Edited By ,Updated: 15 May, 2024 05:51 AM
![saint in white clothes sir gokul chand ji](https://img.punjabkesari.in/multimedia/914/0/0X0/0/static.punjabkesari.in/2024_5image_05_49_06068834200-ll.jpg)
आजीवन अविवाहित रहकर ‘नर सेवा, नारायण सेवा’ का ध्येय लेकर समाज कल्याण में जीवन अर्पित करने वाले बटाला(पंजाब)के प्रसिद्ध समाजसेवी महाशय गोकुल चंद जी 3 वर्ष पूर्व 15 मई, 2021 को 99 वर्ष की आयु में प्रभु चरणों में जा विराजे, लेकिन उनके द्वारा शुरू...
आजीवन अविवाहित रहकर ‘नर सेवा, नारायण सेवा’ का ध्येय लेकर समाज कल्याण में जीवन अर्पित करने वाले बटाला(पंजाब)के प्रसिद्ध समाजसेवी महाशय गोकुल चंद जी 3 वर्ष पूर्व 15 मई, 2021 को 99 वर्ष की आयु में प्रभु चरणों में जा विराजे, लेकिन उनके द्वारा शुरू जनकल्याण के कार्य आज भी समाज को प्रेरणा और ऊर्जा दे रहे हैं। ऐसे प्राणी ही सही अर्थों में सफेद कपड़ों में संत होते हैं जो अपने कर्मों से समाज को नई दिशा देते हैं।
छोटे कद के महाशय गोकुल चंद जी का जन्म 10 जून, 1922 को बटाला के प्रतिष्ठित धार्मिक आर्य समाजी परिवार में हुआ। पिता चुन्नी लाल हांडा और माता दमयंती की धार्मिक और सामाजिक कार्यों में रूचि के कारण बचपन में ही इनका भी धर्म-कर्म में मन लगने लगा। इसी दौरान एक बार गंभीर रोग ने घेर लिया और भगवान की कृपा से नवजीवन मिलने पर बाल गोकुल चंद ने उम्र भर शादी नहीं करने का प्रण लेकर स्वयं को समाज सेवा में समर्पित कर दिया।
13 वर्ष की आयु में ही नगर में ‘बालसभा’ के गठन पर उसके प्रधान बन कर बच्चों में देश भक्ति और समाजसेवा का भाव जगाना शुरू किया तो धीरे-धीरे बड़ी संख्या में बच्चे इनके साथ जुड़ते गए। देश के विभाजन के समय युवा हो चुकी इन्हीं बच्चों की टोली ने उस संकटपूर्ण दौर में लोगों की हर प्रकार से सहायता और रक्षा की। देश के बंटवारे के बाद इन्होंने अपने कुछ साथियों के साथ ‘भूखे को अन्न’, ‘रोगी को औषधि’, ‘अनपढ़ को शिक्षा’ और ‘सद्विचार प्रसार’ का महान विचार लेकर ‘दैनिक प्रार्थना सभा’ का गठन किया।
महाशय जी ने संतानों द्वारा ठुकराए बुजुर्गों को आश्रय देने के लिए जहां बटाला में वृद्ध आश्रम शुरू किया वहीं ज्ञान के प्रसार के लिए पुस्तकालय खोला जो समय बीतने के साथ-साथ नगर का सबसे बड़ा पुस्तकालय बन गया। शिक्षा के प्रसार के लिए उन्होंने बटाला में लड़के-लड़कियों के अलग-अलग कालेज, शहीद वीर हकीकत राय की पत्नी सती लक्ष्मी देवी स्मारक स्थल और रोगियों के इलाज के लिए कौशल्या देवी सानन आई अस्पताल, मोहरी लाल चानन देई मैटॢनटी अस्पताल, जनरल अस्पताल, लैबोरेटरी व एक्स-रे सैंटर सहित गौशालाओं और धर्मशालाओं आदि का निर्माण समाज के सहयोग से करवाया। जो आज समाज के हर वर्ग के लिए हर प्रकार से उपयोगी साबित हो रहे हैं। अपने देश और धर्म के लिए जीवन अॢपत करने वाली महान आत्माओं की यादों को भी ‘शहीद गैलरी’ बना कर संजोना छोटा काम नहीं है।
महाशय जी के सादगी भरे जीवन से प्रभावित होकर देश के कई महापुरुषों का बटाला की धरती पर आना हुआ, जिन्होंने इन्हें सफेद कपड़ों में संत की उपाधि देकर इनके योगदान को सराहा। श्री विजय चोपड़ा जी के कहने पर महाशय गोकुल चंद ने विधवा बहनों के लिए प्रति मास राशन देने की सेवा भी शुरू की। श्री विजय चोपड़ा ने बताया कि,‘‘नवम्बर, 2009 में महाशय गोकुल चंद जी के निमंत्रण पर मैं पहली बार वृंदावन गया जहां इनके द्वारा संचालित ‘श्री राधा ब्रज रमण लाल मंदिर’ में बनाए ‘साधक निवास’ का उद्घाटन किया जिसके पुराने प्रबंधकों ने महाशय जी के काम से प्रभावित होकर उन्हें सौंपा था। महाशय जी ने इसका जीर्णोद्धार करवाया और इसमें लिफ्ट आदि लगवाई।
‘साधक निवास’ के उद्घाटन पर 50 से अधिक बुजुर्ग विधवा बहनों को राशन दिया गया जिनके बच्चे उन्हें कुछ रुपए देकर वृंदावन के मंदिरों में यह कह कर छोड़ गए थे कि अब आप यहां रह कर प्रभु का भजन किया करें। मंदिर वालों ने उनके रहने और खाने-पीने की व्यवस्था की हुई थी। सभी महिलाएं बुजुर्ग थीं और सभी ने एक साड़ी में स्वयं को लपेटा हुआ था। उनकी यह दयनीय दशा देखकर मेरा मन अत्यंत दुखी हुआ कि जिन बच्चों को इन्होंने लाड़-प्यार से पाल-पोस कर बड़ा किया, उन्होंने ही इन्हें छोड़ दिया था और फिर कभी मिलने ही नहीं आए।’’
महाशय जी ने पंजाब में बटाला के अलावा उत्तराखंड के हरिद्वार, उत्तर प्रदेश के वृंदावन व हिमाचल प्रदेश के चिंतपूर्णी धाम में धर्मशालाओं और गौशालाओं आदि का निर्माण करवाया। सादगी उनकी विशेषता थी। स्वदेशी के प्रति लगाव के कारण उन्होंने सारी उम्र खादी के वस्त्र बिना इस्तरी किए हुए ही पहने और जीवन भर चप्पल भी चमड़े की नहीं पहनी और सादगी पूर्ण जीवन बिताते हुए महाशय गोकुल चंद जी 15 मई, 2021 को रात 10.50 बजे मोक्ष धाम चले गए। महाशय जी की रस्म पगड़ी और श्रद्धांजलि सभा में उस समय की कांग्रेस सरकार के एक मंत्री ने महाशय गोकुल चंद के नाम पर आर आर बावा कालेज फार गल्र्स के निकट स्थित पंजाब नैशनल बैंक के पास स्वागती गेट बनाने का भी आदेश दिया था, जो आज तक हकीकत में नहीं बदल पाया।-सुरेश कुमार गोयल