सैल्फी के लिए दाव पर लगता अनमोल जीवन

Edited By ,Updated: 10 Jul, 2019 03:52 AM

precious life at stake for selfie

क्या दुनियाभर में सैल्फी लेते समय सबसे ज्यादा लोगों की मौत भारत में होती है? जी हां। चौंकिए मत, यह सोलह आने सच है। यकीन न हो तो  इंडियन जर्नल ऑफ फैमिली मैडीसन एंड प्राइमरी केयर की ओर से हाल ही में जारी रिपोर्ट को जरूर पढ़ लें। इंडियन जर्नल ऑफ फैमिली...

क्या दुनियाभर में सैल्फी लेते समय सबसे ज्यादा लोगों की मौत भारत में होती है? जी हां। चौंकिए मत, यह सोलह आने सच है। यकीन न हो तो  इंडियन जर्नल ऑफ फैमिली मैडीसन एंड प्राइमरी केयर की ओर से हाल ही में जारी रिपोर्ट को जरूर पढ़ लें। इंडियन जर्नल ऑफ फैमिली मैडीसन एंड प्राइमरी केयर ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि 2011 से 2017 तक 259 लोग सैल्फी लेने के चक्कर में अपनी जान गंवा बैठे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह आंकड़ा सालों-साल बढ़ रहा है। सैल्फी के कारण अभी तक 159 लोगों की मौत के आंकड़े के साथ भारत सबसे आगे है जबकि पूरी दुनिया में सैल्फी के कारण होने वाली मौतों की संख्या 259 है। उपरोक्त अवधि में रूस में 16 लोगों की और पाकिस्तान व अमरीका में 14 लोगों की जान सैल्फी के कारण गई। 

दुनियाभर में सैल्फी का हर कोई दीवाना है लेकिन भारत में युवाओं में सैल्फी का क्रेज कुछ ज्यादा ही है। भारत में आए दिन कहीं न कहीं से सैल्फी से लोगों के मरने की खबरें आ जाती हैं जोकि बहुत ही चिंताजनक विषय है। आजकल हर कोई सैल्फी के द्वारा दोस्तों या परिवार के साथ गुजारे खट्टे-मीठे खुशनुमा पलों और यादों को कैमरे में कैद करना चाहता है। सैल्फी की दीवानगी में दूसरों को प्रभावित करने के लिए जो युवा या युवतियां अपनी कीमती जान की भी परवाह नहीं कर रहे हैं उन्हें यह समझना ही होगा कि जिंदगी अनमोल है। श्रीमद्भागवत में लिखा हुआ कि ‘दुर्लभो मानुषो देहो’ अर्थात् देहधारियों में मनुष्यदेह दुर्लभ है। 

आज के दौर में लगभग हर किसी को सैल्फी लेने का शौक है। अब सवाल आता है कि आखिर यह सैल्फी क्या होती है? ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी की परिभाषा के अनुसार ‘‘सैल्फी का मतलब किसी स्मार्टफोन या वैबकैम से खुद अपनी तस्वीर खींचना और उसे सोशल वैबसाइट्स पर अपलोड करना है’’। सैल्फी को ऑक्सफोर्ड वर्ड ऑफ द ईयर 2013 घोषित कर दिया गया है।  सैल्फी शब्द को फ्रैंच डिक्शनरी ‘ले पेटिट लराउसे’ में शामिल किया गया है। ब्रिटेन के  समाचार पत्र ‘टैलीग्राफ’ में प्रकाशित एक खबर के अनुसार फ्रैंच डिक्शनरी में शामिल किए गए इन नए शब्दों में ‘सैल्फी’ सर्वाधिक प्रभावी शब्द है। 

इस रविवार 7 जुलाई, 2019 को मैं, अपने गांव धारौली, जिला झज्जर में अपने सहपाठी जितेेन्द्र शर्मा के साथ बातें कर रहा था कि आज हमारे देश भारत में लोग सैल्फी लेने के चक्कर में अपनी अनमोल जान की भी परवाह नहीं कर रहे हैं। भारत में सैल्फी लेने दौरान ज्यादातर लोगों की मौत झील, नदी या समुद्र में डूबने से या चलती ट्रेन के सामने, पहाड़ पर से पैर फिसलने से और सांप और हाथी जैसे जानवरों के साथ सैल्फी लेने के दौरान हो रही है। बावजूद इसके न तो पुलिस व प्रशासन इन हादसों को रोकने के लिए कोई ठोस कदम उठाने की जहमत उठा रहा है और न ही हमारे देश का भविष्य (युवा पीढ़ी) ही कोई सबक ले रहा है। 

