वर्तमान शासक साम्प्रदायिक ‘नफरत तथा ईर्ष्या’ के बीज न बोएं

Edited By ,Updated: 28 Feb, 2020 05:30 AM

present ruler should not sow the seeds of communal hatred and jealousy

पंजाब की कैप्टन अमरेन्द्र सिंह सरकार के खिलाफ एक विशाल रोष रैली में पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने अपने लम्बे राजनीतिक अनुभव के आधार पर किसी का नाम लिए बगैर देश के वर्तमान शासकों को यह कहा कि वे देश के अंदर साम्प्रदायिक नफरत तथा...

पंजाब की कैप्टन अमरेन्द्र सिंह सरकार के खिलाफ एक विशाल रोष रैली में पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने अपने लम्बे राजनीतिक अनुभव के आधार पर किसी का नाम लिए बगैर देश के वर्तमान शासकों को यह कहा कि वे देश के अंदर साम्प्रदायिक नफरत तथा ईष्र्या के बीज न बोएं। वे लोग धर्मनिरपेक्ष का संवैधानिक सिद्धांत कायम रखें क्योंकि इसके बिना देश में अमन-शांति तथा भाईचारा सम्भव नहीं। 

महाराजा रणजीत सिंह की सरकार एक धर्मनिरपेक्ष सरकार थी
ऐतिहासिक मिसाल देते हुए उन्होंने कहा कि महाराजा रणजीत सिंह की सरकार एक धर्मनिरपेक्ष सरकार थी। उनसे हमें सबक लेने की जरूरत है। उस समय कोई वोटों की राजनीति नहीं थी। महाराजा ने अपनी दूरदर्शिता के अनुसार सभी धर्मों, जातियों तथा क्षेत्रों के लोगों को बढिय़ा सरकार देने के लिए सरकार के 5 बड़े वजीरों में एक मुसलमान, दो हिन्दू तथा एक सिख को शामिल किया था। इसी को धर्मनिरपेक्षता कहा जाता है। यदि सरकारें आज भी भारत के अंदर कामयाब होना चाहती हैं तो उनको सारे धर्मों का आदर करना होगा। उन्हें अल्पसंख्यकों को साथ लेकर चलना होगा, अपने साथियों को साथ लेकर चलना पड़ेगा। हमारे गुरु साहिबान ने प्रसिद्ध मुसलमान फकीर मियां मीर से श्री हरिमंदिर साहिब की नींव रखवाई थी। यह है सभी धर्मों के आदर तथा समानता का सबूत। 

गुरु साहिबानों ने सबके भले तथा समानता का संदेश दिया 
हमारे गुरु साहिबानों तथा संत-महात्माओं ने सबके भले तथा समानता का संदेश दिया है। इस संदर्भ में केन्द्र तथा राज्य सरकारों को चाहिए कि वे आपस में नफरत तथा ईष्र्या की भावना त्याग कर हिन्दू, मुस्लिम तथा अन्य धर्मों के लोगों के कल्याण हेतु कार्य करें न कि धर्म के नाम पर बांटने का। उन्होंने देश के संविधान की प्रस्तावना में अंकित धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत से छेड़छाड़ को देश की अमन-शांति तथा साम्प्रदायिक भाईचारे की मजबूती के लिए घातक करार दिया। उनका कहना है कि ऐसा करने से देश कमजोर होता है। देश के समस्त राजनीतिक दलों को आगाह किया जाता है कि वे चाहे भारत के किसी भी क्षेत्र या राज्य से संबंधित हों, वे सिख गुरु साहिबानों के दर्शाए मार्ग पर चल कर तथा देश के सभी धर्मों को एक माला में पिरोकर भविष्य की पीढिय़ों के लिए मिसाल कायम करें। 

