हिजबुल्लाह मतलब ‘अल्लाह की पार्टी’

Edited By Updated: 31 Oct, 2023 06:41 AM

hezbollah means  party of allah

गाजा पट्टी पर इसराईल के बढ़ते हमलों के बीच पश्चिम एशिया में व्यापक युद्ध की आशंकाओं के साथ सभी की निगाहें लेबनान के शक्तिशाली शिया आतंकवादी समूह हिजबुल्लाह पर हैं, जिसने अतीत में इसराईल से लड़ाई की थी और हमास के विरोध करने के अधिकार के लिए समर्थन की...

गाजा पट्टी पर इसराईल के बढ़ते हमलों के बीच पश्चिम एशिया में व्यापक युद्ध की आशंकाओं के साथ सभी की निगाहें लेबनान के शक्तिशाली शिया आतंकवादी समूह हिजबुल्लाह पर हैं, जिसने अतीत में इसराईल से लड़ाई की थी और हमास के विरोध करने के अधिकार के लिए समर्थन की घोषणा की थी। इसराईल द्वारा गाजा पर बमबारी तेज करने के साथ, जिसमें 22 दिनों में 7700 से अधिक लोग मारे गए हैं, एक व्यापक क्षेत्रीय युद्ध की आशंका बढ़ गई है। इसराईल ने गाजा पर बमबारी शुरू कर दी जो 2.3 मिलियन लोगों का एक छोटा और रक्षाहीन इलाका है। यह इलाका इसराईल और भूमध्य सागर के बीच में फंसा हुआ है। 

एक इस्लामी आतंकवादी समूह हमास जोकि गाजा पट्टी को नियंत्रित करता है, ने 7 अक्तूबर को इसराईली सीमा पार कर हमला किया था जिसमें कम से कम 1400 इसराईली मारे गए थे। इसराईल द्वारा जवाबी हमले शुरू करने के बाद लेबनानी शिया आतंकवादी समूह हिजबुल्लाह जिसने अतीत में इसराईल से युद्ध किया था, ने फिलिस्तीनियों के साथ एकजुटता दिखाते हुए इसराईल की सीमा पर एक लेबनानी क्षेत्र शेबा फाम्र्स में रॉकेट दागे। 

पिछले हफ्ते हिजबुल्लाह के नेता हसन नसरूल्लाह ने हमास और फिलिस्तीनी इस्लामिक जेहाद नेताओं से मुलाकात की और ‘फिलिस्तीन प्रतिरोध’ के लिए समर्थन की पेशकश की। गाजा युद्ध शुरू होने के बाद कुछ हिजबुल्लाह लड़ाकों ने उत्तरी इसराईल में घुसने की कोशिश की। इसराईल ने भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए दक्षिणी लेबनान पर भारी गोलाबारी की। जैसे ही तनाव बढ़ा तो विश्व की नजरें हिजबुल्लाह पर पड़ीं और यह कयास लगाए कि क्या हिजबुल्लाह इसराईल के खिलाफ एक और फ्रंट खोलेगा या फिर इसराईल लेबनान पर भारी हमले करेगा। इससे संघर्ष के और बढऩे की संभावना बढ़ जाएगी। 

विडम्बना यह है कि हिजबुल्लाह की जड़ें लेबनान पर इसराईल के 1982 के युद्ध तक जाती हैं जिसके बारे में तत्कालीन लिकुड प्रधानमंत्री मेनकेन बेंगिन ने कहा था कि यह इसराईल के लिए 40 साल की शांति होगी। लेबनान 1975 में शुरू हुए एक विनाशकारी गृहयुद्ध की चपेट में था। लेबनान के अनुसार फ्रांसीसी संविधान के बाद देश को विभिन्न समुदायों में विभाजित किया गया। राष्ट्रपति पद ईसाइयों के लिए, प्रीमियरशिप सुन्नियों के लिए और स्पीकरशिप शियाओं के लिए आरक्षित थी। लेबनान की लगभग 40 प्रतिशत आबादी शिया है। लेबनान में फिलिस्तीनी शरणाॢथयों की आमद और 1971 में जॉर्डन से फिलिस्तीनी लिबेरा संगठन (पी.एल.ओ.) के लेबनान में स्थानांतरण से देश की नाजुक इकबालिया प्रणाली में दरार पैदा हो गई, जबकि सुन्नी और मारोनाइट ईसाई शक्तिशाली साम्प्रदाय थे। शिया अदृश्य बहुमत में थे जिन्हें प्रमुख खिलाडिय़ों और उपनिवेशक संस्थाओं ने दरकिनार कर दिया। 

