Edited By ,Updated: 03 Jan, 2024 06:06 AM
पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे (पी.एल.एफ.एस.) के मुताबिक देश में बेरोजगारी दर पिछले 6 साल के सबसे निचले स्तर पर गिरकर 3.2 प्रतिशत रह गई है, जबकि पंजाब के नौजवान बेरोजगारी से जूझ रहे हैं।
पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे (पी.एल.एफ.एस.) के मुताबिक देश में बेरोजगारी दर पिछले 6 साल के सबसे निचले स्तर पर गिरकर 3.2 प्रतिशत रह गई है, जबकि पंजाब के नौजवान बेरोजगारी से जूझ रहे हैं। सैंटर फॉर मॉनिटरिंग द इंडियन इकोनॉमी (सी.एम.आई.ई.) की मानें तो पंजाब में 15-29 वर्ष आयु वर्ग में 45.4 प्रतिशत बेरोजगारी ङ्क्षचता की बात है। बेरोजगारी के ये हालात पंजाब के युवाओं को ड्रग्स व अपराध की दुनिया में धकेल रहे हैं।
बेरोजगारी व सामाजिक अशांति से निपटने के लिए पंजाब की युवा ‘वर्कफोर्स’ के लिए विकसित देशों में नौकरी का एक बड़ा अवसर है। युवा श्रमिकों की भारी कमी का सामना कर रहे हैं। तमाम विकसित देश भारत की युवा श्रम शक्ति की ओर देख रहे हैं, ऐसे में भारत भी अपनी ‘सरप्लस’ युवा शक्ति को रोजगार के अवसर के तौर पर देख रहा है। इसे मद्देनजर रखते हुए सरकार ने हाल ही में 17 मोबिलिटी एंड माइग्रेशन पार्टनरशिप एग्रीमैंट (एम.एम.पी.ए.) जापान, जर्मनी, इटली, फ्रांस, फिनलैंड, आस्ट्रेलिया, आस्ट्रिया और ब्रिटेन आदि देशों से किए हैं। इन देशों में वर्कफोर्स की आवाजाही आसान करने के ऐसे ही समझौते नीदरलैंड्स, ग्रीस, डेनमार्क, स्विट्जरलैंड, दक्षिण कोरिया और ताइवान के साथ भी जल्द होने की संभावना है।
बेशक पंजाब की आम आदमी पार्टी की सरकार राज्य से विदेशों को प्रतिभा पलायन रोकने के लिए पंजाब में रोजगार के अवसरों में तेजी लाने का प्रयास कर रही है, पर यह एक लंबी योजना है। प्रयासों को साकार करने में वक्त लगेगा। इसलिए भगवंत मान सरकार मौके का फायदा उठाते हुए एक सही रणनीति अपनाए क्योंकि ज्यादातर विकसित देशों में पंजाबियों की लगन व मेहनत से मेल खाते नौकरियों के मौके खेती, डेयरी, ड्राइविंग और मैन्युफैक्चरिंग सैक्टर में हैं।
काम की तलाश में पंजाब से विदेशों में पलायन का एक लंबा इतिहास है क्योंकि यहां के ज्यादातर महत्वाकांक्षी युवाओं को विकसित देशों की बेहतर जीवन शैली अपनी ओर आकॢषत करती है। आंध्र प्रदेश से सालाना औसतन 3.82 लाख, महाराष्ट्र से 3.64 लाख युवाओं के बाद तीसरे नंबर पर पंजाब की युवा शक्ति उच्च शिक्षा, आकर्षक नौकरियों व बेहतर जीवनशैली का सपना साकार करने के लिए विदेश जा रही है। देश के विदेशी मुद्रा भंडार में भी पंजाबी प्रवासियों का बड़ा योगदान है।
चुनौती : दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से आगे भारत तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में बढ़ रहा है, पर देश की आॢथक रफ्तार व रोजगार के अवसरों के बीच खाई अभी बहुत गहरी है। केंद्रीय लेबर एंड एम्प्लायमैंट मंत्रालय के पोर्टल के जरिए नौकरी चाहने वाले 1.3 करोड़ युवा हैं, जबकि इस पोर्टल पर सरकारी व प्राइवेट सैक्टर में सिर्फ 2.20 लाख नौकरियों के अवसर बताए गए हैं। हर साल करीब 1.2 करोड़ युवा रोजगार के लिए तैयार हो जाते हैं। वहीं विकसित देश अधेड़ व बुजुर्ग वर्कफोर्स की वजह से युवा वर्कफोर्स की भारी कमी का सामना कर रहे हैं। भारत की मौजूदा युवा आबादी (35 वर्ष से कम) 62 प्रतिशत से बढ़कर साल 2030 तक 68 प्रतिशत होने की संभावना है।