हर कोई सैल्फी का दीवाना
युवाओं से लेकर अधेड़ और बुजुर्ग भी चाहे पिक्चर देखने गए, पिकनिक मनाने या वोट डालने गए, पहाड़, ग्लेशियर, मैमोरियल पर घूमने गए हों हर जगह वे सैल्फी ले लेते हैं। आजकल युवाओं को तो सैल्फी का इतना बुखार चढ़ गया है कि फोटो लेकर इसको तुरंत सोशल मीडिया ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर बार-बार अपलोड करते हैं और फिर उस पर आने वाले लाइक्स और कमैंट्स का इंतजार करने लगते हैं। अमरीका के प्रमुख समाचारपत्र ‘द वाशिंगटन पोस्ट’ ने रिपोर्ट में दावा किया है कि साल 2015 में भारत में कई लोगों ने खतरनाक तरीके से सैल्फी लेने की कोशिश की, इस वजह से उनकी जान चली गई।  अमरीका स्थित कार्नेगी मेलन यूनिवॢसटी और दिल्ली के इंद्रप्रस्थ इंस्टीच्यूट ऑफ इंफर्मेशन टैक्नोलॉजी द्वारा की गई सर्वे रिपोर्ट में पाया गया है कि सैल्फी लेने के चक्कर में जान गंवाने में भारत अव्वल नम्बर पर है। सैल्फी के कारण भारत में मार्च 2014 में लगभग 127 लोगों की जान गई है। 

सबक लेने को तैयार नहीं लोग
आश्चर्य की बात है कि सैल्फी लेने के चक्कर में कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं, इसके बावजूद कोई सबक लेने को तैयार नहीं। अभी कुछ ही दिनों में ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिनसे पता चलता है कि सैल्फी क्रेज मौत की तरफ कदम बढ़ाने के समान है। सैल्फी लेना मौत को दावत देने से कम नहीं है। 30 जून 2019 रविवार को उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में परिवार के साथ पिकनिक मनाने के दौरान सैल्फी लेने के चक्कर में पेयजल योजना के लिए बनाए गए डैम में गिरने से 13 साल के किशोर गौरव बियर शिवा की मौत हो गई। 

अप्रैल 2019 को हरियाणा में पानीपत-बाबरपुर रेलवे लाइन के बीच 3 युवक सैल्फी ले रहे थे लेकिन उसी दौरान दूसरी तरफ से ट्रेन आ गई और ट्रेन की चपेट में आने से चमन, सनी और किशन तीनों युवकों की मौके पर ही मौत हो गई। 2019 मार्च महीने में जयपुर में दो छोटे बच्चे कमल (10) और अजय (13) सैल्फी लेने के लिए रेल के पुल पर चढ़ गए और तेजी से आती ट्रेन से खुद को बचा नहीं पाए और उनकी ट्रेन से कटकर मौत हो गई। हरियाणा के यमुनानगर में जून 2019  को शिव नगर निवासी सोनू की जगाधरी वर्कशॉप  यार्ड में खड़ी ट्रेन पर चढ़कर सैल्फी लेने की वजह से हाईवोल्टेज तारों के संपर्क में आने से मौत हो गई। 2019 के मई महीने में आंध्र प्रदेश की रहने वाली 25 वर्षीय डॉक्टर युतुकुरु राम्या कृष्णा गोवा के कोलोम्ब बीच की चट्टान पर सैल्फी ले रही थी, तभी एक बड़ी लहर आई और उसे साथ ले गई। 

भारत में सैल्फी के चक्कर में जान गंवाने वाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है इसलिए सरकार को सैल्फी की चुनौती से निपटने के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ ठोस व व्यावहारिक कदम उठाने होंगे। हमें भी अपने बच्चों को समझाना होगा कि दूसरों को  प्रभावित करने के लिए किसी ऐसे खतरनाक पोज में सैल्फी न खींचें।-युद्धवीर सिंह लांबा

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