Edited By ,Updated: 04 May, 2024 05:17 AM
पंजाब की 13 लोकसभा सीटों के लिए 1 जून को होने वाले चुनाव के लिए भाजपा को छोड़कर सभी पार्टियों ने अपने उम्मीदवारों के नाम जारी कर दिए हैं। इस बार राजनीतिक दलों को उम्मीदवार ढूंढने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
पंजाब की 13 लोकसभा सीटों के लिए 1 जून को होने वाले चुनाव के लिए भाजपा को छोड़कर सभी पार्टियों ने अपने उम्मीदवारों के नाम जारी कर दिए हैं। इस बार राजनीतिक दलों को उम्मीदवार ढूंढने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। सभी पार्टियां अपने-अपने कैडर के उम्मीदवारों को मैदान में उतारने के बजाय दूसरे दलों के नेताओं को शामिल कर टिकट देने में एक-दूसरे से आगे निकलने की कोशिश कर रही हैं। इस घटना ने जहां पंजाब के राजनीतिक दलों के कार्यकत्र्ताओं में निराशा पैदा की है, वहीं आम जनता के बीच राजनीतिक दलों के नेताओं की छवि पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।
पंजाब की राजनीति में पिछले कई दशकों से हर चुनाव किसी करिश्माई नेता के नेतृत्व में लड़ा जाता रहा है। पिछले 3 दशकों की बात करें तो प्रकाश सिंह बादल, कैप्टन अमरेंद्र सिंह ऐसे नेताओं में रहे हैं जो जनता के बीच हर तरह का करिश्मा करने में सक्षम थे। इसके अलावा भगवंत सिंह मान भी पिछले विधानसभा चुनाव में करिश्माई नेता बनकर उभरे थे और उनके नेतृत्व में आम आदमी पार्टी भारी बहुमत से जीती थी। लेकिन इस बार पंजाब की राजनीति में करिश्माई नेताओं की कमी है और इस वजह से पार्टियां स्थानीय नेताओं पर दांव लगा रही हैं। लेकिन इस बार इन चुनावों में उग्र विचारधारा वाले नेता सिमरनजीत सिंह मान के साथ-साथ ‘वारस पंजाब दे’ के प्रमुख अमृतपाल सिंह और गैंगस्टर से नेता बने लक्खा सिधाना भी मैदान में उतरे हैं। सिमरनजीत सिंह मान लंबे समय से खालिस्तान की मांग कर रहे हैं और अमृतपाल और लक्खा सिधाना भी खालिस्तान के समर्थक हैं।
सिमरनजीत सिंह मान लगभग सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का दावा कर रहे हैं जबकि खडूर साहिब से उन्होंने आजाद उम्मीदवार अमृतपाल को समर्थन देने का ऐलान किया है। सिमरन जीत सिंह मान ने अमृतपाल के पक्ष में खडूर साहिब से अपने उम्मीदवार हरपाल सिंह बलेर का नाम वापस लेने की भी घोषणा की है। अमृतपाल सिंह, लक्खा सिधाना और सिमरनजीत सिंह मान के एक साथ चुनाव लडऩे से पंजाब में अकाली दल, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और भाजपा सहित सभी पार्टियों के चुनावी गणित पर असर पडऩे की आशंका है। अमृतपाल सिंह का खडूर साहिब से चुनाव लडऩा अकाली दल को उसके किले में घेरने के समान है क्योंकि यह निर्वाचन क्षेत्र पूरी तरह से पंथक निर्वाचन क्षेत्र माना जाता है और अमृतपाल का पैतृक गांव जल्लूपुर खेड़ा भी इसी निर्वाचन क्षेत्र में आता है।
माझा में 6 विधानसभा क्षेत्र, 2 विधानसभा क्षेत्र दोआब में और 1 विधानसभा क्षेत्र मालवा में पड़ता है। पिछले 50 वर्षों में, कांग्रेस यहां से केवल 2 बार जीती है, एक बार 1992 में जब अकाली दल ने चुनावों का बहिष्कार किया था। यह सीट अकाली दल बादल के लिए सबसे सुरक्षित सीट साबित होने वाली थी, लेकिन अमृतपाल के आने से अकाली दल बादल के लिए बड़ी परेशानी खड़ी हो सकती है। अमृतपाल की एंट्री से पहले अकाली दल बादल के बड़े नेता बिक्रम सिंह मजीठिया के यहां चुनाव लडऩे की चर्चा थी, लेकिन अमृतपाल के फैसले के बाद अकाली दल बादल की ओर से विरसा सिंह वल्टोहा को उम्मीदवार घोषित किया गया है, लेकिन अकाली दल के प्रतिद्वंद्वी पंथ नेता अकाली दल वल्टोहा को पंथ विरोधी उम्मीदवार बताया जा रहा है और अकाली दल बादल पर अमृतपाल की मदद करने का दबाव बना रहा है।
इस मांग ने अकाली दल बादल को सकते में डाल दिया है क्योंकि अगर अकाली दल बादल अमृतपाल की मदद करेगा तो वह खालिस्तान की मदद करने के लिए मजबूर हो जाएगा, अगर नहीं करेगा तो अकाली दल के पंथक नेता अकाली दल पर सिख विरोधी होने का आरोप लगाएंगे। दिलचस्प बात यह है कि कुछ अकाली नेताओं का मानना है कि अमृतपाल के चुनाव लडऩे से अकाली दल को फायदा होगा क्योंकि अमृतपाल को जो वोट मिलने वाला है वह अकाली दल को नहीं जाएगा। इसलिए अमृतपाल के चुनाव लडऩे से कांग्रेस और आम आदमी पार्टी को नुकसान होगा।
आम आदमी पार्टी ने कैबिनेट मंत्री लालजीत सिंह भुल्लर को खडूर साहिब से उम्मीदवार बनाया है लेकिन अमृतपाल के चुनाव मैदान में उतरने से आम आदमी पार्टी को परेशानी भी हो सकती है क्योंकि सिख युवा अमृतपाल पर एन.एस.ए. लगाने का आरोप आम आदमी पार्टी पर लगा रहे हैं। पार्टी ने सांप्रदायिक पृष्ठभूमि से आने वाले नेता कुलबीर सिंह जीरा को उम्मीदवार बनाया है। लेकिन अमृतपाल और उनके साथी 1 जून के मतदान दिवस को दरबार साहिब पर सैन्य कार्रवाई से जोड़कर कांग्रेस को बदनाम कर सकते हैं और पूरे पंजाब में मतदाताओं को प्रभावित करने की कोशिश कर सकते हैं। खालिस्तान समर्थकों का चुनावी मैदान में उतरना बड़ी संख्या में हिंदू मतदाताओं को भाजपा की ओर मोडऩे का मौका साबित हो सकता है।-इकबाल सिंह चन्नी (भाजपा प्रवक्ता पंजाब)