अवसर : विकसित देश आर्टिफिशियल इंटैलीजैंस (ए.आई.) और इंटरनैट ऑफ ङ्क्षथग्स (आई.ओ.टी.) जैसी तकनीकों की मदद से अपने मैन्युफैक्चरिंग व सॢवस सैक्टर को चलाए रखने की कोशिश कर रहे हैं, पर टैक्नोलॉजी की एक सीमा है। ऐसे में मैन्युफैक्चरिंग एवं सॢवस सैक्टर में बढ़ती लागत पर काबू पाने के लिए तमाम विकसित देश भारत की युवा शक्ति को रोजगार देने के लिए तैयार हैं।
अमरीका : यू.एस. चैंबर ऑफ कॉमर्स के मुताबिक, अमरीका में 30 लाख नौकरियों के अवसर हैं। ट्रांसपोर्ट, हैल्थ, हास्पिटैलिटी, फूड, मैन्युफैक्चरिंग, होल सेल और रिटेल ट्रेड में अधिक नौकरियां हैं। चैंबर के सर्वे अनुसार, तीन साल में 5 अमरीकियों में से 1 ने अपनी आजीविका का जरिया बदला है। 17 प्रतिशत रिटायर हुए हैं, 19 प्रतिशत होममेकर बन गए हैं। 14 प्रतिशत ने पार्ट-टाइम काम चुना है। कोरोना के समय नौकरी जाने पर मिले सरकारी पैकेज के बाद 24 प्रतिशत काम पर ही नहीं लौटे।
यूरोप : 1.43 करोड़ कामगारों की कमी झेल रहे यूरोप की वर्कफोर्स में 2030 तक 9.6 करोड़ कामगार घटने की संभावना है। इसकी वजह से अगले 6 साल में यूरोप को सालाना 1.323 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान हो सकता है। यूरोप में वर्कफोर्स की भारी कमी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इमीग्रेशन में कड़ी सख्ती बरतने वाले ग्रीस की संसद ने हाल ही में इमीग्रेशन पॉलिसी में बड़ा बदलाव करते हुए अवैध इमीग्रेशन करने वालों को भी 3 साल रहने व वर्क परमिट की इजाजत दी है। ग्रीस ने भारत से खेतों के लिए 10,000 श्रमिक मांगे हैं।
ताइवान : भारत व ताइवान के बीच जल्द ही एम्प्लॉयमैंट मोबिलिटी एग्रीमैंट होने की संभावना है। एक लाख भारतीय श्रमिकों की कारखानों, खेतों व अस्पतालों में काम के लिए भर्ती की जानी है। 790 बिलियन अमरीकी डॉलर अर्थव्यवस्था बनाए रखने के लिए ताइवान भारतीय श्रमिकों को ताइवानी श्रमिकों के बराबर वेतन व बीमा की पेशकश कर रहा है।
जापान : दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा मैन्युफैक्चरिंग देश होने के नाते वर्कफोर्स की गंभीर कमी का सामना कर रहे जापान पर मैन्युफैक्चरिंग सैक्टर में अपनी स्थिति व क्षमता बनाए रखने का दबाव है। श्रमिकों की कमी के कारण 2030 तक जापान को 195 बिलियन डॉलर का नुकसान हो सकता है।
जर्मनी : जर्मनी को भी श्रमिकों की कमी के कारण अपने मैन्युफैक्चरिंग सैक्टर पर असर का डर सता रहा है। मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में वर्तमान में 24 लाख श्रमिकों की कमी का सामना कर रहे जर्मनी की स्थिति और भी खराब होने की आशंका है। साल 2030 तक एक करोड़ श्रमिकों की कमी के कारण जर्मनी को 78 बिलियन डॉलर रैवेन्यू का नुकसान संभावित है।
समय की मांग : विदेश मंत्रालय की ओवरसीज एम्प्लायमैंट डिवीजन व स्किल इंडिया इंटरनैशनल सैंटर (एस.आई.आई.सी.) इमीग्रेशन और मेल खाती नौकरी के लिए युवाओं की मदद कर रहा है। देश में सबसे अधिक बेरोजगारी से त्रस्त पड़ोसी राज्य हरियाणा के कौशल रोजगार निगम ने बेरोजगारों को विकसित देशों में नौकरियों के लिए कोशिशें तेज कर दी हैं। पंजाब के युवाओं को भी अंतर्राष्ट्रीय व्यावसायिक मानकों के मुताबिक स्किल से लैस करने के लिए पंजाब के डिस्ट्रिक्ट ब्यूरो ऑफ एम्प्लायमैंट एंड एंटरप्राइजेज को एस.आई.आई.सी. के साथ मिलकर प्रभावी ढंग से काम करने की जरूरत है। अधिक से अधिक बेरोजगार विकसित देशों में नौकरियों के इस बड़े अवसर से चूक न जाएं, इसके लिए पंजाब सरकार युवाओं को विशेष नकद भत्ते समेत अपनी तमाम कोशिशों में कोई कमी नहीं रहने देगी, ऐसी उम्मीद है।(लेखक कैबिनेट मंत्री रैंक में पंजाब इकोनॉमिक पॉलिसी एवं प्लानिंग बोर्ड के वाइस चेयरमैन भी हैं)-डा. अमृत सागर मित्तल(वाइस चेयरमैन सोनालीका)