पुलिस बलों के बीच आपसी सम्मान व सौहार्द को बढ़ावा देना चाहिए

Edited By Updated: 13 May, 2022 04:38 AM

mutual respect and harmony should be promoted between the police forces

हमारे संविधान में सरकार की संघीय किस्म की परिकल्पना की गई है जिसमें केंद्र तथा राज्यों को सांझेदारी में काम करना तथा एक-दूसरे के अधिकारों का सम्मान करना होगा। इन अधिकारों तथा जिम्मेदारियों का स्पष्ट उल्लेख और केंद्र तथा राज्यों के बीच

हमारे संविधान में सरकार की संघीय किस्म की परिकल्पना की गई है जिसमें केंद्र तथा राज्यों को सांझेदारी में काम करना तथा एक-दूसरे के अधिकारों का सम्मान करना होगा। इन अधिकारों तथा जिम्मेदारियों का स्पष्ट उल्लेख और केंद्र तथा राज्यों के बीच इनका सीमांकन किया गया है। 

कानून-व्यवस्था राज्यों को सौंपी गई। सड़कों पर व्यवस्था बनाए रखना, अपराध रोकना तथा जांच करना और उन लोगों पर मुकद्दमा चलाना जो उनकी सीमाओं के भीतर अपराधों के लिए जिम्मेदार हैं, यह जिम्मेदारी राज्यों की है।सी.बी.आई., जिसका गठन पहले दिल्ली पुलिस की भ्रष्टाचार रोधी इकाई के तौर पर किया गया था, का एक ऐसी एजैंसी के तौर पर रूपांतरण किया गया जो गंभीर अपराधों की जांच करती है, यदि कोई भी राज्य विशेषज्ञ सहायता के लिए मांग करता है, समयानुसार यह राजनीतिक बदले के एक औजार के रूप में बदल गई है। हम सभी जानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने सी.बी.आई. को ‘पिंजरे का तोता’ कहा था। आज तोता न केवल पिंजरे में बंद है बल्कि इसके पर भी कतर दिए गए हैं। 

पुलिस बलों का नेतृत्व पहले भी  और अब भी आई.पी.एस. अधिकारी करते हैं जिन्हें अखिल भारतीय सिविल सेवा प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं के माध्यम से नियुक्त किया जाता है। केवल उन्हीं लोगों को अपने खुद के राज्य में जिम्मेदारी सौंपी जाती है जो अपने मूल राज्य के प्रतिस्पॢधयों में आगे रहते हैं। अन्य रिक्तियां (जरूरत की आधी) भारत के अन्य हिस्सों के उम्मीदवारों से भरी जाती हैं। उनका चुनाव केंद्र के कार्मिक विभाग द्वारा किया जाता है। राज्य तथा गैर-राज्य का मिश्रण यह सुनिश्चित करने के लिए किया गया था कि संघीय सिद्धांत बने रहें। चूंकि आई.पी.एस.अधिकारियों का प्रशिक्षण एक साथ होता है इसलिए वे पर्याप्त रूप से एक-दूसरे के जानकार होते हैं और सौहार्दपूर्ण ढंग से सिविल व कानूनी तरीके से अंतर्राज्यीय मामलों बारे निर्णय ले सकते हैं। यह व्यवस्था अभी हाल ही तक बिना किसी विद्वेष के काम करती रही। 

यदि सुशांत सिंह राजपूत ने मुम्बई में आत्महत्या की तथा बिहार में उसके परेशान पिता ने उसकी सम्पत्ति के लिए अभिनेता की गर्लफ्रैंड पर हत्या का आरोप लगाया तो बिहार पुलिस उसके पिता की शिकायत को आरोपों की जांच के लिए मुम्बई पुलिस को स्थानांतरित करती। इसकी बजाय सामान्य पुलिस व्यवस्था के विपरीत बिहार से एक आई.पी.एस. अधिकारी शिकायत की जांच के लिए जूनियर्स की एक टीम के साथ मुम्बई पहुंचा, यह जानते हुए कि किसी अन्य राज्य से इस मामले में दखल देने का उसे कानूनी क्षेत्राधिकार नहीं है। आखिरकार मामले को सी.बी.आई. को हस्तांतरित कर दिया गया और जैसी कि योजना थी, सी.बी.आई. को मुम्बई के मामले को बिहार वाले के साथ मिलाने को कहा गया और ऐसा हुआ भी। मगर सी.बी.आई. के चतुर जांचकत्र्ता भी आत्महत्या को एक हत्या में नहीं बदल सके। 

