2026 तक हिमाचल हरित ऊर्जा राज्य होगा

Edited By Updated: 08 Apr, 2023 06:04 AM

himachal to be green energy state by 2026

हिमाचल प्रदेश को 31 मार्च, 2026 तक हरित ऊर्जा राज्य के रूप में विकसित करने का मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू का संकल्प भारत के अन्य राज्यों के लिए अग्रदूत के रूप में कार्य कर सकता है लेकिन सफलता के प्रमुख तत्व सौर ऊर्जा तथा पन बिजली के दोहन पर...

हिमाचल प्रदेश को 31 मार्च, 2026 तक हरित ऊर्जा राज्य के रूप में विकसित करने का मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू का संकल्प भारत के अन्य राज्यों के लिए अग्रदूत के रूप में कार्य कर सकता है लेकिन सफलता के प्रमुख तत्व सौर ऊर्जा तथा पन बिजली के दोहन पर टिके रहेंगे जो मिशन के मुख्य घटक है। 

हिमाचल हरित ऊर्जा राज्य बनने की ओर अग्रसर है। मुख्यमंत्री सुक्खू ने इसके लिए एक रोड मैप भी तैयार किया है जिसमें एच.आर.पी.सी. के लिए ई-बसें, ई-शूटियों के लिए लड़कियों के लिए सबसिडी, 6 ग्रीन कोरिडोर विकसित करना, नई सौर ऊर्जा योजनाएं शुरू करना, नई पनबिजली परियोजनाओं की शुरूआत करना, दोहरित पंचायतों के लिए पायलट प्रोजैक्ट शुरू करना शामिल है। 

एक सौर ऊर्जा आधारित बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली परियोजना, इलैक्ट्रिक वाहनों के लिए आदर्श राज्य, निजी बस और ट्रक आप्रेटरों को बड़ा प्रोत्साहन और वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए विश्व बैंक के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर करना अंतिम स्थिति में है। जानकारों का कहना है कि हिमाचल को अपने लक्ष्य को हासिल करने और पहाड़ी राज्य को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए केंद्र से प्रोत्साहन मिल सकता है। 

क्षेत्रीय संतुलन बनाने का राजनीतिक संदेश : यह एक स्थापित तथ्य है कि राजनीतिक लाभ लेने के लिए सभी दलों के नेता पुराने और नए क्षेत्रों के मुद्दों का फायदा उठाते रहे हैं। सुक्खू ने कांगड़ा जिले को हिमाचल प्रदेश की पर्यटन राजधानी घोषित करने के लिए विचार की शुरूआत की है जिसका उद्देश्य अन्य लोकप्रिय पर्यटन स्थलों पर भीड़ को कम करना है इसलिए निकट भविष्य में एक व्यापक योजना तैयार की जाएगी। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि कांगड़ा जिले में इन परियोजनाओं के लिए बजट का आबंटन नई सरकार की राज्य में एक समान विकास माडल को बढ़ावा देने के इरादे को साबित करने की सोची-समझी रणनीति को दर्शाता है। 

नई बागवानी नीति से फल उत्पादकों की शिकायतों का समाधान होगा। कुछ भाजपा नेताओं ने स्वीकार किया है कि नवम्बर 2022 के विधानसभा चुनावों के दौरान शिमला, कुल्लू, मनाली, किन्नौर, कांगड़ा आदि में बड़े नुक्सान के लिए बागवानों और अन्य फल उत्पादकों की उपेक्षा करना एक बड़ी भूल थी। मुख्यमंत्री ने बागवानी की जिम्मेदारी जगत सिंह नेगी को दी है जो आदिवासी जिले से संबंध रखते हैं और पिछली जयराम सरकार के विपरीत बागवानों की समस्या से अच्छी तरह से वाकिफ हैं, जिन्हें उत्पादकों के प्रकोप का सामना करना पड़ा था। 

बजट का मानवीय चेहरा : मुख्यमंत्री सुक्खू ने पदभार ग्रहण करते ही अपनी मानसिकता का परिचय दिया था और समाज के अनाथ व असहाय उत्थान के लिए 101 करोड़ रुपए की घोषणा की थी जिसे बजट में व्यावहारिक रूप दिया गया है। बजट की भावनात्मक विशेषताओं में से एक अनाथ, अद्र्ध-अनाथ और विशेष रूप से विकलांगों से संबंधित है जिन्हें राज्य के बच्चों के रूप में अपनाया जाएगा जो ‘सरकार ही माता सरकार ही पिता’ के सिद्धांत के तहत किया जाएगा। इस योजना को ‘मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना’ के नाम से जाना जाएगा। सरकार पाकेट मनी के रूप में 4000 रुपए प्रदान करेगी और समाज के विशेषाधिकार प्राप्त बच्चों की तरह उन्हें भ्रमण पर ले जाएगी जो हवाई यात्रा करने और स्टार होटलों में रहने के हकदार होंगे। 

सी.एम. ने 13 सामाजिक कल्याण योजनाओं के लिए भी आबंटन किया है जिसे उनके बजट को मानवीय चेहरा देने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता के रूप में देखा जा सकता है। 2,31,000 से अधिक महिलाओं को प्रतिमाह 1500 रुपए मिलने शुरू हो जाएंगे। इससे राज्य के खजाने से 416 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। ये चुनावी वायदे का पहला चरण है और शेष पात्र महिलाओं को आगामी वाॢषक बजट में शामिल किया जाएगा। मुख्यमंत्री विधवा एवं अकाल नारी आवास योजना के तहत 7000 एकल महिलाओं और विधवाओं को पानी और बिजली की सुविधा के अलावा घरों के निर्माण के लिए प्रत्येक को डेढ़ लाख रुपए की वित्तीय सहायता मिलेगी जिससे उनमें अपनेपन की भावना पैदा होगी। 

मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने  अपना पहला बजट 53,413 करोड़ रुपए का पेश किया है जो उनके पूर्ववर्ती भाजपा के पिछले बजटों से थोड़ा अलग है क्योंकि इसे ‘मानवीय चेहरा’ मिला है और आबंटन मुख्य रूप से सामाजिक कल्याण परियोजनाओं और योजनाओं के इर्द-गिर्द घूमता है। अनाथ, गरीब महिलाएं, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, बेरोजगार युवा, छोटे व्यापारी आदि लोगों का विशेष ध्यान इस बजट में रखा गया है।-के.एस. तोमर
 

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