प्रकाश सिंह बादल सारी उम्र संघीय ढांचे के प्रति वफादार रहे हैं
बादल ने अपने अनुभव के आधार पर शासकों तथा बहुसंख्यक भाईचारे को कहा कि देश के अंदर एक ऐसा राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक तथा प्रशासनिक माहौल पैदा होना चाहिए, जिसमें अल्पसंख्यकों से संबंधित लोग स्वयं को गौरवमयी तथा सुरक्षित महसूस करें। दूसरी ओर अल्पसंख्यक भाईचारा देश के अंदर सामाजिक, धार्मिक, शांति, सद्भाव तथा राष्ट्रीय निर्माण में अपनी भूमिका जिम्मेदारी के साथ निभाए। प्रकाश सिंह बादल सारी उम्र संघीय ढांचे के प्रति वफादार रहे हैं। वह भारतीय राज्यों के लिए ज्यादा अधिकारों तथा स्वायत्तता के समर्थक रहे हैं। केन्द्र की ओर से जब-जब राज्यों के अधिकारों पर कैंची चलाई गई तब-तब उन्होंने इसका विरोध किया। बादल सत्ता के केन्द्रीयकरण को संघीय तथा मानवीय अधिकारों के लिए अति घातक समझते रहे। 

उनका मानना है कि यदि राज्य सरकारें सशक्त होंगी तो केन्द्र भी सशक्त होगा मगर राज्यों को कमजोर करने, राज्य सूची के विषय केन्द्र की ओर से हड़पने और उनके अधिकारों को छीन कर केन्द्र कभी भी मजबूत नहीं हो सकता। आजकल सी.ए.ए. तथा एन.आर.सी. को लेकर पूरे देश में नफरत तथा ईष्र्या की राजनीति चल रही है। जामिया मिलिया, जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में हिंसा के डरावने दृश्य देखने को मिले। शाहीन बाग विरोध- प्रदर्शन को लेकर अति नफरत तथा हिंसा उकसाने वाली गतिविधियां देखने को मिलीं। दिल्ली विधानसभा चुनाव तो नफरत, हिंसा तथा वैर-विरोध उकसाने का एक अखाड़ा बन कर रह गया था। पूरा टी.वी. जगत सत्ताधारी की बोली बोलकर देश की बची-खुची धर्मनिरपेक्षता वाली हवा को बुरी तरह जहरीला करता देखा गया। 

सी.ए.ए. को लेकर हमारे पड़ोसी देश भी हमसे नाराज होने लगे हैं। बंगलादेश ने भी इस कानून के प्रति चिंता जताई। वास्तव में इन मुद्दों को लेकर देश के धर्मनिरपेक्ष, शांति तथा अहिंसा के समर्थक लोगों की आत्मा बहुत दुखी तथा ङ्क्षचतित देखी गई। कुछ समाजसेवी शख्सियतों तथा संस्थाओं ने विभिन्न राज्यों में देश के संविधान की रक्षा हेतु नफरत तथा हिंसा के विरुद्ध अलग-अलग स्कूलों-कालेजों तथा विश्वविद्यालयों में नवयुवकों तथा विद्यार्थियों से सम्पर्क साधा। 

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की आज्ञा से हर स्कूल में विद्यार्थियों को यह शपथ दिलाई गई कि हम भारत के लोग देश को एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बनाना चाहते हैं और इसे एकता के धागे में पिरोना चाहते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने जो ‘सबका साथ सबका विकास, सबका विश्वास’ का नारा दिया था इसमें से ‘सबका विश्वास’ गायब हो रहा है। इस पर गौर करना चाहिए। राष्ट्रभक्तों ने एक नारा दिया था ‘न हिन्दू बनो न मुसलमान बनो मैं इंसान बनूं तुम भी इंसान बनो’।

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भारतीयों को सत्य और अहिंसा का पाठ पढ़ाया था। उनके इस विचार को पूरे विश्व ने अपनाया क्योंकि हिंसा, ईष्र्या तथा नफरत किसी भी सभ्य समाज का आधार नहीं हो सकती। केन्द्र सरकार ने अपने सहयोगियों को यदि कोई भी कदम उठाने से पूर्व भरोसे में लिया होता तो आज जो स्थिति देश के अंदर है वह इस कदर हिंसक न होती। केन्द्र सरकार तथा राज्य सरकारों को नफरत तथा ईष्र्या भरी राजनीति से किनारा करना चाहिए।-दरबारा सिंह काहलों

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