अभी हाल ही में मोहाली पुलिस स्टेशन से पंजाब पुलिस के एक दल को हरियाणा पुलिस द्वारा रोका गया, यहां यह ध्यान देने की जरूरत है कि पंजाब में अब केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप) का शासन है। ‘आप’ दो कार्यकालों से दिल्ली में सत्ता में है लेकिन उसका पुलिस पर कोई नियंत्रण नहीं है क्योंकि दिल्ली एक केंद्र शासित राज्य है। दिल्ली पुलिस उप-राज्यपाल को तथा उनके माध्यम से केंद्रीय गृह मंत्रालय को रिपोर्ट करती है। 

पंजाब पुलिस भाजपा कार्यकत्र्ता तेजिन्द्रपाल सिंह बग्गा के घर में घुस गई, जिन्होंने कुछ महीने पहले दिल्ली में केजरीवाल के आधिकारिक घर के गेट पर धावा बोला और ‘आप’ नेता के खिलाफ अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया था। लेकिन केजरीवाल कुछ कर नहीं सके, जब तक कि उन्होंने पंजाब नहीं जीत लिया और अब उनके पास अपने काम करवाने के लिए पंजाब पुलिस है। और उन्होंने अपने विरोधियों को सबक सिखाने के लिए सत्ता के दुरुपयोग के भाजपा के काम की नकल करने का निर्णय किया। और फिर हमने एक कॉमेडी को ट्रैजेडी में बदलते देखा। दिल्ली पुलिस ने पंजाब पुलिसकर्मियों के खिलाफ ‘अपहरण’ का मामला दर्ज किया तथा हरियाणा, जो एक भाजपा शासित राज्य है, में अपने समकक्षों को ‘पंजाबियों’ को हिरासत में लेने के लिए कहा। यह काम हरियाणवियों ने उनके कुरुक्षेत्र से गुजरते समय किया। लोगों के बयान दर्ज करने तथा उन्हें बचाने के लिए पंजाब से वरिष्ठ आई.पी.एस. अधिकारियों के पहुंचने के बाद कुछ घंटों उपरांत पंजाब की टीम को छोड़ दिया गया। 

यदि ये नए नियम बनने वाले हैं तो अंतर्राज्यीय पुलिस असहमतियों पर नए नियम शामिल करने के लिए केंद्र राज्य संबंधों को पुनर्भाषित करना होगा। करीब एक वर्ष पूर्व एक क्षेत्रीय विवाद को लेकर मिजोरम पुलिस ने असम पुलिस के खिलाफ कदम उठाया था। और फिर असम पुलिस और भी मुखर हो गई जब इसकी टीम गुजरात पहुंची और वहां से एक गुजराती दलित नेता को उठा लिया जिसने गुजरात में नरेन्द्र मोदी के खिलाफ व्यंग्यात्मक शब्दावली का इस्तेमाल किया था। सत्र अदालत द्वारा असम पुलिस के खिलाफ कड़ी टिप्पणी करने के बाद अंतत: मेवानी को रिहा कर दिया गया। 

पर्यावरण पर काम करने वाली बेंगलुरू की युवा कार्यकत्र्ता दिशा रवि के मामले में भी प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया गया। संभावित राजनीतिक हितों के लिए दो राज्यों के पुलिस बलों के बीच नियमित समझ तथा शिष्टाचार को त्याग दिया गया। पुलिस बलों के बीच आपसी सम्मान तथा सौजन्यता  को बढ़ावा देना चाहिए। भाजपा एक भारत, एक अखंड भारत चाहती है लेकिन यह भी चाहती है कि सभी राज्यों पर एक ही पार्टी का शासन हो, केंद्र में ‘डबल इंजन’ के साथ।

एक पार्टी का शासन पड़ोसी चीन में बहुत सफल है लेकिन भारत जैसे एक विशाल लोकतंत्र में कई राज्यों में क्षेत्रीय दलों का प्रभुत्व है। भाजपा द्वारा संकल्पित कांग्रेसमुक्त भारत का सपना लगभग पूरा है मगर ‘आप’ अपने कदम आगे बढ़ा रही है और बंगाल में तृणमूल को हरा पाना आसान नहीं है और न ही तमिलनाडु में द्रमुक तथा महाराष्ट्र में शिवसेना को। भाजपा को इस हकीकत को समझना होगा। मेरा अनुमान है कि भाजपा अब और कड़ा प्रयास करेगी।-जूलियो रिबैरो(पूर्व डी.जी.पी. पंजाब व पूर्व आई.पी.एस. अधिकारी)

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