इसराईल ने पहले पी.एल.ओ. को सीमा क्षेत्र से और फिर देश से बाहर धकेलने के लिए 1978 और 1982 में लेबनान पर हमला किया। 1982 में पी.एल.ओ. लेबनान छोडऩे के लिए सहमत हो गया। लेकिन एक समुदाय जिसे इसराईल की असंगत बमबारी का खमियाजा भुगतना पड़ा, वह पहले ही हाशिए पर था। ईरान जो पहले से ही ईराक के साथ पारम्परिक युद्ध 1980-88 लड़ रहा था, को लेबनान की अराजकता में एक अवसर का अहसास हुआ। ईरानी शासन के इस्लामिक रैवोल्यूशनरी कॉप्र्स ने 1982 में लेबनान में हजारों शियाओं को संगठित करने में मदद की जिसे तब अनौपचारिक रूप से इस्लामिक प्रतिरोध कहा जाता है। कुछ रिपोर्टों के अनुसार यह सर्वोच्च नेता अयातुल्ला रूहुल्लाह खुमैनी थे जिन्होंने नए आंदोलन के लिए ‘हिजबुल्लाह’ (शाब्दिक रूप से ‘अल्लाह की पार्टी’) नाम चुना। 

पिछले कुछ वर्षों में हिजबुल्लाह ने लेबनान के शिया समुदाय में गहरी जड़ें जमाकर व्यापक सामाजिक, राजनीतिक और सैन्य नैटवर्क बनाया है। शियाओं के गढ़ दक्षिणी लेबनान पर इसने कब्जा करने वाली इसराईली सेना के खिलाफ एक अनुशासित, प्रभावी, लोकप्रिय गुरिल्ला युद्ध चलाया और सुरक्षा क्षेत्र को उस स्थान में बदल दिया जिसे एडम शेत्ज असुरक्षा क्षेत्र कहते हैं। पार्टी संगठन का निर्माण लेनिनवादी आदेश के अनुसार किया गया जिसमें महासचिव के हाथों में सत्ता को केंद्रीयकृत किया गया। 

इसराईल ने प्रतिद्वंद्वी संगठनों को कमजोर करने के लिए लक्षित हत्याओं की नीति के तहत 1992 में हिजबुल्लाह के सहसंस्थापक अब्बास अल-मुसावी की हत्या कर डाली, लेकिन मुसावी के उत्तराधिकारी हसन नासरुल्ला ने हिजबुल्लाह को एक सामाजिक-राजनीतिक-उग्रवादी विशाल राज्य के भीतर एक राज्य में बदल दिया। हालांकि इसे इसराईल और उसके सहयोगियों द्वारा एक आतंकवादी संगठन के रूप में नामित्त किया गया है। वर्ष 2000 में 18 साल के कब्जे के बाद इसराईल के प्रधानमंत्री ऐहुद ब्राक ने दक्षिणी लेबनान से एकतरफा वापसी का फैसला किया, जिसे हिजबुल्लाह ने अरब- इसराईल संघर्ष के इतिहास में पहली ‘अरब जीत’ के रूप में मनाया। 

हिजबुल्लाह ने अपनी सैन्य ताकत का पुनर्निर्माण प्रमुख तौर पर ईरान की मदद के साथ किया। इसराईल हिजबुल्लाह को एक शक्तिशाली प्रतिद्वंद्वी के रूप में देखता है। इसके पास छोटे हथियारों, टैंकों, ड्रोन और लम्बी दूरी के राकेटों के शस्त्रागार के साथ 20 हजार सक्रिय लड़ाके और इतने ही रिजर्व हैं। इसराईल ने 3 लाख 50 हजार सैनिक जुटाए हैं जिससे पता चलता है कि वह व्यापक युद्ध के जोखिम को गम्भीरता से ले रहा है। हिजबुल्लाह हमास के लिए अपने अलंकारिक समर्थन को दोहराते हुए सभी को अनुमान लगाने पर मजबूर करता है। ‘पार्टी ऑफ गॉड’ का कहना है कि ‘समय आने पर हम इसराईल के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।’-स्टैनली जॉनी

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