खुद पहली बार 7 दिनों के लिए घाटी गया था और लाल चौक पर फहराते झंडे को देख गौरवान्वित हुआ था। परिवार को कह दिया था, घूमो अकेले। अब तो आज की घटना के बाद सोच के ही डर लग रहा है)। कश्मीर घाटी के पहलगाम में मंगलवार को आतंकवादियों ने पर्यटकों को निशाना बनाकर हमला किया। यह हमला ऐसे समय पर हुआ है, जब घाटी में टूरिस्ट सीजन चरम पर है। पर्यटकों के बीच पहलगाम का काफी आकर्षण है। 

लेकिन मामला सिर्फ इतना सीधा भी नहीं है। 2024 में 18 सितम्बर और 1 अक्तूबर के बीच हुए चुनाव के बाद उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में नैशनल कांफ्रैंस की सरकार बनी। पिछले साल मई-अप्रैल से ही जम्मू-कश्मीर में सुरक्षाबलों पर आतंकवादी हमले बढऩे शुरू हो गए थे। 9 जून, 2024 को आतंकवादियों ने रियासी जिले में तीर्थयात्रियों की बस पर हमला किया, जिसमें 9 तीर्थयात्री मारे गए और 42 घायल हुए। 8 जुलाई, 2024 को कठुआ में सैन्य काफिले के वाहन को निशाना बनाया, जिसमें 5 सैन्यकर्मी शहीद हुए और 5 अन्य घायल हो गए। उसके बाद 19 अगस्त को सी.आर.पी.एफ. की पैट्रोङ्क्षलग टीम पर ऊधमपुर में हमला किया गया, जिसमें 1 जवान शहीद हुआ। इसके अलावा पिछले साल से ही आतंकवादी गैर-स्थानीय लोगों को भी एक अंतराल के बाद मौका मिलने पर निशाना बनाते रहे हैं। 

ये वारदातें संकेत हैं कि नई राज्य सरकार, जो खुद को काफी उदार दिखाने की कोशिश कर रही है, के सत्ता में आने के बाद लोगों के लिए कुछ ढिलाई की गई है, जिसका फायदा आतंकवादी उठा रहे हैं। सुरंगों के जरिए घाटी के एल.ओ.सी. से लगे क्षेत्रों में पाकिस्तान की ओर से घुसपैठ की संख्या बढ़ रही है। आज की घटना को पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष असीम मुनीर के पिछले दिनों दिए गए भारत विरोधी भड़काऊ  बयान से भी जोड़ा जाना चाहिए। कहीं यह सब कुछ आई.एस.आई. के इशारे पर तो नहीं हो रहा। घाटी के स्लीपर सैल तो जिम्मेदार हैं ही। उधर आने वाले दिनों में श्रीनगर तक वंदे भारत ट्रेन चलनी है। यह ढिलाई सब किया-धरा खत्म कर सकती है, पर संयम जरूरी है। इसलिए सुरक्षा से किसी भी कीमत पर समझौता नहीं किया जाना चाहिए। इससे पर्यटन पर भी बुरा असर पड़ेगा, जो कि घाटी की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है।-अकु श्रीवास्तव
 

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