स्वच्छता व शहरी विकास के ऐतिहासिक 20 वर्ष

Edited By ,Updated: 19 Oct, 2021 03:50 AM

historic 20 years of cleanliness and urban development

किसी राष्ट्र के इतिहास में 20 वर्ष एक छोटी अवधि होती है लेकिन किसी व्यक्ति के लिए यह छोटा कालखंड राष्ट्र के विकास में एक मजबूत आधारशिला रखने के लिए पर्याप्त होता है। यह बात अन्य कार्यक्रमों की तुलना में ऐतिहासिक स्वच्छता अभियान

किसी राष्ट्र के इतिहास में 20 वर्ष एक छोटी अवधि होती है लेकिन किसी व्यक्ति के लिए यह छोटा कालखंड राष्ट्र के विकास में एक मजबूत आधारशिला रखने के लिए पर्याप्त होता है। यह बात अन्य कार्यक्रमों की तुलना में ऐतिहासिक स्वच्छता अभियान में स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ती है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 7 अक्तूबर, 2021 को सार्वजनिक जीवन में शीर्ष पदों पर रहते हुए 20 सफल वर्ष पूरे किए। उनकी कई उल्लेखनीय उपलब्धियों में से 2 सबसे महत्वपूर्ण हैं-जल आपूर्ति और स्वच्छता।

पहली उपलब्धि है- गुजरात में जल निकायों को बड़े पैमाने पर पुनर्जीवित करना। केवल 2 दशकों में पानी की भारी कमी से जल की पर्याप्त उपलब्धता तक, पानी की कमी झेल रहे राज्य का कायाकल्प आश्चर्यजनक है। इन उपायों के परिणामस्वरूप आज सिंचित क्षेत्र में 77 प्रतिशत और भूजल पुनर्भरण में 55 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 

प्रधानमंत्री द्वारा विशेष रूप से हमारे शहरों की जल प्रणालियों के कायाकल्प पर निरंतर ध्यान दिए जाने से राष्ट्रीय स्तर पर इसका लाभ मिल रहा है। उनका लक्ष्य अटल नवीकरण एवं शहरी परिवर्तन मिशन 2.0 (अमृत 2.0) और जल जीवन मिशन जैसे ऐतिहासिक कार्यक्रमों के माध्यम से देश को ‘जल के मामले में सुरक्षित’ बनाना है। 

प्रधानमंत्री की सोच को सर्वोदय और आत्मनिर्भरता जैसे गांधीवादी सिद्धांतों से प्रेरणा मिली है। कई प्रमुख नीतियों के सन्दर्भ में गांधीजी के दर्शन ने प्रधानमंत्री के लिए प्रेरणास्रोत के रूप में कार्य किया है, जिसमें विशेष रूप से स्वच्छ भारत मिशन का उल्लेख किया जा सकता है। गांधीजी स्वच्छता के पहले समर्थक थे। मुख्यमंत्री मोदी ने 2 अक्तूबर, 2005 को गुजरात शहरी विकास वर्ष घोषित किया। इसी वर्ष ‘निर्मल गुजरात’ कार्यक्रम की भी शुरूआत हुई। यह कार्यक्रम ही वह सूत्र था, जिसने गांधीजी के अधूरे सपने को मुख्यमंत्री मोदी के इस विश्वास से जोड़ा कि सार्वभौमिक स्वच्छता ही वह आधार है, जिस पर विकास रूपी भवन का निर्माण किया जा सकता है। 

2005 के बाद से गुजरात में शुरू किए गए कार्यक्रमों ने स्वच्छ भारत मिशन से सम्बन्धित उनके विचारों की पृष्ठभूमि तैयार की, जिसने अंतत: गांधीजी के सपने को वास्तविकता में बदल दिया। जब प्रधानमंत्री ने पहली बार लाल किले की प्राचीर से स्वच्छ भारत मिशन की घोषणा की तो कुछ आलोचकों ने सोचा कि खुले में शौच से मुक्त (ओ.डी.एफ.) देश बनना असंभव है। हम 2014 में ओ.डी.एफ. की मामूली 38 प्रतिशत की स्थिति से आज लगभग 100 प्रतिशत तक की उपलब्धि हासिल कर चुके हैं। इसका एक उल्लेखनीय अपवाद पश्चिम बंगाल है। नेतृत्व की मिसाल पेश करते हुए प्रधानमंत्री ने खुद झाड़ू उठाया और इस जन आंदोलन में हम सभी को स्वेच्छाग्रही बना दिया। 

