देश को ‘एम्स’ और ‘एन.आई.एस.’ देने वाली राजकुमारी अमृत कौर

Edited By ,Updated: 19 Sep, 2023 05:23 AM

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स्वतंत्र भारत की प्रथम स्वास्थ्य मंत्री राजकुमारी अमृत कौर आहलूवालिया ने भारतवासियों को एम्स अस्पताल और पटियाला स्थित नैशनल इंस्टीच्यूट ऑफ स्पोट्स एन.आई.एस. तथा जम्मू-कश्मीर को एम्स देकर देशवासियों के प्रति अपना कत्र्तव्य, वफादारी और जिम्मेदारी...

स्वतंत्र भारत की प्रथम स्वास्थ्य मंत्री राजकुमारी अमृत कौर आहलूवालिया ने भारतवासियों को एम्स अस्पताल और पटियाला स्थित नैशनल इंस्टीच्यूट ऑफ स्पोट्स एन.आई.एस. तथा जम्मू-कश्मीर को एम्स देकर देशवासियों के प्रति अपना कत्र्तव्य, वफादारी और जिम्मेदारी निभाई। उनका जन्म कपूरथला रियासत में 2 फरवरी 1889 को महाराजा हरनाम सिंह के घर हुआ। अमृत कौर को इंगलैंड में शिक्षा के लिए भेजा गया। उन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से एम.ए. किया। एक पार्टी में एक अंग्रेज युवक ने उन्हें अपने साथ डांस करने के लिए कहा। मगर उन्होंने इन्कार कर दिया। उस युवक ने भारतीयों के लिए अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया और कहा कि भारतीय तो अंग्रेजों के रहमो-करम पर हैं। 

इस बात का राजकुमारी को बुरा लगा। भारत लौटने पर वह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के साथ राजनीति में क्रियाशील हो गईं। 1919 में राजकुमारी महात्मा गांधी की सचिव बन गईं। उन्होंने गांधी जी के साथ प्रत्येक आंदोलन में हिस्सा लिया और कई बार जेल भी गईं। वह टैनिस, हॉकी और क्रिकेट की चैम्पियन रहीं। 1927 में वह भारतीय महिला कांग्रेस बोर्ड की अध्यक्ष बनीं। अंग्रेजी सरकार की ओर से उन्हें सलाहकार बोर्ड ऑफ एजुकेशन का अध्यक्ष बनाया गया ताकि भारतीय विद्यार्थियों, अध्यापकों तथा अभिभावकों तक अच्छी शिक्षा पहुंचे। राजकुमारी अमृत कौर टी.बी. एसोसिएशन ऑफ इंडिया की अध्यक्ष भी बनीं। 

स्वतंत्रता के बाद उन्हें भारत की प्रथम स्वास्थ्य मंत्री बनने का सम्मान मिला। उन्होंने राजे-महाराजाओं के महलों वाली जमीन दिल्ली में एम्स अस्पताल बनाने के लिए दान में दे दी। वह अस्पताल की अध्यक्ष भी रहीं। उन्होंने पटियाला स्थित एन.आई.एस. बनाने के लिए जमीन दान दी। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर में भी एम्स बनाने के लिए अपनी जमीन दान में दी। उन्होंने शिमला और कसौली वाले अपने महलों की जमीन एम्स डाक्टरों और नर्सों के लिए हॉलीडे होम बनाने के लिए दान में दी है। वह 1957 तक भारत की स्वास्थ्य मंत्री और 1957 से 1964 तक राज्यसभा सदस्य भी रहीं। आखिर समय तक वह अपनी बीमारियों की परवाह किए बिना देश को स्वस्थ और सुरक्षित बनाने के लिए प्रयासरत रहीं। 6 फरवरी 1964 को उनकी मौत हुई। 

भारतीय रैडक्रॉस सोसायटी की ओर से उनकी याद में प्रत्येक वर्ष फस्र्ट-एड स्वास्थ्य देखभाल तथा पीड़ितों को बचाने वाले रैडक्रॉस सेंट जॉन एम्बुलैंस ब्रिगेड कार्यकत्र्ताओं तथा छात्रों को राजकुमारी अमृत कौर आहलूवालिया स्वर्ण पदक राष्ट्रपति द्वारा दिलवाया जाता है। पंजाब सरकार को चाहिए कि राजकुमारी अमृत कौर की याद को समर्पित स्वास्थ्य क्षेत्र में अच्छे कार्य करने वाले डाक्टरों, नर्सों, फस्र्ट-एड तथा ट्रेनिंग देने वाले कार्यकत्र्ताओं को उत्साहित करने के लिए विशेष प्रयास किए जाएं।-काका राम वर्मा
 

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