वाराणसी के भुला दिए गए त्रिपाठी परिवार के ललितेशपति राजनीति में फिर सक्रिय

Edited By ,Updated: 26 Apr, 2019 04:50 AM

lalitheshapati of the tripathi family forgotten in varanasi again active

वाराणसी के किसी समय जाने-माने त्रिपाठी खानदान के लोकपति त्रिपाठी के बड़े बेटे कमलापति त्रिपाठी ने अपने परिवार का नाम आगे बढ़ाया। कमलापति त्रिपाठी उत्तर प्रदेश कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री थे। लोकपति उत्तर प्रदेश में अंतिम कांग्रेस...

वाराणसी के किसी समय जाने-माने त्रिपाठी खानदान के लोकपति त्रिपाठी के बड़े बेटे कमलापति त्रिपाठी ने अपने परिवार का नाम आगे बढ़ाया। कमलापति त्रिपाठी उत्तर प्रदेश कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री थे। 

लोकपति उत्तर प्रदेश में अंतिम कांग्रेस सरकार में मंत्री थे, जब कमलापति ने तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के खिलाफ विद्रोह किया था। लोकपति मुख्यमंत्री बनने जा रहे थे लेकिन वह कैबिनेट मंत्री ही बन पाए क्योंकि किसी समय उन्होंने अपने पिता को माफी मांगने और राजीव गांधी से रिश्ते सुधारने के लिए कहा था। लोकपति अपने छोटे भाइयों मायापति और मंगलापति के मुकाबले  महत्वाकांक्षी थे लेकिन जब कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में उनके पिता को बेइज्जत किया गया तो वह इतने नर्वस हो गए कि उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद के लिए अपनी महत्वाकांक्षा छोड़ दी और अपनी जड़ें तलाशने तथा कार्यकत्र्ताओं से जुडऩे के लिए पूर्वी जिलों की ओर चल पड़े। 

ये वे दिन थे जब कांग्रेस में उथल-पुथल जारी थी। राजीव गांधी ने प्रणव मुखर्जी को भी पार्टी से निकाल दिया था। कमलापति उस बेइज्जती को सहन नहीं कर पाए और उन्होंने राजीव गांधी तथा उनके सहयोगियों की कार्य प्रणाली पर सवाल उठाने शुरू कर दिए। यह वह दौर था जब कांग्रेस के पुराने दिग्गजों को किनारे लगाया जा रहा था। यह उत्तर प्रदेश के जातिगत समीकरणों में एक बदलाव था। कांग्रेस के ब्राह्मण परिवार जिनके साथ त्रिपाठी के अलावा बहुगुणा, दीक्षित और वाजपेयी जैसे उप नाम शामिल थे, को नए उभरे राजपूतों और पिछड़ी जातियों द्वारा चुनौती दी जा रही थी। त्रिपाठी वाराणसी के पुराने भाग में रहते थे, वह अपने विरोधियों को नियंत्रण में रखने के लिए तांत्रिक गतिविधियों का सहारा लेते थे लेकिन बाद में त्रिपाठियों का दबदबा समाप्त हो गया और उन्हें शांत होकर बैठना पड़ा। 

लोकपति की पत्नी चंद्रा जोकि सिंधी हैं, काफी सक्रिय रहती थीं। इंदिरा गांधी ने कमलापति को रेलमंत्री बनाकर दिल्ली में रखने की कोशिश की लेकिन उन्हें यह पता नहीं था कि  कमलापति अपने दोस्तों से क्या कहा करते थे। ‘‘मैं बुद्धिमान व्यक्ति हूं, लोकपति को फल मिला है, बहू जी चंद्रा सभी कामों में दक्ष हैं।’’ लोकपति, चंद्रा और उनका बेटा राजेशपति उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के खराब दिन आने के बाद लोगों द्वारा भुला दिए गए। 

आखिरकार कमलापति के पड़पोते और राजेशपति के बेटे ललितेशपति ने 2012 में वाराणसी के नजदीक मरिहान से विधानसभा चुनाव जीता। कनाडा और दिल्ली में पढ़े ललितेशपति, जिनकी मां लक्ष्मी अमरीकन हैं, सॉफ्टवेयर सेल्स प्रोफैशनल हैं। राहुल गांधी के नेतृत्व में 41 वर्षीय ललितेशपति राजनीति में सक्रिय हैं। अब वह एक नेता की तरह कुर्ता-पायजामा और गमछा पहनते हैं। इसके साथ ही वह परिवार का त्रिपाठी आर्गैनिक्स फार्म चलाते हैं। कांग्रेस पार्टी ने उन पर विश्वास जताते हुए उन्हें मिर्जापुर से लोकसभा की टिकट दी है जहां से वह 2014 में अनुप्रिया पटेल से चुनाव हार गए थे।-राधिका आर.

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