‘स्वच्छ भारत मिशन-शहरी (एस.बी.एम.-यू.)’ के तहत इस सरकार ने 73 लाख से भी अधिक शौचालयों का निर्माण किया है और इसके साथ ही शहरी क्षेत्रों की ठोस अपशिष्ट प्रबंधन प्रसंस्करण क्षमता को वर्ष 2014 के 18 प्रतिशत से बढ़ा कर आज 70 प्रतिशत से भी अधिक कर दिया है। इस दिशा में सच्ची जीत यह हुई है कि हर भारतीय के व्यवहार में सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिला है।

प्रधानमंत्री ने यह भली-भांति समझ लिया है कि यदि हमारी मानसिकता बदलेगी तो स्वच्छता सदैव बनी रहेगी। प्रधानमंत्री ने हाल ही में ‘स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0 (एस.बी.एम.-यू. 2.0)’ का शुभारंभ किया है, ताकि इस तेज गति को आगे भी बरकरार रखा जा सके, और इसके साथ ही ‘ओ.डी.एफ. भारत’ से ‘कचरा मुक्त भारत’ बनने की ओर अग्रसर हुआ जा सके। प्रधानमंत्री ने सहज रूप से यह समझ लिया कि यह मिशन किस तरह से लाखों भारतीयों को सामूहिक रूप से ठोस पहल करने के लिए प्रेरित कर सकता है। भारत के शहरी क्षेत्रों के कायाकल्प और आधुनिकीकरण, जिसकी वर्ष 2014 से पहले उपेक्षा की जाती थी, के लिए उनकी प्रतिबद्धता को भी ध्यान में रख कर महत्वाकांक्षी और युवा भारत उनका इतना व्यापक समर्थन बड़े उत्साह से करता है। 

पूरी दुनिया में सबसे व्यापक नियोजित शहरीकरण शुरू करके प्रधानमंत्री नए सिरे से शहरों की परिकल्पना कर रहे हैं। हमने शहरी निवेश में बड़ी छलांग लगाकर अपने शहरों की छिपी हुई संभावनाओं के द्वार को खोल दिया है। पिछले महज 6 वर्षों में मोदी सरकार ने जलवायु परिवर्तन, लैंगिक समानता, धरोहर और समानता को मुख्यधारा में लाते हुए अत्यंत आवश्यक शहरी अवसंरचना का उन्नयन करने पर 11.83 लाख करोड़ रुपए खर्च किए हैं, जो वर्ष 2004 और वर्ष 2014 के बीच खर्च किए गए 1.57 लाख करोड़ रुपए से 7 गुना अधिक हैं। 

प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी (पी.एम.ए.वाई.-यू.) के तहत इस सरकार ने लगभग 1.14 करोड़ घरों को मंजूरी दी है, जिनमें से 51 लाख से भी अधिक आवास इकाइयों यानी घरों में संबंधित लाभाॢथयों ने रहना शुरू भी कर दिया है। अमृत मिशन ने 1 लाख से अधिक की आबादी वाले 500 शहरों में बुनियादी नागरिक अवसंरचना की जरूरतों को बाकायदा पूरा कर दिया है। इसके बाद अब ‘अमृत 2.0’ का दौर आया है, जिसमें देश के सभी वैधानिक शहरों में नल कनैक्शन के साथ सार्वभौमिक या सभी को जल आपूर्ति की परिकल्पना की गई है। इसमें ‘अमृत’ के अंतर्गत आने वाले 500 शहरी स्थानीय निकायों (यू.एल.बी.) में सीवरेज और सेप्टेज प्रबंधन सुविधाओं का भी प्रावधान है। स्मार्ट सिटी मिशन ने शहरी विकास में नवाचार की संस्कृति को शामिल किया है जिसे भारत के सभी 4,378 शहरी केंद्र दोहरा सकते हैं। 

कई अवसरों पर प्रधानमंत्री ने इस बात पर विशेष जोर दिया है कि शहरी विकास का बहुआयामी स्वरूप भारत की विकास गाथा को सटीक रूप से दर्शाएगा क्योंकि ये भारत के शहर ही होंगे जो देश को आत्मनिर्भरता के साथ-साथ वर्ष 2030 तक भारत को 10 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की ओर अग्रसर करेंगे। चाहे शौचालय हों या बैंक खाते, डिजिटल सेवाएं, पेयजल, बिजली, रक्षा अथवा शहर हों, प्रधानमंत्री मोदी ने पूरे देश पर अपने सशक्त विजन की छाप छोड़ी है। अविश्वसनीय गाथाओं से भरी इस अनिश्चित दुनिया में हमारे ‘प्रधान सेवक’ एक अत्यंत ईमानदार शख्सियत के रूप में आत्मविश्वास से पूरी तरह भरे हुए हैं, जो अपने मिशन पर सदैव अडिग रहे हैं।-हरदीप सिंह पुरी(केंद्रीय पैट्रोलियम, आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री)

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!