अमरीका, यूरोप से फिर कोविड की चेतावनी

Edited By ,Updated: 25 Nov, 2021 03:48 AM

kovid warning again from america europe

यह इतना विडम्बनापूर्ण है कि यूरोप में कोविड के मामलों में तेजी आ रही है जबकि रोज महामारी को नियंत्रित करने के लिए लागू किए गए प्रतिबंधों के खिलाफ प्रदर्शन किए जा रहे हैं। आस्ट्रिया में राष्ट्रव्यापी लॉकडाऊन लगा दिया गया है जबकि जर्मनी

यह इतना विडम्बनापूर्ण है कि यूरोप में कोविड के मामलों में तेजी आ रही है जबकि रोज महामारी को नियंत्रित करने के लिए लागू किए गए प्रतिबंधों के खिलाफ प्रदर्शन किए जा रहे हैं। आस्ट्रिया में राष्ट्रव्यापी लॉकडाऊन लगा दिया गया है जबकि जर्मनी तथा स्लोवाकिया में आंशिक या पूर्ण लॉकडाऊन लगाने की घोषणा की आशा की जा रही है क्योंकि वहां पर कोविड के मामलों की संख्या में वृद्धि हो रही है। इंगलैंड तथा बैल्जियम महामारी के सर्वाधिक खराब दौर का सामना कर रहे हैं। कुल मिलाकर यूरोप में प्रतिदिन विश्व भर के संक्रमण के करीब 2 तिहाई मामले रिपोर्ट किए जा रहे हैं। 

यहां तक कि अमरीका भी कोविड संक्रमणों की गंभीर वापसी का सामना कर रहा है। भारत में हम भाग्यशाली हैं कि संक्रमण की निम्र दरों से गुजर रहे हैं। मंगलवार के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार भारत में नए संक्रमणों की कुल संख्या 7636 थी। यदि आप यह तर्क भी दें कि भारत में आधिकारिक आंकड़े विश्वसनीय नहीं हो सकते तो उसी दिन अमरीका में संक्रमण के नए मामलों की संख्या पर जरा नजर डालें-92835 नए मामले। और यह भी याद रखें कि भारत की जनसंख्या अमरीका से 4 गुणा अधिक है। 

यह भी महत्वपूर्ण है कि यूरोप तथा अमरीका में टीकाकरण की तुलनात्मक दरें भारत के मुकाबले कहीं अधिक हैं। दरअसल इन देशों में वैक्सीन की तीसरी डोज लगवाने का भी प्रस्ताव किया गया है लेकिन फिर भी संख्या बढ़ती जा रही है। इसराईल, जिसमें बच्चों सहित 100 प्रतिशत टीकाकरण की रिपोर्ट है, में एक बार फिर से कोविड के मामलों में वृद्धि हो रही है। आस्ट्रेलिया तथा न्यूजीलैंड ने भी कोविड की वापसी की रिपोर्ट की है। 

भारत ने एक अरब से अधिक टीकाकरण करके अच्छा किया लेकिन कुल मिलाकर मात्र एक तिहाई जनसंख्या का पूर्ण टीकाकरण हुआ है। देश की विशाल जनसंख्या तथा इसके कुछ हिस्सों में टीकाकरण करवाने में हिचकिचाहट को देखते हुए यह एक बहुत बड़ा कार्य है। धीमी प्रतिक्रिया तथा विश्व की फार्मेसी के तौर पर श्रेय दिए जाने पर जोर के बाद सरकार ने अपनी कारगुजारी में सुधार किया लेकिन हम अभी एक पूरी तरह से टीकाकरण वाले देश के लक्ष्य से काफी दूर हैं। मगर 100 प्रतिशत टीकाकरण के बावजूद भी इस बात की कोई गारंटी नहीं कि कोविड और अधिक लोगों का शिकार नहीं करेगा। 

विशेषज्ञों का कहना है कि यह संयोग है कि यूरोप तथा अमरीका में कोविड के मामलों में फिर से वृद्धि उस समय हो रही है जब सॢदयों का मौसम शुरू हो गया है। सॢदयों में सभी वायरस तेजी से फैलते हैं। संभवत: यह इस तथ्य के कारण है कि सॢदयों के आगमन के साथ ही त्यौहारों का मौसम आता है और लोग इस समय के दौरान एक-दूसरे के साथ अधिक मिलते-जुलते हैं-भारत में भी त्यौहारों के मौसम के दौरान बहुत बड़ी संख्या में लोग इकट्ठे हुए। इसके अतिरिक्त ‘विवाहों का मौसम’ भी है जिसमें सभी तरह की सावधानियों को दर-किनार किया जा रहा है। पश्चिम में ऐसे लोग भी हैं जो यह मानते हैं और यह बात फैलाते हैं कि यदि टीकाकरण करवाया गया है तो भी कोविड आपको अपना शिकार बना लेगा। यद्यपि तथ्य यह है कि जिन लोगों ने अपना टीकाकरण करवाया है उनके अस्पताल में दाखिल होने तथा मौत से बचने के बेहतर अवसर हैं। 

अमरीका तथा यूरोप में 60 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या का अब पूरी तरह से टीकाकरण हो चुका है लेकिन कोविड के मामलों का फिर से बढऩा चिताजनक है। यही वह सबक है जिससे हमें दुनिया के अन्य हिस्सों से सीखने की जरूरत है।टीकाकरण की उच्च दरें लेकिन सभी सावधानियों को दर-किनार करना विनाशकारी हो सकता है। फिर भी ऐसे लोग हैं जो यह मानते हैं कि ऐसे ही ठीक है तथा कोविड ने यहीं रहना है। 

हां, इसे यहीं रहना है लेकिन यह व्यक्तियों पर निर्भर करता है कि उन्होंने सावधानियां बरतनी हैं या नहीं। यह विशेष तौर पर महत्वपूर्ण है कि बुजुर्ग तथा ऐसे लोग जो मधुमेह तथा अन्य बीमारियों से पीड़ित हैं, सतर्कता अवश्य बरतें। मास्क पहनने तथा सामाजिक दूरी बनाए रखने में शर्म की कोई बात नहीं। इसकी कोई परवाह नहीं कि यदि कुछ लोग हमारे ऐसे बर्ताव का मजाक उड़ाएं लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि हम जितनी अधिक संभव हो सकें उतनी सावधानियां बरतें।-विपिन पब्बी 
 

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